Antimonium Crudum Benefits, Uses Antidote
आज मैं Antimonium crud के मानसिक लक्षण को व्यक्त करने का प्रयास करूँगा।
ऐसा व्यक्ति जब कोई बात उसके हृदय को प्रभावित कर दे, अंदर तक छु जाये, तो भले उसे बहुत गुस्सा आ जाता हो, वह गुस्सा दिखाने की जगह रोने लगता है कि उसने ये बात क्यों कही
उससे तो यह उम्मीद नहीं थी, पूरा यकीन था उस पर। बहुत प्यार करता था, आखिर उसने ऐसा कैसे किया। ऐसा व्यक्ति जो गुस्सा दिखाने की जगह रोने लग पड़े, Antimonium crud का रोगी होता है।
केस स्टडी : 50 वर्ष के व्यक्ति, अपने छोटे भाई के साथ बहुत प्यार था। वो अपने छोटे भाई को कम कीमत पर गाँव वाली ज़मीन ठेके पर देता था।
जब इस बार वो गाँव गया तो उसके छोटे भाई ने उसकी ज़मीन ठेके पर लेने से इंकार कर दिया और उसे कह दिया कि वह अपनी जमीन गाँव में किसी और को ठेके पर दे दे।
वो तो किसी और की जमीन को ठेके पर ले चूका है। यह सुनकर व्यक्ति का मन गुस्से से भर उठा और 50 साल की उम्र होने के बावजूद वो रोने लग पड़ा।
यह सोचकर कि उसके छोटे भाई ने ऐसा क्यों किया, उससे तो यह उम्मीद नहीं थी, पूरा यकीन था उस पर, बहुत प्यार करता था। Antimonium Crud दवा की केवल एक डोज ने उसके अन्य सभी रोग को ठीक कर दिया।
होमियोपैथी में व्यक्ति के मन की भावना को समझना बहुत जरुरी है। मैं यहाँ जो कुछ भी बताता हूँ, वो बहुत ही गूढ़ बात है।
Antimonium Crud में चांदनी में रोमांचित विचार आना, जबान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप होना, गठिये का शांत होकर अन्य रोग में बदल जाना ऐसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं
परन्तु मन के लक्षण को देखना सबसे मुख्य है। ऐसा मन का लक्षण मिलने पर Antimonium Crud पर अवश्य ध्यान दें।
Antimonium Crudum का लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) बच्चा अपरिचित व्यक्ति द्वारा छूने या अपनी तरफ ताकने से ही रोने लगता है; युवा का चिड़चिड़ा स्वभाव
(2) चांदनी में रोमान्तिक विचार
(3) जबान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप
(4) ग्रीष्म-ऋतु का अतिसार (डायरिया)
(5) वृद्धावस्था की कब्जियत तथा पतले दस्तों का पर्याय-क्रम-आना-जाना
(6) बवासीर के मस्सों से आंव आते रहना
(7) गठिये का शांत होकर अन्य रोग में बदल जाना
(8) तलुओं में गट्टे पड़ने से चलने में दर्द
(9) त्वचा की फुंसियां
Antimonium Crudum का लक्षणों में कमी
(i) खुली हवा में रोग में कमी
(ii) गर्म जल में स्नान से रोग में कमी
(iii) आराम से रोग में कमी
Antimonium Crudum लक्षणों में वृद्धि
(i) अत्यधिक ठंड से रोग बढ़ना
(ii) अत्यधिक गर्मी से रोग बढ़ना
(iii) सूर्य या आग की गर्मी से रोग बढ़ना
(iv) शीतल जल में स्नान से रोग बढ़ना
(v) खाने के बाद रोग बढ़ना
(vi) खटाई या खट्टी शराब से रोग बढ़ना
(vii) सिर पर पानी डालने से रोग बढ़ना
