इस ग्रन्थि का कुछ अंश वक्ष में वक्ष-अस्थि (Sternum) के पीछे और कुछ भाग ग्रीवा के नीचे के भाग में रहता है । जन्म के समय इसका मार 17 से 37 ग्राम तथा 11 से 15 वर्ष की आयु में 37 से 52 ग्राम होता है । पन्द्रह वर्ष की आयु के बाद इसका भार घटने लगता है और 65 वर्ष की आयु में इसका भार मात्र 6 ग्राम रह जाता है । प्राय: इसकी लम्बाई ढाई इंच और चौड़ाई 1 इंच के लगभग होती है । इसका रंग गुलाबी तथा धूसर वर्ण का होता है ।
थाइमस ग्रन्थि के कार्य
हालाँकि इस ग्रन्थि के विशेष कार्य अभी तक ज्ञात नहीं हो सके हैं, फिर भी जो कार्य अभी तक प्रकाश में आये हैं, वे निम्नलिखित हैं –
• यह ग्रन्थि वसा के काम को घटाने में सहयोग देती है ।
• इसको शरीर से निकाल देने पर अथवा इसके खराब हो जाने से मनुष्य छोटा और दुर्बल हो जाया करता है ।
• इसके अधिक बढ़ जाने से बच्चों की कभी-कभी अचानक ही मृत्यु हो जाती है ।
• कई शरीर शास्त्रियों का कथन है कि थाइमस ग्रन्थि का जननेन्द्रियों (लिंग, अण्डकोष तथा योनि आदि अंगों) के साथ कुछ न कुछ सम्बन्ध अवश्य है क्योंकि बचपन में इस ग्रन्थि को निकाल देने से जननेन्द्रिय समय से पहले ही बढ़ जाती है ।
• कभी-कभी इसकी कमी से मनुष्य दमा (Asthma) रोग से पीड़ित होता भी देखा गया है ।