(1) पेट में बाईं तरफ तिल्ली (स्प्लीन) में दर्द – होम्योपैथी में कई औषधियां ऐसी हैं जिनका किसी विशेष अंग पर विशेष प्रभाव है। उन्हीं में से सिएनोथस है। इसका तिल्ली पर विशेष प्रभाव है। भारत में सब कोई जानते हैं कि मलेरिया के निरन्तर-आक्रमण से तिल्ली बढ़ जाया करती थी। डॉ० बर्नेट का कथन था कि इस औषधि से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘डिजीजेज ऑफ दी स्प्लीन एण्ड देयर रेमेडीज’ में इस औषधि पर विशेष बल दिया है। तिल्ली बढ़ जाने से पेट के बाई तरफ के नीचे के हिस्से में दर्द होता है। यह दर्द उपरालु न होकर अन्दर गहराई में हुआ करता है। इसका कारण तिल्ली का बढ़ जाना है। कभी-कभी निदान करने वाले बाईं तरफ होने के कारण इस दर्द को हृदय-शूल समझ लेते हैं। डॉ० बर्नेट ने तिल्ली बढ़ने के अनेक रोगी, जिन्हें डाक्टरों ने हृदयशूल के रोगी घोषित कर दिया था, इस औषधि से आश्चर्यजनक तौर पर ठीक किये। बाईं तरफ के दर्द के सम्बन्ध में निम्न-औषधियां लाभप्रद हैं:
(i) गले के दोनों तरफ की हड्डियों (कौलर-बोन) में से बाईं तरफ की हड्डी के नीचे के दर्द में मायर्टस कम्यूनिस – 3 शक्ति। यह दर्द टी बी में पीछे बायें स्कन्ध फलक ( Shoulder blade ) तक जाता है।
(ii) कौलर-बोन के कुछ नीचे बाई तरफ़ दर्द हो तो सुम्बुल का यह क्षेत्र है।
(iii) इससे भी कुछ नीचे बाईं तरफ दर्द हो, तो फ्लोरिक ऐसिड का क्षेत्र है। इस में छाती में भारीपन महसूस होता है, सांस लेने में कठिनाई होती है।
(iv) यह दर्द अगर बाईं तरफ होता हुआ भी अधिकतर दाईं तरफ हो तो ऑरम का क्षेत्र है।
(v) स्त्री की बाईं छाती की ठीक नीचे दर्द होता हो, तो सिमिसिफ्यूगा का क्षेत्र है।
(vi) तिल्ली में बाईं तरफ़, पेट के निम्नस्तर में दर्द होता हो तो सिएनोथस। तिल्ली के दर्द में जिन अन्य औषधियों की तरफ ध्यान देना आवश्यक है, वे है: चायना, चेलिडोनियम, बरबेरिस, चिनिनम सल्फ़ तथा कोनायम। अगर रोग की लक्षण-समष्टि में पेट के नीचे बाई तरफ का दर्द-तिल्ली का दर्द-रोग का आवश्यक अंग हो, तो उक्त औषधियों में से कोई एक रोग को दूर कर देगी, परन्तु डॉ० बर्नेट की विशेष-आस्था सिएनोथस पर है। जैसे सिएनोथस का विशेष प्रभाव तिल्ली पर है, वैसे चेलिडोनियम का विशेष प्रभाव जिगर पर है।
(2) शक्ति – 1c