व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग | लक्षणों में कमी |
किसी भी रोग में ऊंचे स्थान से नीचे की ओर गति से भय लगना | 11 बजे दोपहर या शाम को |
बच्चे का सोते-सोते साधारण से कारण से चौंक उठना | ठंड में रोग में कमी |
बालों का उलझ कर चिपक जाना होना | दाबने से आराम महसूस होना |
पलकों के बालों का अन्दर की ओर मुड़ जाना (परबाल) | |
युवा-स्त्रियों की नाक की चमकदार लाली | लक्षणों में वृद्धि |
मुँह आ जाना | नीचे की ओर गति से भय लगना |
बच्चे का पेशाब करने से पहले चीख उठना | अचानक आवाज से चौंक जाना |
श्वेत-प्रदर का गर्म पानी की धार की तरह बहना | शीत या नमी से वृद्धि |
झिल्ली के कारण मासिक-धर्म का कष्ट | ऋतु-स्राव होने के बाद रोग में वृद्धि |
बांझपन |
किसी भी स्थान से नीचे की ओर गति से भय होने पर होम्योपैथिक दवा
बोरेक्स यह औषधि विशेषकर बच्चों के काम की है। जब माता शिशु को गोद से पालने में डालने लगती है, तो नीचे के गति के कारण वह भय से जाग उठता है, माता को दोनों हाथों से पकड़ लेता है, चिल्लाता है। झूले में झुलाने से, जीने पर से उतरते हुए, पहाड़ से नीचे आते हुए डर जाना इस औषधि का मुख्य-लक्षण है। यह लक्षण अगर मुख्य रूप से दिखाई दे, तो अतिसार आदि बच्चे के रोग तथा अगर यह लक्षण वयस्क-व्यक्ति में पाया जाय, तो गठिया, स्त्री के मासिक-धर्म के कष्ट आदि रोग बोरेक्स औषधि से दूर हो जाते हैं।
बच्चे का सोते-सोते साधारण से कारण से चौंक उठना
बच्चा बहुत अधिक स्नायविक होता है, जरा-से में चौंक उठता है, किसी के खांसने, छींकने, कागज की कड़कड़ाहट, दियासलाई की रगड़ की आवाज से सोते-सोते चौंक उठता है, और पलंग को जोर से पकड़ लेता है। वैसे तो सब बच्चों में ये लक्षण कुछ-न-कुछ पाये जाते हैं, परन्तु अगर ये लक्षण बहुत बढ़े-चढ़े हों, ऐसे हो जिनकी तरफ माता का विशेष ध्यान जाता है, तब बोरेक्स देने से उसके दूसरे रोग चले जायेंगे। होम्योपैथी में मानसिक-लक्षणों का अन्य लक्षणों के मुकाबिले में प्रथम स्थान है।
बालों का उलझकर चिपक जाने का होम्योपैथिक दवा
बोरेक्स का एक विशेष-लक्षण यह है कि बालक के बाल चिपक जाते हैं, जटा-सी बन जाते हैं, कघी करना कठिन हो जाता है, बालों के अगले नोक एक-दूसरे से उलझ कर लट बंध जाती है। इनको काट दिया जाय, तो फिर जो नये बाल निकलते हैं वे भी इसी प्रकार उलझते हैं।
पलकों के बालों का अन्दर की ओर मुड़ जाने का होम्योपैथिक दवा (परवाल)
जैसे सिर के बाल उलझते हैं, वैसे आँखों की पलकों के बाल भी उलझ कर पलकों के अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं जिसे ‘परवाल’ कहा जाता है, परवाल की बोरेक्स उत्तम औषधि है।
युवा-स्त्रियों की नाक की चमकदार लाली का होम्योपैथिक दवा
अगर युवा स्त्रियों में नाक का अगला भाग लाली से चमकता हो, तो उसके अन्य रोगों को दूर करने के लिये बोरेक्स उत्तम दवा है।
मुंह आ जाना होम्योपैथिक दवा
मुंह आ जाने पर सोहागे का प्रयोग घरेलू दवाई के तौर पर सब जगह किया जाता है। बच्चों के मुंह आ जाने की यह उत्तम औषधि है। मुँह के अन्दर, होठों में, जीभ में, गाल के भीतरी भाग में छाले पड़ जाते हैं। मुँह आ-जाने-सरीखे छाले गले के भीतर, पेट में, यहां तक कि मल-द्वार तक पहुँच जाते हैं। इन सब में बोरेक्स लाभप्रद है। मुँह के छाले मक्यूंरियस में भी होते हैं, परन्तु उसमें मुँह से लार बहुत बहती है, बोरेक्स में नहीं। ब्रायोनिया में भी मुँह में घाव रहता है, परन्तु उसका कारण खुश्की है। ब्रायोनिया में बच्चा इस खुश्क घाव के दर्द के कारण स्तन-पान नहीं कर पाता, परन्तु कुछ घूंट पी लेने के बाद जब मुख तर हो जाता है। तब गटागट पीने लगता है। एरम के घाव में मुँह सूजा रहता है, शिशु के नाक के बाहर पपड़ियां जम जाती हैं, जिन्हें वह खून निकलने पर भी नोचता रहता है।