(1) बच्चा अपरिचित व्यक्ति द्वारा छूने या अपनी तरफ ताकने से ही रोने लगता है; युवा का चिड़चिड़ा स्वभाव – ये मानसिक-लक्षण बच्चे तथा युवा दोनों में पाये जाते हैं। बच्चा तो इतना चिड़चिड़ा हो जाता है कि अगर कोई अपरिचित व्यक्ति उसकी तरफ देख भी ले तो वह नाराजगी जाहिर करता है, छूने से तो रो ही देता है। युवा-व्यक्ति का भी स्वभाव उदास, दु:खी रहने का होता हैं। छोटी-छोटी बात पर दिल को चोट लगती है। युवा-व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है। वह इतना दु:खी रहने लगता है कि जीवन से ही उपराम हो जाता है। आत्म-हत्या करना चाहता है। एन्टिमोनियम क्रूडम औषधि में मन की बड़ी खिन्न-दशा उत्पन्न हो जाती हैं, भयंकर दशा। जीवन के प्रति इच्छा ही नहीं रहती। ऐसे व्यक्ति की जीवनी-शक्ति के केन्द्र में कुछ ऐसी विघटनकारिता उत्पन्न हो जाती हैं जिसे हटाना कठिन होता है। इसका विलक्षण-लक्षण यह है कि रोगी अपने को शूट करके मारना चाहता है। यह विचार उस पर इतना हावी हो जाता है कि इससे छुटकारा पाने के लिये उसे बिस्तर छोड़ देना पड़ता है। रोगी की डूब कर मरने की इच्छा होती है। चिड़चिड़े स्वभाव में कई अन्य दवायें भी दी जाती हैं जिनकी ऐन्टिम क्रूड से तुलना कर लेना उचित है। वे हैं ऐन्टिम टार्ट, कैमोमिला, सिना, आयोडियम, सैनिक्यूला तथा साइलीशिया।
चिड़चिड़े-स्वभाव की मुख्य-मुख्य होम्योपैथिक दवा
ऐन्टिम टार्ट और चिड़चिड़ा-स्वभाव – ऐन्टिम क्रुड में तो शिकायत का केन्द्र पेट होता है, बदहजमी होती है, ऐन्टिम टार्ट में शिकायत का केन्द्र फेफड़े होते हैं, छाती में बलगम की घड़घड़ाहट होती है।
कैमोमिला और चिड़चिड़ा-स्वभाव-ऐन्टिम क्रूड में बच्चा उसकी तरफ ताकने से या उसे छूने से परेशान हो जाता है, परन्तु कैमोमिला में ऐसा नहीं होता, बच्चे को गोद में लेकर जल्दी-जल्दी घुमाने से उसे शांति मिलती है, वह रोना-चिल्लाना बन्द कर देता है।
सिना और चिड़चिड़ा-स्वभाव-ऐनिटम क्रूड में बच्चे की जबान सफेद, दूध की-सी मैली होती है, सिना में जबान बिल्कुल साफ होती है, परन्तु उसके पेट में कीड़े होते हैं, वह नाक को बार-बार खुजलाता है और चिड़चिड़ा होता है।
आयोडियम और चिड़चिड़ा-स्वभाव – इसमें बच्चा हर समय भूखा रहता है, हर समय कुछ खाने को मांगता है, और खाने-पीने पर भी कमजोर होता जाता है, हर समय चिल्लाया करता है।
सैनिक्यूला और चिड़चिड़ा-स्वभाव – चिड़चिड़ाहट जाहिर करता हुआ भी अगर पुचकारा जाय, प्यार से उससे बात की जाय, तो बच्चा झट बोलने हसने लगता है। सोते समय सिर और गर्दन पर पसीना आता है और जाड़े में भी रजाई परे फेंक देता है।
साइलीशिया और चिड़चिड़ा-स्वभाव – इसका सिर और पेट बड़ा होता है, शरीर सारा कमजोर होता है और सिर पर पसीना आता है, सर्दी को बहुत मानता है। इन लक्षणों के साथ चिड़चिड़ाहट जाहिर करता है।
(2) चांदनी में रोमान्तिक विचार – ऐन्टिम क्रूड के रोगियों में चांद की रोशनी में भावोद्रेक हो उठता है। हताश प्रेमियों के चित्त की प्राय: ऐसी मानसिक अवस्था हो जाती है। खिड़की से चांद की मीठी-मीठी रोशनी आ रही हो तो उसे देखकर चित्त उद्वेलित हो जाता है, कविता करने को जी करता है। ऐसा रोगी भावाभिभूत होता है। प्रेम का प्रतिफल न मिलने में निराशा से जो लक्षण उत्पन्न होते हैं वे नैट्रम म्यूर और ऐसिड फॉस में भी हैं।
