1. धमनी (Artery) – जो रक्त नली रक्त को हृदय से लेकर दूसरे अंगों में पहुँचाती हैं और जिसकी दीवारें मोटी तथा लचीली होती हैं एवं जिसमें शुद्ध रक्त भरा रहता है उसे ‘धमनी’ कहते हैं ।
2. शिरा (vein) – जो नाड़ी रक्त को दूसरे अंगों से हृदय की ओर लाती है जिसमें अशुद्ध नीला रक्त भरा रहता है और जिसकी दीवारें पतली तथा कमजोर होती हैं उसे ‘शिरा’ कहते हैं।
3. कोशिका (Capillaries) – बाल से भी बारीक धमनियों को (कैपिलरीज) कोशिका कहते हैं। यह लगभग 1/2000 इंच मोटी सिर के बाल से भी बारीक होती हैं। यह सारे शरीर में जाल की तरह फैली हुई हैं। यदि शरीर की सब कोशिकाओं को निकाल कर फैला दिया जाये तो वे हजारों मील तक फैल जायेंगी।
हृदय-गति की दर एवं रक्तचाप में सम्बन्ध
(Relation of Heart Rate with Blood Pressure)
आयु | नाड़ी की संख्या (प्रति मिनट) |
नवजात शिशु | 140 प्र.मि.मी. |
एक वर्ष का शिशु | 120 प्र.मि.मी. |
दो वर्ष का शिशु | 110 प्र.मि.मी. |
पांच वर्ष का बालक | 96-100 प्र.मि.मी. |
किशोरावस्था | 80-90 प्र.मि.मी. |
पौढ़ावस्था | 60-80 प्र.मि.मी. |
वृद्धावस्था | 55-60 प्र.मि.मी. |
रक्तदाब | |||
आयु | संकोच | प्रसार | |
नवजात शिशु | 70-90 प्र.मि.मी. | 50 प्र.मि.मी. | |
एक वर्ष का शिशु | 70-90 प्र.मि.मी. | 50 प्र.मि.मी. | |
दो वर्ष का शिशु | 70-90 प्र.मि.मी. | 50 प्र.मि.मी. | |
पांच वर्ष का बालक | 80-100 प्र.मि.मी. | 60 प्र.मि.मी. | |
किशोरावस्था | 90-110 प्र.मि.मी. | 60 प्र.मि.मी. | |
पौढ़ावस्था | 110-125 प्र.मि.मी. | 60-70 प्र.मि.मी. | |
वृद्धावस्था | 130-150 प्र.मि.मी. | 80-90 प्र.मि.मी. |
नोट – जन्म के समय हृदय गति तेज और रक्तचाप कम होता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है हृदय गति कम एवं रक्तचाप अधिक होने लगता है। जैसा की ऊपर के चार्ट में बताया गया है