लू लगने का कारण – लू लगना, शरीर पर सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप से गिरने, तथा तेज गर्म हवायें लगने के कारण यह रोग होता है। इसमें शरीर की ऊष्मा-नियंत्रक विधि विफल हो जाती हैं।
लक्षण – इसमें रोगी की आँखें लाल हो जाती हैं, सिर चकराने लगता है, बेचैनी, सिरदर्द, जी मिचलाना तथा कभी-कभी बेहोशी आ जाती है। मुँह एवं त्वचा शुष्क हो जाती हैं, चेहरा लाल हो जाता है और ऐंठन होने लगती हैं, नाड़ी की गति बढ़ जाती है। शरीर का तापमान 42°C (107 F) तक बढ़ जाता है। गम्भीर मामले में मृत्यु होने का भी भय रहता है।
लू का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
(1) तुलसी के रस में हल्का-सा नमक मिलाकर घर से बाहर निकलने के पहले पान करे तो लू नहीं लगेगी, अधिक पसीना नहीं आयेगा और प्यास भी कम लगेगी।
(2) भुने हुए प्याज को पीसकर, उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू का प्रकोप नष्ट होता है।
(3) लू लगने पर ठण्डे पानी में बर्फ और गुलाब जल मिलाकर माथे पर कपड़े की पट्टी करें।
(4) खरबूजे के बीजों को पीसकर सिर पर तथा शरीर पर लेप करें। इनसे बनी हुई ठंडाई भी लाभप्रद है।
(5) जौ का सत्तू (पतला) पानी मिलाकर नमकीन या मीठा गर्मी मे पीने से गर्मी या लू नहीं लगती है।
(6) लू लगने पर या शरीर में जलन होने पर जौ के आटे को पतला पानी मिलाकर पूरे शरीर में लगाना चाहिए।
(7) ग्रीष्मकाल में पुदीने की चटनी तथा प्याज के नियमित सेवन करने से लू लगने की आशंका नहीं रहती है।
(8) गर्मियों में मुलैठी का शर्बत पीने से लू नहीं लगती।
(9) आलू बुखारे को गरम जल में डालकर रखें और फिर उसी जल में मसल लें। इसे पिलाने से, लू लगने पर बेचैनी और घबराहट दूर होती है।
(10) नारियल के दूध के साथ काले जीरे को पीसकर शरीर पर मलने से, लू लगने पर जलन कम होती हैं।
(11) धनिये को पानी में भिगोकर मसलकर उसमें शक्कर मिलाकर पीने से गर्मियों में लू नहीं लगती और लगी लू मिट जाती है।
(12) ताजा छाछ पिलाने से रोगी को पेशाब ज्यादा आएगा और उसे राहत मिलेगी।
(13) जौ का आटा तथा पिसा हुआ प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करने से लू से तुरन्त राहत मिलेगी।
(14) रोगी को उल्टियाँ एवं दस्त लगने पर पानी में नींबू, नमक एवं शक्कर मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाएँ।
(15) लू लगने पर प्याज के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें। चौबीस घंटे में आराम मिलेगा।
(16) धनिये के पानी में चीनी मिलाकर पीने से लू का प्रभाव कम होता है।
(17) आलूबुखारे को गर्म पानी में डालकर रखें और उसी पानी में मसल लें। इसे पिलाने से लू लगने से होने वाली जलन व घबराहट दूर होती है।
(18) इमली के गूदे को हाथ पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर खत्म हो जाता है।
(19) तुलसी के पत्तों का रस चीनी में मिलाकर पीने से लू नहीं लगती।
(20) रोजाना दो-तीन बार प्याज खाने से लू कोसों दूर रहती है।
(21) भुने हुए प्याज को पीसकर उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू से राहत मिलती है।
(22) एक बड़ा कच्चा आम उबाल या सेंक लें। उसे कुछ देर के लिए ठंडे पानी में रखें। ठंडा होने पर छिलका उतारकर दही की तरह मथकर इसके गूदे में गुड़, जीरा, धनिया, नमक और काली मिर्च डालकर अच्छी तरह गूंध लें और जितना जरूरी लगे पानी मिला लें। इस तरह तैयार की गई आम की छाछ दिन में तीन-चार बार पियें।
(23) लू से बुखार हो जाने पर इमली को उबालकर उसे छानकर एक कप शर्बत की तरह पियें। इमली को उबालकर उस पानी में तौलिया भिगोकर उसके छींटे मारने से लू में आराम मिलता है।
(24) नारियल के दूध के साथ काले जीरे को पीसकर शरीर पर मलने से राहत मिलती है।
(25) कच्चे आम को गर्म राख में भून लें। भुने आम के गूदे को पानी में मिलाकर थोड़ी-सी शक्कर डालकर पीने से लू से हो रही जलन और बेचैनी शांत होती हैं।
(26) बेहोशी की स्थिति में सीने और गले पर तारपीन के तेल की मालिश करनी चाहिए। गरम पानी में कपड़ा भिगोकर गले पर लपेट दें तथा सूखा कपड़ा बांध दें, होश आ जाएगा।
(27) सिर हाथ-पैर तथा पेट आदि को बार-बार ठंडे पानी से धोते रहें। उन पर बर्फ के टुकड़ों को रखें। मोटे तौलिये को बर्फ के पानी में भिगोकर शरीर को पोंछते रहें। यह काम तब तक करते रहना चाहिए, जब तक शरीर का तापक्रम सामान्य अवस्था में न आ जाये।
(28) वमन, दस्त, प्यास आदि की स्थिति में पुदीने का अर्क, अर्ककपूर, अमृतधारा आदि पानी में मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर पर एक-एक चम्मच देते रहना चाहिए।