मुख-मण्डल के पक्षाघात (लकवा मार जाना) में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-
हायोसायमस 30 – मुख-मण्डल के पक्षाघात के कारण रोगी का बोल न पाना अथवा अस्पष्ट बोलना – इन लक्षणों में यह औषध लाभ करती है ।
सिकेलि-कोर 30 – पक्षाघात के प्रभाव से चेहरे का पीला पड़ जाना, चिपक जाना, चेहरे से अकड़न आरम्भ होकर, सम्पूर्ण शरीर में फैल जाना, चेहरे में विकृतियाँ आते रहना, चेहरे पर नीले दाग पड़ जाना तथा गर्म-प्रकृति का होने के कारण रोगी द्वारा बहुत ही हल्के कपड़े ओढ़ पाना – इन लक्षणों में हितकर है।
एकोनाइट 3, 30 – ठण्डी हवा लगने के कारण चेहरे के एक भाग का अथवा सम्पूर्ण चेहरे का पक्षाघात होने पर इसे दें ।
कैडमियम 3, 30 – चेहरे के पक्षाघात में यह उपयोगी है ।
ग्रैफाइटिस 30 – आधे चेहरे का पक्षाघात, चेहरे की मांसपेशियों के मुड़-तुड़ जाने के कारण रोगी का बोल न पाना तथा रोगी को अपने चेहरे पर मकड़ी का जाला चिपटे होने की अनुभूति होना – इन लक्षणों में दें।
नाइट्रिक-एसिड 30 – चेहरे पर काली फुन्सियों का पड़ जाना, आँखों का चारों ओर से फूल जाना, मुंह में छाले तथा माथे पर दाने उभर आना एवं ऊँचाई पर चढ़ते समय रोगी की साँस फूल जाना – इन लक्षणों में हितकर है।
कास्टिकम 30 – ‘एकोनाइट‘ से लाभ न होने पर इसे दें । दाँयें आधे चेहरे का पक्षाघात, जो माथे से आरम्भ होकर ठोड़ी तक गया हो-इन लक्षणों में लाभ करता है।