लक्षण तथा मुख्य-रोग प्रकृति
(1) बच्चे का दूध पीकर उल्टी करके झट सो जाना
(2) कब्ज के साथ सब्ज और पीले दस्त
(3) उक्त रोग की चिकित्सा न होने पर रोग का हैजे में बदल जाना
(4) परीक्षा के समय की थकावट, ध्यान केन्द्रित न कर सकना
(5) ऐंठन (Convulsions)
(6) अन्य लक्षण-ज्वर में गर्मी लगने पर भी प्यास नहीं होती; गर्दन के चारों तरफ ग्रन्थियों की माला सी उभर आती हैं; तेज कय, तेज अकड़न, तेज दर्द, सब में तेजी।
लक्षणों की कमी
(i) खुली हवा में रोग में कमी
(ii) मिलने वालों के बीच कमी
लक्षणों में वृद्धि
(i) प्रात: 3 से 4 की बीच वृद्धि
(ii) सायंकाल रोग में वृद्धि
(iii) गर्मी या ग्रीष्म ऋतु में वृद्धि
(iv) दूध पीने के बाद वृद्धि
(v) कय, दस्त और ऐंठन के बाद लक्षणों में वृद्धि
(vi) बच्चे के दांत निकलते समय
(vii) बार-बार खाने से रोग का बढ़ना
(1) बच्चे का दूध पीकर उल्टी करके एकदम सो जाना – इथूजा औषधि बच्चों की मित्र है और उनके अनेक रोगों में उनकी सहायता करती है। बच्चा ज्यों की दूध पीता है, पीकर झट से सब एकदम उल्टी कर देता हैं। अगर कुछ देर वह दूध को पेट में रख भी लेता है, तो कुछ देर बाद फटे हुए दूध की तरह, दही के समान जमे हुए थक्के की उल्टी कर देता है, इसका कुछ नीला-सा रंग होता है। उलटी करने में उसे जो कमजोरी और थकावट हो जाती है, उससे वह एक तरह की निद्रा में सो जाता है, परन्तु थोड़ी देर बाद जाग कर भूख के मारे रोने-चिल्लाने लगता है। मां उसे फिर दूध पिला देती है, वह फिर पहले की तरह उल्टी कर देता है, और अगर कुछ देर दूध पेट में रहा तो दही जैसी उल्टी कर देता हैं। ऐसा प्राय: दो कारणों से होता हैं – या तो बच्चे के पेट में कुछ खराबी होती है या जब उसके दांत निकल रहे होते तब ऐसा होता है। बच्चे का दूध को न पचा सकना इथूजा का लक्षण है।
दूध हजम न कर सकने में इथूजा तथा कैल्केरिया कार्ब में तुलना – इथूजा की तरह कैल्केरिया कार्ब का बच्चा भी दूध पीकर जमे हुए दही की तरह उल्टी कर देता है, परन्तु इनमें भेद यह है कि इथूजा का बच्चा तो उल्टी करने के बाद फिर दूध पीने लगता है, कैल्केरिया का बच्चा उल्टी करने के बाद दूध पीना नही चाहता। इसके अतिरिक्त कैल्केरिया के बच्चे के सिर पर पसीना आता है, उसके शरीर तथा वमन से खट्टी बू आती है, इथूजा में ऐसा नहीं होता।
(2) कय के साथ कभी-कभी सब्ज और पीले रंग के दस्त आते हैं – ग्रीष्म-ऋतु में प्राय: ऐसी कय के साथ कभी-कभी सब्ज और पीले रंग के दस्त आते हैं। यह जरूरी नहीं कि दस्त आयें ही, नहीं भी आते, परन्तु यह देखा गया है कि बच्चों को कय के साथ सब्ज अथवा पीले रंग के दस्त भी आ जाते हैं।
(3) उक्त रोग की चिकित्सा न होने पर हैजे के से लक्षण आ जाते हैं – जब बच्चे को दूध पीते ही उल्टी आ जाय, उल्टी आने पर थक कर वह निढाल पड़ कर निंदासा हो जाय, और उठने पर फिर दूध के लिये रोने लगे, सब्ज पीले रंग के दस्त आने लगे, तब उसकी चिकित्सा न करने से उसे हैजे की सी शिकायत हो जाती है, बच्चा मरणासन्न हो जाता है। इन शिकायतों में इथूजा बच्चे का परम मित्र है।
