यह विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का सदस्य है जिसके अभाव में त्वचा पीली या सफेद हो जाती है, रक्ताल्पता हो जाती है तथा सीरम कोलेस्ट्रोल की वृद्धि हो जाती है। उपर्युक्त लक्षणों में इसका घनसत्त्व (Biotin Concentrates) के मौखिक प्रयोग से समस्त कष्ट 7-8 दिन में दूर हो जाते हैं ।
इसको ‘विटामिन एच’ और ‘एन्जाइम आर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह विटामिन बी वर्ग के अन्य सदस्यों की उपलब्धि के लिए आवश्यक प्राय: सभी पदार्थों में पाया जाता है । खमीर, यकृत, गुर्दे, मुर्गी के बच्चे, माँस, अण्डे, मटर और अन्य अनाजों में यह विटामिन उपस्थित रहता है । अंकुरित अनाजों में इसकी मात्रा बढ़ जाती है। प्राय: सभी खाद्य पदार्थों में बायोटिन संयुक्त रूप से पाया जाता है जिससे कि यह आँतों में होने वाली पाचन प्रक्रिया द्वारा स्वतन्त्र होता है। इस विटामिन के कार्यों के बारे में अभी निश्चित रूप से जानकारी नहीं है। तन्तु कोषों की वृद्धि क्षमता तथा क्रिया से इसका सम्बन्ध है । त्वचा के कोषों में बी वर्ग के बायोटिन, राइबोफ्लेविन, पेन्टोथेनिक एसिड आदि की अपेक्षाकृत अधिक उपस्थिति इस बात का संकेत है कि सभी पदार्थ त्वचा कोषों को मेटाबोलिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक हैं । मनुष्य में बायोटिन का प्रयोग त्वचा के उन विकारों के लिए किया गया है जिनमें सिबेशियस ग्रन्थियों की सक्रियता बढ़ जाती है । जैसे – मुँहासे, सिबोरिया, रोजेशिया इत्यादि ।
एडेनिलिक एसिड
यह भी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स समूह का सदस्य है । इसकी उपलब्धि यीस्ट (Yeast) द्वारा होती है। प्राय: पैलेग्रा रोग में तथा श्लैष्मिक कला के व्रण में इस विटामिन का प्रयोग लाभकारी है ।
नोट – इस विटामिन का विशुद्ध रूप मानव शरीर में कभी-कभी विषाक्त (Toxic) लक्षण भी पैदा कर सकते हैं। अत: इसके प्रयोग में पूर्ण सावधानी रखें।