बच्चे का पेशाब करने से पहले चीख उठना
बच्चे को जब मुँह आ जाता है, भीतर के अंगों में छाले पड़ जाते हैं, तब श्लैष्मिक-झिल्ली की इस शोथ की अवस्था में पेशाब भी जलन के साथ आने लगता है। बच्चे को जब पेशाब की हाजत होती है, तब यह स्मरण करके कि पेशाब जलन के साथ आयगा, वह चीख उठता है। उसकी माता को उसके चीखने से पता चल जाता है कि वह पेशाब जायगा। इस लक्षण में बोरेक्स पेशाब की जलन को दूर कर देता है।
श्वेत-प्रदर का गर्म पानी की धार की तरह बहने का होम्योपैथिक दवा
श्वेत-प्रदर में बोरेक्स उत्तम-औषधि है। अंडे की सफेदी की तरह का गाढ़ा प्रदर होता है। रोगिणी अनुभव करती है कि गर्म पानी की धार बह निकली है।
झिल्ली को कारण मासिक-धर्म का कष्ट (Dysmenorrhea)
मासिक-धर्म में श्लैष्मिक-झिल्ली के कुछ टुकड़े निकलते हैं। क्योंकि यह झिल्ली रुधिर के प्रवाह को रोकती है इसलिये इसे बाहर धकेलने के लिये भीतर के अंगों से प्रसव-पीड़ा के समान दर्द उठता है, ऐसा अनुभव होता है कि भग में से जरायु बाहर निकल पड़ेगा। जबतक झिल्ली के ये टुकड़े बाहर नहीं निकल जाते तब-तक प्रसव-पीड़ा के सदृश अन्दर से दर्द उठता रहता है। ऐसे रोगी ऊपर से नीचे की गति से घबराया करते हैं। इस मासिक-धर्म के संबंध में, जिसका कारण उपरोक्त श्लैष्मिक-झिल्ली है, औषधि-निर्वाचन के लिये मुख्य-लक्षण रोगिणी का ऊपर से नीचे की गति से डरना, घबराना है। वह झूला नहीं झूल सकती, ऊपर से नीचे आने की गति से बचा करती है। जब उक्त प्रकार का कृच्छ मासिक-धर्म हो, जिसमें रुधिर का मार्ग श्लैष्मिक-झिल्ली अवरुद्ध कर रही हो, और ऊपर से नीचे आने की गति में भय विद्यमान हो, तब मुख्य-औषधि बोरैक्स ही है।
बांझपन की होम्योपैथिक दवा
अभी हमने जिस झिल्ली का वर्णन किया इसी की कारण प्राय: बांझपन हुआ करता है। बोरेक्स झिल्ली के इस कष्ट को दूर करके गर्भ न ठहरने के रोग को दूर कर देता है। कई चिकित्सक बांझपन में नियमपूर्वक बोरेक्स दिया करते हैं, परन्तु लक्षणानुसार औषधि देना ही उचित है, रोग के नाम के आधार पर औषधि देना होम्योपैथी का सिद्धान्त नहीं है।
बोरेक्स औषधि के अन्य लक्षण
(i) ग्यारह बजे तक घबराहट – इस औषधि का एक विचित्र-लक्षण यह है कि घबराहट 11 बजे दोपहर तक रहती है, उसके बाद घबराहट समाप्त हो जाती है।
(ii) मुँह पर मकड़ी का जाला – एक और विलक्षण-लक्षण यह है कि रोगी अपने मुँह पर मकड़ी का जाला-सा लिपटा अनुभव करता है, और बार-बार उसे हटाने के लिये चेहरे पर हाथ फरा करता है।
(iii) नीचे की गति से चक्कर – रोगी जब नीचे जाने की, झुकने की, लिफ्ट में नीचे जाने की कोई गति करता है तो चक्कर आ जाता है।
(iv) मानसिक-कार्य के साथ जी मिचलाना – रोगी जब किसी प्रकार का भी मानसिक-कार्य करता है, तो कुछ देर मानसिक-कार्य-लिखना, पढ़ना आदि-करने पर उसका जी मिचलाने लगता है। वह लेट जाता है, आराम करता है, तबीयत ठीक हो जाती है। इसके बाद वह फिर मानसिक-कार्य में जुट जाता है। इस बार फिर जी मिचलाने लगता है। अगर इस लक्षण के साथ बोरेक्स के अन्य लक्षण-नीचे की गति से घबराहट आदि-मिलें, तो यही औषधि है।
शक्ति तथा प्रकृति – 1, 3, 30, 200 (औषधि ‘सर्द’-Chilly-प्रकृति के लिये है।