विवरण – यह रोग दो प्रकार का होता है – (1) अधिक नींद आना तथा (2) नींद के झोंके आते रहना । अधिक नींद आने का रोग गरम देशों में अधिक पाया जाता है और यह ग्लोमिना नामक मक्खी के काटने से होता है। इस रोग के आरम्भ में पहले ज्वर, अशक्तता, सुस्ती, प्लीहा-वृद्धि, हाथ तथा पाँवों में कंपकंपी, उदासी, नाक तथा गले का फूलना एवं आवाज में जड़ता आदि उपसर्ग प्रकट होते हैं । फिर रोगी कई दिनों तक तन्द्रा अथवा गहरी नींद में मुर्दे जैसा पड़ा रहता है, यह जानना कठिन होता है कि वह जीवित है अथवा मर गया है। अन्त में उसकी मृत्यु हो जाती है । कुछ चिकित्सक इसे एक विशेष प्रकार का मलेरिया भी मानते हैं ।
नींद के झोंके आते रहने का रोग विभिन्न कारणों से होता है । रोगी में तन्द्रालुता के साथ ही कमजोरी तथा पसीना आने के लक्षण भी दिखाई देते हैं तथा उसकी लगातार सोते रहने की इच्छा बनी रहती है ।
अधिक नींद आते रहने की चिकित्सा
इस रोग में निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करें:-
आर्सेनिक या एण्टिम-टार्ट 3x वि० – इस (मक्खी द्वारा काटने वाले) रोग का पता लगते ही इनमें से किसी एक औषध का प्रयोग करना चाहिए ।
क्लोराइड-हाइड्रेट 2x – यदि उक्त औषधियों से कोई लाभ न हो तो यह औषध 3-4 घण्टे के अन्तर से देनी चाहिए। यदि एक-दो सप्ताह के बाद इस औषध के लाभ दिखाई दे तो इसे 2x के बदले 3x शक्ति में देना आरम्भ करना चाहिए। जब पर्याप्त लाभ दिखाई दे, तब इसे बन्द कर देना चाहिए ।
विशेष – यदि क्लोरल से कोई लाभ दिखलाई न दे तो लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों में से किसी का निर्वाचन करना चाहिए – ओपियम, हैलिबोरस, सल्फर, मास्कस, नैजा, नक्स-मस्केटा, लैकेसिस, कैलिब्रोम, ऐपिस, आर्स आदि ।
नींद के झोंके आने की चिकित्सा
इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ देनी चाहिए :-
नक्स-मस्केटा 6, 30 – सोने की लगातार इच्छा बने रहना, मोह-निद्रा, स्वप्नावस्था जैसी स्थिति तथा कुम्भकर्णी नींद में यह औषध लाभ करती है।
ऐण्टिम-टार्ट 30 – तन्द्रालुता के साथ कमजोरी, पसीना आना तथा लगातार सोने की इच्छा के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
साइक्लेमेन 3, 30 – आलस्य, निद्रालुता एवं रात के समय नींद में ही अथवा नींद के बिना टूटे ही खाँसी आने के लक्षणों में हितकर है। बच्चों के लिए यह विशेष लाभकारी है ।
फास्फोरस 30 – दिन में सोते रहना, रात को नींद न आना, नींद में स्वप्न आते रहना, कामोत्तेजक स्वप्नों की अधिकता, बे सिर-पैर के स्वप्न आना तथा नींद की बेचैनी आदि लक्षणों में लाभकर है ।
ओपियम 3 – अत्यधिक गहरी नींद तथा दिन में भी नींद में पड़े रहना-इन लक्षणों में प्रयोग करें ।
लाइकोपोडियम 30 – रात्रि को खाना खाने के बाद झट सो जाने की इच्छा में लाभकर है ।
सिन्नेबेरिस 3x – दिन में नींद आते रहना तथा रात को नींद न आना-इन लक्षणों में हितकर हैं ।
इनडौल 3, 6 – सोने की लगातार इच्छा में लाभकर है।
हल्का, सुपाच्य तथा पुष्टिकर भोजन करें । स्नान, व्यायाम तथा सामर्थ्य के अनुसार परिश्रम करते रहें। स्वच्छ वायु में टहलना, हर प्रकार की स्वच्छता तथा सोते समय मुँह एवं हाथ-पाँवों को ठण्डे पानी से धोकर पोंछ डालना, यदि सम्भव हो तो सम्पूर्ण शरीर को ही भिगोकर निचोड़े गये कपड़े से पोंछ डालना हितकर रहता है ।