(3) जुबान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप – ऐन्टिम क्रूड औषधि के विषय में डॉ कैन्ट लिखते हैं कि किसी प्रकार के रोग से भी रोगी क्यों न क्लेश पा रहा हो, उस क्लेश में पेट का हिस्सा अवश्य होता है। जब भी यह रोगी पेट को ख़राब कर लेता है, तो उसकी समूची सत्ता क्लेशमय हो जाती है। जिन रोगियों के कष्टों का उदगम पेट के खराब होने से होता है उन्हें ऐन्टिम क्रूड औषधि की आवश्यकता होती है। इसकी परख है -जबान पर दूध की तरह का मैला तथा मोटा सफेद लेप। इस औषधि का विशेष गुण यह है कि श्लैष्मिक-झिल्ली से सफेद रस बह निकलता है जो विशेष तौर से जुबान पर आकर जमा हो जाता है। जिस किसी रोग में भी इस दवा की आवश्यकता होगी उसमें जीभ पर सफेद लेप अवश्य होगा। बच्चों की पेट की खराबी में, पेट की खराबी के कारण होने वाले बुखार में, अपचन के कारण बार-बार उल्टी आने में जीभ का सफेद होना इस औषधि का विशिष्ट लक्षण है। जीभ की सफेदी अनेक औषधियों में हैं, परन्तु ऐन्टिम क्रूड औषधि जितनी सफेदी किसी दूसरी में नहीं है। अतिभोजन के बाद उल्टी या जा मिचलाना, जो खाया है उसका वैसा ही डकार आना, और फिर जीभ का सफेद लेप – यह सब इस औषधि से जल्दी ठीक हो जाता है।
(4) ग्रीष्म-ऋतु का अतिसार – ग्रीष्म-ऋतु में पेट की खराबी से ऐसे दस्त आने लगते हैं कि पहले ठीक शौच आता है और साथ थोड़ा सा पनीला दस्त आ जाता है, फिर थोड़ी ही देर के बाद दुबारा जाना पड़ता है, तब कुछ ठोस शौच और साथ में पनीला दस्त आता है। अन्त में पेट खाली हो जाता है, और मरोड़ आने लगता है। यह अतिसार डिसेन्ट्री का रूप धारण कर लेता है। यह कुछ ठोस और कुछ द्रव रूप में आने वाली टट्टी पेट की खराबी के कारण आती है। इस लक्षण के साथ जीभ की सफेदी की तरफ भी ध्यान दे देना उचित हैं।
(5) वृद्धावस्था की कब्जियत तथा पतले दस्तों का पर्याय-क्रम – वृद्धावस्था में प्राय: पेट की खराबी से पतले दस्त और बाद में कब्ज, फिर दस्त, फिर कब्ज, इस प्रकार पर्याय-क्रम से एक-दूसरे के बाद कब्ज और दस्त आते हैं। यह भी पेट की खराबी से होता है, और इसमें ऐन्टिम क्रूड औषधि गुणकारक है।
(6) बवासीर के मस्सों से आंव आते रहना (Mucous piles) – आंव वाली बवासीर की ऐन्टिम क्रूड उत्तम औषधि है। गुदा से निरन्तर आंव के निकलते रहने से अन्दर का कपड़ा खराब हो जाता है जिससे रोगी परेशान रहता है।
(7) गठिये का शान्त होकर अन्य रोग में बदल जाना (Gouty metastasis) – कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि गठिया एकदम एक रात में ही शान्त हो जाता है, परन्तु उसके स्थान में रोगी निरन्तर उल्टी करने लगता है। हाथ-पांव का गठिये का दर्द बदल कर उसके स्थान में पेट के रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इसके बाद जब गठिये वाले पहले लक्षण फिर प्रकट होते हैं तब अपना पहला स्थान बदल देते हैं। ऐसे लक्षणों में ऐन्टिम क्रूड औषधि लाभप्रद है।
