प्रदर जैसी प्रकृति वाले विभिन्न उपसर्गों में लक्षणानुसार निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियाँ लाभ करती हैं :-
(1) तीव्र गन्धयुक्त, दुर्बलता-सहित खुजलीयुक्त तथा किसी अंग में लगने पर खाल उधेड़ देने वाला स्राव में – क्रियोजोट 6 ।
(2) जख्म युक्त त्वचा एवं कपड़े में दाग डालने वाला स्राव – आयोड ।
(3) तीव्र गन्धयुक्त पानी जैसा पतला, पीला एवं किसी अंग में लग जाने पर वहाँ की खाल उधेड़ देने वाला स्राव – मर्क-सोल, ऐल्यूमिना, लिलियम-टिग, फेरम ।
(4) श्वेतसार की भाँति सफेद, स्निग्ध तथा यन्त्रणा-हीन-स्राव – बोरेक्स 3 ।
(5) स्राव के साथ बहुत कमजोरी तथा सदैव थकान का अनुभव होने के लक्षणों में – ऐलेट्रिस-फेरिनोजा 1x ।
(6) पीठ तथा कमर में पीड़ा के कारण एवं चलना कठिन तथा कष्टकर बना देने वाला स्राव – इस्क्युलस ।
(7) स्राव के साथ जरायु निकलना तथा कमजोरी के लक्षणों वाला स्त्राव – हैलोनियास Q, प्रति मात्रा पाँच बूंद ।
(8) अनुत्तेजक अथवा स्निग्ध, गहरे भूरे रंग का, गाढा काला श्वेतसार जैसा जख्म उत्पन्न करने वाला, कपड़े पर पीला दाग डालने वाला तथा कच्ची सरसों जैसी गन्ध वाला स्राव – क्रियोजोट ।
(9) अण्डे की सफेदी जैसा गरम पानी जैसा स्राव – बोंरैक्स ।
(10) अण्डे की सफेदी जैसा नाभि के चारों ओर और शूल वेदना उत्पन्न करने वाला, मूत्र-त्याग के पश्चात् निकलने वाला भूरा-चिकना स्राव – एमोन-म्यूर ।
(11) तीव्र गन्धयुक्त, पानी जैसा तथा कुटकुटाने वाला स्राव – नेटूम-म्यूर ।
(12) अनुत्तेजक अथवा स्निग्ध, गाढ़ा एवं देखने में दूध-मलाई जैसा स्राव – पल्सेटिला ।
(13) दूध जैसा, तीव्र, गन्धयुक्त तथा मूत्र-त्याग के समय होने वाला स्राव – कैल्केरिया-कार्ब, पल्सेटिला तथा सिलिका ।
(14) दूध जैसा, खुजलीयुक्त, श्वेत रंग का, छोटी बालिकाओं का स्राव, विशेष कर गण्डमाला ग्रस्त रोगिणी का – कैलि-कार्ब ।
(15) हरी आाभायुक्त एवं अत्यधिकं दुर्गन्धयुक्तं स्राव – नाइट्रिक-एसिड ।
(16) बदरंग स्राव, जिसके किसी अंग में लग जाने पर वहाँ की खाल उखड़ जाती हो और जिसके कारण स्तन में अकड़न तथा सहवास से घृणा के लक्षण दिखाई देते हों – ग्रैफाइटिस ।
(17) रक्त-संचय की नई बीमारी वाला स्राव – बेलाडोना ।
(18) पानी जैसा, तीव्र जलनयुक्त स्राव – सिपिया 3 ।
(19) श्लेष्मा जैसा स्राव – मैग्नेशिया-कार्ब, बोरैक्स।
(20) पानी जैसा तीव्र जलनयुक्त स्राव – ऐमोन-कार्ब।
(21) काला तथा दुर्गन्धित स्राव – सिकेल ।
(22) गहरा और गाढ़ा स्राव – पल्सेटिला ।
(23) खुजलीयुक्त स्राव – कैल्के-कार्ब ।
(24) पानी जैसा, जलनयुक्त एवं तीव्र स्राव – ऐमोन-कार्ब, सिफिलिनम, ग्रैफाइटिस, सीपिया, मर्क-कोर ।
(25) लाल रंग का स्राव – चायना, काक्युलस ।
(26) श्लेष्मा-मयस्राव – मेग्नेशिया-कार्ब, बोरेक्स ।
(27) लसदार स्राव – हाइड्रेस्टिस, कैलि-म्यूर, ऐल्यूमिना।
(29) अधिक परिमाण में निकलने वाला, कपड़े में दाग डालने वाला तथा कपड़े में लगकर कड़ा हो जाने वाला स्राव – लेकेसिस ।
(30) रक्त की भाँति लाल रंग का, पारी बाँध कर रह-रहकर होने वाला, दाँयीं ओर से बाँयी ओर तक फैल जाने वाला तथा काटने जैसा दर्द करने वाला स्राव – लाइकोपोडियम ।
(31) ऐसा स्त्राव जो किसी भी औषध के सेवन से ठीक न हो – ऐल्यूमिना ।