लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) शोथ में सर्दी से शिकायतों का बढ़ना (एपिस तथा ऐपोसाइनम की तुलना)
(2) रोगी पानी खूब पीता है परन्तु न पेशाब आता है न पसीना और शरीर को कोष्ट जल-संचय को कारण शोथ
से फूलते जाते हैं।
(3) जलन्धर (Dropsy) रोग में ब्लैटा ओरियेन्टेलिस एपिस से भी ज्यादा लाभप्रद हैं।
(4) बच्चों के सिर में पानी का संचय
(5) लम्बी लटकने वाली बीमारी में शोथ
लक्षणों में कमी
(i) गर्मी से रोग में कमी
लक्षणों में वृद्धि
(i) ठंडी मौसम से रोग में वृद्धि
(ii) ठंडे पानी से रोग में वृद्धि
(iii) कपड़ा उतारने से रोग में वृद्धि
(1) शोथ में सर्दी से शिकायतों का बढ़ना (एपिस तथा ऐपोसाइनम की तुलना) – शोथ में एपिस तथा ऐयोसाइनम की समानता है। इन दोनों में शोथ के लक्षणों की इतनी समानता है कि अगर ‘सर्दी से रोग का बढ़ना’ – इस लक्षण को छोड़ दिया जाय, तो केवल शोथ को देखकर, चिकित्सक पहले एपिस देने का प्रयास करेगा। परन्तु एपिस तथा ऐपोसाइनम में महान् भेद यह है कि एपिस का शोथ गर्मी से बढ़ता और ठंडक से घटता है, ऐपासाइनम का शोथ ठीक उल्टा गर्मी से घटता और ठंड से बढ़ता है।
(2) रोगी पानी खूब पीता है परन्तु न पेशाब आता है न पसीना और शरीर के कोष्ट जल-संचय के कारण शोथ से फूलते जाते हैं – एपिस का रोगी तो पानी पीता ही नहीं, परन्तु ऐपोसाइनम का रोगी काफी पीता है, फिर भी उसे पसीना बिल्कुल नहीं आता, पेशाब भी थोड़ा ही आता है। उसका शरीर पानी लेता है, निकालता नहीं। रोगी सोचा करता है कि अगर उसे पसीना आ जाय तो वह ठीक हो जाय, परन्तु पसीना आने का नाम नहीं लेता। यह सारा पानी जो वह पीता है जाता कहां है? यह पानी उसके शरीर के कोष्ठकों में जमा होता रहता है और इसी से शोथ हो जाती है। इस शोथ और जल-संचय के साथ रोगी शीत को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
(3) जलंधर-रोग में ब्लैटा ओरियन्टेलिस एपिस से भी ज्यादा लाभप्रद है – जलंधर रोग में जब एपिस, ऐपोसाइनम, डिजिटेलिस आदि भी असफल हो जाते हैं, वहां ब्लैटा ओरियेन्टेलिस से लाभ होता पाया गया है। ब्लैटा ओरियेन्टेलिस विशेष कर दमे में दी जाती हैं। इसकी मात्रा 2-3 बूंद बार-बार देनी होती हैं।
(4) बच्चों के सिर में पानी भर जाना – शरीर के किसी अंग में भी पानी भर जाना ऐपोसाइनम औषधि का चरित्रगत लक्षण है। इसी आधार पर ‘मस्तिष्कोदक’ रोग में जिसमें बच्चे के सिर में पानी जमा हो जाता है ऐपोसाइनम औषधि बड़ा लाभ करती है।
(5) लम्बी लटकने वाली बीमारी में शोथ – कई बार बीमारी बहुत लम्बी हो जाती हैं। बीमारी के लक्षण लटकते रहते हैं, जा नहीं पाते। रोगी अत्यन्त निर्बल, पसीना नहीं आता, शरीर में शोथ के लक्षण दीखने लगते हैं। प्राय: टाइफॉयड आदि में जो देर तक ठीक नहीं होता ये लक्षण प्रकट हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में ऐपोसाइनम औषधि लाभप्रद है।
शक्ति – टिंचर की 10 बूंद दिन में तीन बार। औषधि सर्द प्रकृति के लिये है।