व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग प्रकृति | लक्षणों में कमी |
देश तथा काल का अतिरंजित दीखना | ठडक; खुली हवा; आराम |
मानसिक-भ्रम जीवन पर छा जाता है | लक्षणों में वृद्धि |
रोगी वाक्य समाप्त नहीं कर सकता है | ठडक; खुली हवा; आराम |
खोपड़ी की हड्डी एक बार खुलती और एक बार बन्द होती मालूम देती है | तम्बाकू, शराब से वृद्धि |
सुजाक की प्रथमावस्था में लाभदायक है | पेशाब करने के समय कष्ट |
(1) देश तथा काल का अतिरंजित दीखना – कैनाबिस इंडिका भांग का नाम है। इस देश में भांग का नशा करनेवालों की कमी नहीं है। इसका मन पर असीम प्रभाव है। रोगी को समीप की चीज मीलों दूर दीखती है, हाल ही का किया हुआ कार्य न जाने कब का किया हुआ प्रतीत होता है। मकान में बैठा रहेगा तो कहेगा आसमान पर बैठा हूँ, अभी भोजन खाकर उठ चुका होगा तो कहेगा भोजन किये महीनों हो गये। एक गज एक मील और एक मिनट एक दिन महसूस करता है। देश तथा काल के विषय में उसकी धारणा अतिरंजित तथा भ्रममूलक हो जाती है।
(2) मानसिक-भ्रम जीवन पर छा जाता है – देश और काल के विषय में तो उसका भ्रम विशेष रूप से आता है, परन्तु इसके अतिरिक्त भी उसका सारा जीवन भ्रम से छा जाता है। वह अपने को राजा, मसीहा या कोई महापुरुष समझता है। वह बाकायदा सोच नहीं सकता। कभी कहता है मैं मर गया हूँ, मुझे लोग जलाने के लिये ले जा रहे हैं, कभी कहता है मैं उड़ रहा हूँ। एक लड़की जो मोटर चलाना तक नहीं जानती थी, मोटर को देखकर अपने साथियों से कहती थी कि यह मोटर मेरी है, आओ । तुम्हें सैर करा लाऊ। बाजार में जाती थी, तो उसे प्रतीत होता था कि गेंडा उसका पीछा कर रहा है। वह इस औषधि से ठीक हो गई। उसे अपने हाथ-पैर अत्यन्त लम्बे प्रतीत होते हैं, अपनी खूबसूरती पर मोहित रहती है। अपनी चेतना को दो रूपों में देखने लगती है। अपने विषय में कहती है कि मैं अपने को आसमान में उड़ते, ऐंजिन की तरह चलते देख रही हूँ। चित्त की प्रकृति ऐसी हो जाती है कि हंसने का ख्याल आ जाय तो हंसती रहती है, रोने का ख्याल आ जाय तो रोती रहती है। जो विचार उसे पकड़ ले वह उसे छोड़ता नहीं।
(3) रोगी वाक्य समाप्त नहीं कर सकता – डॉ० नैश एक स्त्री का उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि उसे जलोदर था, हृदय की बीमारी भी थी। जब यह ठीक हुआ तो उसका बोलना बन्द हो गया। वह एक वाक्य शुरू करती थी, परन्तु आधा वाक्य कह कर भूल जाती थी कि वह क्या कहना चाहती थी। इस असमर्थता के कारण वह चिल्लाने लगती थी। उसे इस औषधि को लगातार कई दिन तक दिया गया, वह ठीक हो गई।
https://youtu.be/b8aZPomraB4
(4) खोपड़ी की हड्डी एक बार खुलती और एक बार बन्द होती मालूम होती है – रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसकी खोपड़ी की हड्डी एक बार खुलती है, एक बार बन्द हो जाती है। इस अनुभव के बाद सिर के दाईं तरफ़ दर्द होने लगता है।
(5) सुज़ाक की प्रथम-अवस्था में लाभदायक है – इस औषधि से सुजाक के रोगी को लाभ होता है। सुजाक में जब लिंग अपने-आप उत्तेजित हो जाय, और रोगी को अत्यन्त दर्द हो, तो इससे फायदा होता है। सुजाक की प्रथमावस्था में रोगी का इलाज इससे या कैनेबिस सैटाइवा से शुरू किया जाता है। पेशाब में पीला पस आता है, पेशाब करने के बाद बूंद-बूंद टपकता है। पेशाब करने से पूर्व, करते समय, और पेशाब कर चुकने पर मूत्र-प्रणालिका में जलन होती है। गुर्दे में भी हल्का-हल्का दर्द होता है। इन लक्षणों में इससे लाभ होता है।
(6) शक्ति-मूल अर्क 6, 30, 200