थायराइड ग्रन्थि की बनावट (Structure of Thyroid Gland)
यह स्वर यन्त्र के सामने रहती है। इसकी वृद्धि को ‘घेंघा’ (Goitre) कहा जाता है । इसकी आकृति चूल्हे जैसी होने के कारण ही इसको चुल्लिका या थायराइड ग्रन्थि कहा जाता है । इसका भार लगभग 30 ग्राम होता है । इसका रंग पीलापन लिये हुए भूरा होता है। यह एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ बनाती है जिसमें विशेष रूप से ‘आयोडीन’ होती है ।
यह ग्रन्थि स्वर यन्त्र के समीप द्विपल्लित ग्रन्थि है । ग्रन्थि के दोनों पिण्ड ऊपर की ओर फैले तथा नीचे की ओर जुड़े होते हैं। प्रत्येक पिण्ड लगभग 5 से०मी० लम्बा तथा 3 से०मी० चौड़ा होता है । इसका रंग भूरा तथा लाल होता है । ग्रन्थि में पीले रंग का थायरोक्सिन (Thyroxin) नामक हारमोन बनता है । थायरोक्सिन का मुख्य भाग ‘आयोडीन’ होता है। भोजन में आयोडीन की कमी होने से यह ग्रन्थि आकार में फूलने लगती है, जिससे गले के पास फूला हुआ भाग दिखाई देता है। इसी रोग को ‘घेंघा’ रोग कहते हैं। इस रोग को भोजन के आयोडीन युक्त लवण (salt) खाने से ठीक किया जा बचा है। इस हारमोन का मुख्य कार्य शरीर की चयापचयन क्रियाओं (मेटाबोलिक एक्टीविटीज) पर नियन्त्रण तथा नियमन करना होता है। शरीर में इसकी कमी से हृदय की गति धीमी, शरीर में सुस्ती, मस्तिष्क की कमजोरी आदि रोग हो जाते हैं ।
प्रारम्भ में यदि इस ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो हड्डियों और बुद्धि का विकास रुक जाता है । वृद्धावस्था में इस हारमोन की कमी के कारण वृद्ध मनुष्यों को ठण्ड अधिक लगती है । यह हारमोन आवश्यकता से अधिक मात्रा में होना भी हानिकारक है । अधिक मात्रा में होने से चयापचयी क्रियाओं की गति तेज हो जाती है, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है तथा आँखें बाहर निकल आती हैं। इस दशा को ‘बहिनेत्र गलगण्ड’ कहा जाता है ।
थायराइड ग्रन्थि के कार्य
यह ग्रन्थि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसके कम अथवा अधिक काम करने से मानव का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है । इस ग्रन्थि के आवश्यकता से ‘कम’ काम करने से निम्नलिखित हानियाँ हुआ करती हैं :-
• बच्चे के शरीर की वृद्धि (विकास) कम हो जाता है । यदि वृद्धि होती भी है तो बहुत धीरे-धीरे । 16 साल का बच्चा 5 साल का जैसा लगता है।
• बच्चे की जीभ बड़ी भी होती है और वह मुख से बाहर निकली रहती है। जीभ से हर समय थूक निकला करता है ।
• बच्चे बौने रह जाते हैं । बच्चा अपने सहारे खड़ा नहीं रह सकता ।
• बुद्धि (दिमाग) कमजोर हो जाता है ।
थायराइड ग्रन्थि के आवश्यकता से अधिक काम करने से हमें निम्नलिखित हानियाँ हुआ करती है –
• आँखें इतनी आगे को निकल आती हैं कि पलकें, आँखों को अच्छी तरह ढक नहीं सकते। ऐसा मालूम होता है कि मानो नेत्र बाहर को निकल आयेंगे।
• हाथ काँपने लगते हैं और बाल गिर जाते हैं ।
• हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। नाड़ी की गति 70-75 होने के स्थान पर 100 से 150 तक बढ़ जाया करती है । शारीरिक और मानसिक दुर्बलता बढ़ जाती है ।
थायराइड ग्रन्थि से लाभ
इस ग्रन्थि के कम अथा अधिक काम करने से मानव शरीर में उपर्युक्त हानियाँ हुआ करती हैं किन्तु ठीक-ठीक काम करने से निम्नलिखित लाभ भी हुआ करते हैं :-
• यह शरीर में उत्पन्न होने वाले जहरीले पदार्थों को नष्ट करके मानव शरीर की रक्षा करती है।
• यह यकृत को ग्लाइकोजन से शक्कर बनाने में सहायता करती है।
• खटिक (कैल्शियम) और वसा के संवर्त्तन (मैटाबोल्जियम ऑफ कैल्शियम एण्ड फैट) से इस ग्रन्थि का विशेष सम्बन्ध है। किसी मनुष्य के शरीर से इस ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो वह ‘मोटा’ होता चला जायेगा।
विशेष – इस बात का सदैव ध्यान रखें कि इस ग्रथि का पोषण मुख्यत: दूध अथवा उन पदार्थों के सेवन से होता है जिसमे आयोडीन विशेष रूप से होती है। जैसे अण्डा, प्याज, लहसुन, मूली आदि।
अधिक शारीरिक परिश्रम से इसकी क्रिया और हमारे शरीर में आयोडीन की मात्रा बहुत बढ़ जाया करती है। इसके अलावा मनोभावों की तीव्रता के अनुसार भी इस ग्रन्थि का कार्य घटता बढ़ता रहता है । सच तो यह है कि चिन्ता, क्रोध और उद्वेग आदि मनोभावों में इससे अधिक स्राव
उत्पन्न होता है।