(8) पैर के तुलवों में गट्टे पड़ने से चलने में पीड़ा होना – पैर के तलुवों में गट्टे (Corns) पड़ जाते हैं, रोगी के तलुवे असहिष्णु हो जाते हैं। तलुवों की इस असिष्णुता के ‘विशिष्ट-लक्षण’ (Characteristic symptom) के आधार पर कई गठियाग्रस्त रोगी ठीक होते देखें गये हैं। पैर के तलुवों के इन लक्षणों में इसकी निम्न औषधियों से तुलना की जा सकती हैं:
पैर के तलुओं के गट्टों में दर्द की मुख्य-मुख्य होम्योपैथिक दवा
बैराइटा कार्ब – पैरों में पसीना आने के कारण पैर के तलुवों की असहिष्णुता
पल्सेटिला – तलुवे असहिष्णु ही नहीं पर दर्द भी करते हैं।
लाइकोपोडियम – पैर के तलुवे सूज जाते हैं और दर्द करते हैं।
लीडम – चलते समय एड़ी और पैर की अंगुलियां दर्द करती हैं।
मैडोराइनम – रोगी पैरों से चल ही नहीं सकता, घुटनों के बल चलता है।
(9) त्वचा पर फुन्सियां – डॉ० क्लोटर मुल्लर का कहना है कि त्वचा की फुन्सियों के लिये जो चुभती सी हैं, खुजली करती हैं और जिन्हें रगड़ने घिसने से त्वचा में कुछ मीठा-मीठा दर्द-सा होने लगता है उसके लिये ऐन्टिम क्रूड अद्भुत औषधि हैं।
Video 1 On Antim Crud
ऐन्टिम क्रूड औषधि के अन्य लक्षण
(i) यह एक विचित्र लक्षण है कि हूपिंग कफ में बच्चा अगर आग की तरफ देखे तो खांसी बढ़ जाती है, हालांकि आग के सेक से खांसी को आराम आना चाहिये।
(ii) अनेक लक्षण सूर्य के ताप से प्रकट होने लगते हैं, गर्म अंगीठी के सेक से रोग लक्षण बढ़ जाते हैं। ब्रायोनिया, ग्लोनायन, जेल्सीमियम तथ नैट्रम कार्ब में भी ऐसा ही होता है।
(iii) ठंडे पानी से स्नान से भी इसके लक्षण बढ़ जाते हैं। डॉ० नैश लिखते हैं कि अगर रोगी कहे कि जब वह खूब नहाया और खूब तैरा, तब से उसके रोग का श्रीगणेश हुआ, ऐसी हालत में ऐन्टिम क्रूड की तरफ ध्यान जाना उचित है।
(iv) ठंडी हवा से गर्म कमरे में आने से खांसी बढ़ जाती है। ब्रायोनिया में भी ऐसा ही है।
(v) नकुरे और मुंह के किनारे चिटके रहते हैं।
(vi) नाखून चिटके, खुरखुरे, बदसूरत दीखते हैं, असिनी से टूट जाते हैं।
(vi) जवानी में मुटापा आ जाने पर ऐन्टिम क्रूड दवा लाभ करती है।
(viii) प्रेम का बदला न पाने से मानसिक कष्ट अथवा रोग में यह लाभप्रद है।
ऐसा व्यक्ति जब कोई बात उसके हृदय को प्रभावित कर दे, अंदर तक छु जाये, तो भले उसे बहुत गुस्सा आ जाता हो, वह गुस्सा दिखाने की जगह रोने लगता है कि उसने ये बात क्यों कही। उससे तो यह उम्मीद नहीं थी, पूरा यकीन था उस पर। बहुत प्यार करता था, आखिर उसने ऐसा कैसे किया। ऐसा व्यक्ति जो गुस्सा दिखाने की जगह रोने लग पड़े, Antimonium crud का रोगी होता है।
होमियोपैथी में व्यक्ति के मन की भावना को समझना बहुत जरुरी है। मैं यहाँ जो कुछ भी बताता हूँ, वो बहुत ही गूढ़ बात है। Antimonium Crud में चांदनी में रोमांचित विचार आना, जबान पर दूध की तरह का मैला सफेद लेप होना, गठिये का शांत होकर अन्य रोग में बदल जाना ऐसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं, परन्तु मन के लक्षण को देखना सबसे मुख्य है। ऐसा मन का लक्षण मिलने पर Antimonium Crud पर अवश्य ध्यान दें।
Video 2 On Antim Crud
शक्ति तथा प्रकृति – 3, 6, 12, 30, 200 (औषधि ‘सर्द’- प्रकृति के लिये है)