पोडोफाइलम का होम्योपैथिक उपयोग
( Podophyllum Homeopathic Medicine In Hindi )
(1) गड़गड़ाहट के साथ दस्त अधिक परिमाण में होते हैं – इस औषधि के दस्त अधिक परिमाण में होते हैं, बहुत बड़े-बड़े पनीले दस्त आते हैं, रोगी को समझ नहीं आता कि इतने भारी दस्त कहां से आ रहे हैं। दस्त इतना भारी होता है कि प्रत्येक दस्त के बाद रोगी समझता है कि सब पानी बह गया और अब उसके अन्दर कुछ नहीं रहा, परन्तु उसके बाद फिर गड़गड़ाहट के साथ दूसरा दस्त आ जाता है। दस्तें आने के पहले गड़गड़ होना और फिर बहुत भारी बदबूदार बिना दर्द के दस्त होना – इस औषधि का लक्षण है। दस्त का रंग हरा या पीला होता है, खून मिला भी हो सकता है। दांत निकलते समय बच्चों में भी लाभ करता है।
(2) दस्त में बदबू आती है, दर्द नहीं होता – यह जो भारी दस्त आता है इसमें बेहद बदबू होती है। अगर दस्त में बदबू न हो, तो समझ लेना चाहिये कि इस औषधि का क्षेत्र नहीं है। इस दस्त में दर्द भी नहीं होता। दस्त ऐसे निकलता है जैसे नल में से पानी एकदम बह पड़ा हो।
(3) दस्त प्रात:काल आरंभ होकर दोपहर तक बन्द हो जाता या घट जाता है – इसके दस्तों की विशेषता यह है कि सवेरे शुरू हो जाता है, दिन के दस बजे तक बढ़ता रहता है, फिर घट जाता है, या शाम तक स्वाभाविक पाखाना आ जाता है। रोगी समझता है कि अब ठीक हो गया परन्तु अगले दिन सवेरे से फिर वैसे ही दस्त शुरू हो जाते हैं। सवेरे 4-5 बजे से पाखाना जाने की हाजत सल्फर में भी है, उसके दस्त भी दोपहर तक घट जाते हैं। दस्तों में पोडो और सल्फर का लक्षण प्रात:काल रोग का बढ़ जाना है।
(4) दस्त तथा कब्ज का प्रयाय-क्रम – रोगी को ठंड लगी, मानसिक उत्तेजना हुई, शक्ति से अधिक काम लिया, कच्चे फल खा गया, गरिष्ठ भोजन किया, या किसी भी कारण से दस्त आने लगे, दस्तों के बाद उसे कब्ज हो गई और हफ्तों वह कब्ज का शिकार रहा। टट्टी नहीं आती, टट्टी के सिर्फ कुछ ढेले मुश्किल से निकलते हैं। इस प्रकार दस्त और दस्तों के बाद कब्ज – यह पोडोफाइलम का लक्षण है। कभी दस्त, कभी कब्ज, इनका एक-दूसरे के बाद आते-जाते रहना इस औषधि में पाया जाता है।
(5) दस्तों तथा सिर-दर्द का पर्यायक्रम – रोगी को सिर-दर्द होता है, परन्तु सिर-दर्द, समय-समय पर आने वाला सिर-दर्द, किसी तरह का भी सिर-दर्द हो, अगर उसके बाद दस्त आने लगें और सिर-दर्द जाता रहे, दस्त बन्द होने के बाद फिर सिर-दर्द शुरू हो जाय, तो यह भी इसी औषधि का लक्षण है। प्राय: देखा जाता है कि पोडोफाइलम के दस्तों में जब इस औषधि की उच्च-शक्ति की मात्रा दी जाती है तब दस्त बन्द हो जाते हैं, और सिर-दर्द शुरू हो जाता है। इसका यही अभिप्राय है कि औषधि ने एकदम प्रभाव कर दिया है, दस्तों को रोक दिया है, और सिर-दर्द शुरू हो गया है। परन्तु ऐसी अवस्था में औषधि बदलना ठीक नहीं क्योंकि कुछ देर बाद जैसे दस्त चले गये, वैसे सिर-दर्द भी अपने-आप चला जायेगा।
(6) सिर-दर्द का जिगर की बीमारी से पर्याय-क्रम – जैसे दस्तों और सिर-दर्द के पर्यायक्रम में पोडो उपयोगी है, वैसे सिर-दर्द और जिगर की बीमारी के पर्यायक्रम में, एक रहे तो दूसरी न रहे – इस में भी यह औषधि उपयोगी है। जिगर की बीमारी के लक्षण हैं: जिगर के स्थान पर भारीपन, दर्द या मीठा दर्द रहता है, खांसने पर जिगर के स्थान पर दर्द होता है, भोजन के खट्टे डकार आते हैं, पीलिया हो जाता है, मुंह कड़वा रहता है, चक्कर आते हैं, और साथ ही दस्तों और कब्ज का भी पर्यायक्रम रहता है। पोडो मुख्य तौर पर जिगर के रोगों की दवा है।
(7) गुदा-द्वार या जरायु का बाहर निकल पड़ना – पाखाने के पहले और बाद में गुदा-द्वार का बाहर निकल पड़ना इसका चरित्रगत-लक्षण है। भारी वस्तु उठाने से स्त्रियों में जरायु भी अपने स्थान से बाहर आ सकता है।
(8) ज्वर सात बजे प्रात: आता है – रोगी को ज्वर प्रात: सात बजे आता है। सर्दी और ज्वर की अवस्था में रोगी बहुत बोलता है, और पसीने की अवस्था में सो जाता है। नींद के समय बहुत पसीना आता है।
(9) दाहिनी तरफ का रोग – इस औषधि का लाइको की तरह शरीर के दायें भाग पर विशेष प्रभाव है। दायें गले, दायें डिम्ब-कोश, दायीं कोख में दर्द आदि का आक्रमण होता है।
(10) शक्ति – 6, 30, 200