(4) परीक्षा के समय की थकावट, ध्यान केन्द्रित न कर सकना (Examination funk) – इथूजा के लक्षणों में “वह कुछ पढ़ नहीं सकता, मानसिक-कार्य नहीं कर सकता, किसी विचार पर जम नहीं सकता, मस्तिष्क साफ नहीं रहता।” प्राय: विद्यार्थी परीक्षा के समय ऐसी मानसिक दशा अनुभव करते हैं जब मन में और कुछ समा नहीं सकता, कितना भी विद्यार्थी प्रयत्न करे मन कुछ ग्रहण नहीं कर सकता। उस समय मन की इस थकावट को इथूजा दूर कर देता है।
इथूजा, अर्जेन्टम नाइट्रिकम तथा जेलसीमियम की ध्यान केन्द्रित न कर सकने में तुलना – मन की इस प्रकार की थकावट में तीन दवाओं की तरफ ध्यान जाता है। इथूजा में तो पढ़ते-पढ़ते दिमाग थक जाता है, आगे काम नहीं करता, जैसा परीक्षा से पहले हुआ करता है। अर्जेन्टम नाइट्रिकम में घबराहट, चिन्ता, परीक्षा में फेल हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। साधारण-से कारण के उपस्थित होने पर इस्त आ जाता है, अपनी असमर्थता की पूर्व-कल्पना के भय (Anticipatory fear) से घबराहट होने लगती है। जेलसीमियम में भी अर्जेन्टम नाइट्रिकम का यह लक्षण रहता है। इथूजा मस्तिष्क की थकावट को सूचित करता है, अर्जेन्टम नाइट्रिकम मानसिक तनाव, घबराहट, आशंका का द्योतक है। इसके अतिरिक्त इथूजा में पेट की शिकायत होती है, उलटी आती है; अर्जेन्टम नाइट्रिकम में पेट फूल जाता है, उसमें हवा भरी होती है, उल्टी आती है, हवा भरी होने के कारण बदहजमी होती है, ऐसा लगता है कि पेट फूट जायगा। इथूजा तथा अर्जेन्टम दोनों में दस्त आ जाते हैं, हरा आंव आता है। अर्जेन्टम मीठे का शौकीन होता है, परन्तु मीठा से आराम नहीं आता, मीठे से उसकी शिकायतें बढ़ जाती है।
केस 1
एक विद्यार्थी जो परीक्षा में बैठ रहा था शिकायत करने लगा कि उसका ध्यान बिल्कुल नहीं लगता, मन टिकने में असमर्थ हो गया है। उसे इथूजा दिया गया और वह परीक्षा में पूर्णतया सफल रहा। अपने मन की असमर्थकता के कारण उसने पढ़ना-लिखना ही छोड़ दिया था, परन्तु इथूजा ने उसकी मानसिक दशा को बदल दिया। जिन विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ने में नहीं लगता उनका इथूजा परम मित्र है। मस्तिष्क की थकावट और परीक्षा-भय को दूर करने के लिये पिकरिक एसिड भी उपयोगी है।
(5) ऐंठन में – बच्चों की ऐंठन में भी इथूजा बहुत लाभ पहुँचाता है। ऐंठन के समय बच्चा मुट्ठी बांध लेता है। उसकी आंखें नीचे की तरफ फिरी रहती हैं, चेहरा लाल हो जाता है, पुतलियां फैल जाती हैं, मुंह से झाग निकलती है। इथूजा लाभ करेगा।
इथूजा औषधि के अन्य लक्षण
(i) इथूजा औषधि का विशेष लक्षण यह है कि ज्वर, में प्यास बिल्कुल नहीं होती। यद्यपि गर्मी पर्याप्त लगती है।
(ii) गर्दन के चारों तरफ ग्रथियों (Glands) की माला-सी उभर आती है।
(iii) तेज कय, तेज अकड़न, तेज दर्द-सब शिकायतों में तेजी रहती है।
शक्ति और प्रकृति – 3, 30, 200 (औषधि ‘गर्म’ हैं)