स्ट्रामोनियम का होम्योपैथिक उपयोग
( Stramonium Homeopathic Medicine In Hindi )
(1) पागलपन; रोगी बकता चला जाता है (उन्माद तथा पागलपन में बेलाडोना, हायोसाएमस, स्ट्रामोनियम की तुलना) – हम पहले बेलाडोना और हायोसाएमस का वर्णन करते हुए पागलपन की इन तीनों मुख्य-औषधियों का वर्णन कर आये हैं। डॉ० नैश ने इन तीनों को पागलपन का ‘त्रिक’ कहा है। बेलाडोना में सिर गर्म हो जाता है, हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सारा खून सिर की तरफ दौड़ पड़ा है, यही कारण है कि किसी औषधि में इस प्रकार का निरंतर रहने वाला उन्माद नहीं पाया जाता, जितना बेल में पाया जाता है। उन्माद में रोगी को भूत-प्रेत दिखलाई पड़ते हैं, भयावने चेहरे, पशु तथा कीट-पतंग दीखने लगते हैं जिनकी कोई सत्ता नहीं होती। हायोसाएमस में भी उन्माद (Delirium) है, परन्तु इसमें उन्माद बढ़ता-घटता है, निरन्तर नहीं बना रहता। बेल में तीव्र-उन्माद मुख्य है, मन्द-उन्माद अपवाद है, हायोसाएमस में मन्द-उन्माद मुख्य है, तीव्र-उन्माद अपवाद है। हायोसाएमस बैठा-बैठा धीरे-धीरे गुनगुनाया करता है, कभी-कभी बीच में तेज हो जाता है। बेल का चेहरा लाल, तमतमाता है, हायोसाएमस का चेहरा पीला और धंसा हुआ होता है। हायोसाएमस का रोगी कमजोर होता है और क्रमश: कमजोरी बढ़ती जाती है, वह इतना कमजोर होता है कि उन्माद की तीव्रता अगर हो भी तो देर तक नहीं बनी रह सकती। हायोसाएमस का उन्माद तीव्रता-से प्रारंभ हो सकता है, परन्तु ज्यों-ज्यों समय बीतता जाता है यह मन्द पड़ता जाता है, अन्त में यह टाइफॉयड के से लक्षण प्रकट करने लगता है। स्ट्रामोनियम के उन्माद के लक्षण उक्त दोनों औषधियों से भिन्न होते हैं। यह भिन्नता उन्माद की तीव्रता के रूप में पायी जाती है। इसका उन्माद भयंकर होता है, बड़े जोर-से, ऊंचे-ऊंचे गाता है, हँसता है, दांत निकालता है, सीटी बजाता है, चिल्लाता है, गाली बकता है, कभी-कभी दीन-भाव से प्रभु से प्रार्थना करने लगता है। इसका मुख्य लक्षण ‘बकना’ है। बकवास (Loquacity) इस औषधि में प्रधान रूप से पाया जाता है। लैकेसिस में भी बकना है, परन्तु लैकेसिस के पागलपन में रोगी एक विषय को लेकर बकना शुरू कर देता है; उसे छोड़ दूसरे पर बकना शुरू कर देता है, विषय-से विषय पर छलांगे मारता जाता है, परन्तु स्ट्रामोनियम के रोगी के मन में मानों भूचाल आ जाता है, वह हिंसा पर आमादा हो जाता है, कपड़े फाड़ डालता है, अपने को नंगा कर लेता है।
(2) बुखार, हिंसात्मकता तथा कमजोरी में उक्त तीनों की तुलना – पागलपन में ‘बुखार’, ‘हिंसापरकता’ तथा ‘कमजोरी’ की दृष्टि से इन तीनों की तुलना की जाय तो क्रम इस प्रकार बनता है:
बुखार में – बेलाडोना (सबसे अधिक बुखार-दोपहर 2 बजे से 3 बजे रात तक); स्ट्रामोनियम (बेल से कम बुखार) हायो (बहुत ही कम बुखार)
हिंसात्मकता में – स्ट्रामोनियम (सब से अधिक); बेल (स्ट्रामोनियम से कम); हायो (बेल से भी कम हिंसात्मकता)
कमजोरी में – हायोसाइमस (सबसे अधिक कमजोरी); बेल (हायो से कम कमजोरी); स्ट्रामोनियम (बहुत कम कमजोरी)
(3) स्ट्रामोनियम का रोगी प्रकाश तथा साथ चाहता है – इसका रोगी अंधेरे से डरता है, अकेला रहना नहीं चाहता, किसी-न-किसी का साथ चाहता है। अंधेरे में सो नहीं सकता, कमरे में रोशनी जलती रहनी चाहिये। अकेला भी नहीं रह सकता। बेल इसके विपरीत है, वह अंधेरा चाहता है, अकेला रहना पसन्द करता है।
(4) जल या किसी भी द्रव अथवा चमकीली वस्तु को देखने से ऐंठन पड़ जाती है – यद्यपि रोगी प्रकाश चाहता है, अंधेरे कमरे में सो नहीं सकता, तो भी विलक्षणता यह है कि आयना या चमकीली वस्तु को देखकर उसे दौरा पड़ जाता है, ऐंठन होने लगती है। पानी को या किसी द्रव-पदार्थ को नहीं देख सकता। जल को न देख सकने का लक्षण पागल कुत्ते के काटने में पाया जाता है।
(5) दर्द का सर्वथा अभाव – जिस रोग में दर्द की संभावना हो उसमें भी दर्द का सर्वथा अभाव पाया जाता तो यह विलक्षण बात है। ऐसा लक्षण स्ट्रामोनियम तथा ओपियम दोनों में है।
(6) बहुत अधिक पढ़ने से पागलपन – जो विद्यार्थी रात-रात भर जाग कर काम किया करते हैं, कालेज का काम इतना होता है कि दिन को पूरा नहीं होता, उन्हें कभी-कभी मस्तिष्क की उत्तेजना के कारण स्ट्रामोनियम के लक्षणों वाला पागलपन हो जाता है। ऐसी अवस्था को यह ठीक कर देता है।
(7) तुतलाना – रोगी को एक शब्द उच्चारण करने में देर तक प्रयत्न करना पड़ता है। बोलने की चेष्टा करते-करते वह मुंह बिगाड़ कर बोलता है, हकलाता है, बेहोशी में अगर रोगी हकला कर बोले तो इस औषधि का लक्षण समझना चाहिये।
(8) वृद्ध-पुरुषों के हलक का पक्षाघात – वृद्ध-पुरुषों की हलक के पक्षाघात में खाने की वस्तु निगलने में कष्ट हो तो यह औषधि तुरंत लाभ करती है।
(9) दमा – दमे में स्ट्रामोनियम का चुरुट पीने से आराम होता है इसलिये इस बात की खोज करने की आवश्यकता है कि यह औषधि शक्तिकृत होकर दमे में क्या प्रभाव रखती है।
(10) शक्ति तथा प्रकृति – स्ट्रामोनियम 6, स्ट्रामोनियम 30, स्ट्रामोनियम 200 (अंधेरे घर में, अकेले रहने पर, चमकीली वस्तु देखने से रोग बढ़ता है; रोगी रोशनी चाहता है, अकेला रहना नहीं चाहता)