हिचकी का कारण
हिचकियां तब आती हैं, जब फ्रेमिक स्नायु में उत्तेजना उत्पन्न होने के कारण ‘डायफ्राम’ नामक पेशी सिकुड़ती है। कई बार मिर्च-मसाले खाने या कंठ में अटक जाने के कारण आमाशय से उठने वाली वायु ऊपर की ओर उठती है, जिससे उत्तेजनात्मक स्थिति पैदा होती है, जो ‘हिचकी’ के रूप में प्रकट होती है।
हिचकी का घरेलू उपचार
(Hichki ka gharelu upchar)
- नारियल का पानी पीने से हिचकी रुक जाती है।
- नीम की पत्तियों को इकट्ठा करके उसे जला दें। फिर उसमें काली मिर्च का चूर्ण डालें, धुआं लेने से हिचकियां आनी बंद हो जाएंगी।
- अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से हिचकी रुक जाती है।
- यदि हिचकी गर्मी के कारण या गले में खुश्की की वजह से आनी शुरू हुई है, तो ठंडा पानी पीने से रुक जाती है।
- सूखी काली मिर्च तथा धनिया के कुछ दानें मुंह में रखकर चूसें, हिचकी आनी बंद हो जाएगी।
- थोड़ी-सी हींग पानी में घोलकर पीने से इसमें काफी लाभ होता है।
- मूली के हरे पत्ते चबाने से हिचकी आनी रुक जाती है।
- गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर पिएं।
- दो लौंगे मुंह में रखकर उसे कुचलते हुए चूसें।
- कच्चे आम की गुठली की गिरी निकालकर धूप में सुखा लें, फिर इसको पीसकर आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
- प्याज के एक चम्मच रस में शहद मिलाकर चाटें।
- एक चम्मच घी में चुटकी भर सेंधा नमक डालकर सूंघने से हिचकी आनी बंद हो जाती है।
- मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ चाटें।
- एक चम्मच अदरक का रस लेकर गाय के एक पाव ताजे दूध में मिलाकर पी जाएं।
- यदि हिचकी शुरू हुई हो, तो बर्फ की डली मुंह में रखकर चूसें।
- पुदीने का रस एक चम्मच, नीबू का रस एक चम्मच तथा शक्कर एक चम्मच । तीनों को मिलाकर पी जाएं।
- पिसी हुई हलदी को तवे पर भून लें। फिर एक चम्मच हलदी को ताजे पानी के साथ सेवन करें।
- एक चम्मच नीबू का रस, एक चुटकी काला नमक और एक चम्मच शहद। तीनों को मिलाकर थोड़ी देर के अन्तराल पर लें।
- गर्मी के मौसम में नीबू तथा बर्फ डालकर एक गिलास गन्ने का रस पिएं।
- एक कप पानी में चार बूंदें अमृत धारा की डालकर पिएं।
- गाय का घी गुनगुना करके पिलाने से खुश्की के कारण आने वाली हिचकी बंद हो जाती है।
- पिसी हुई सोंठ एक चम्मच और एक चुटकी सोडा। दोनों को पानी में घोलकर पीने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।
- तहसोडे की चटनी 3-3 ग्राम चाटने से हिक्का नष्ट होती है।
हिचकी का आयुर्वेदिक उपचार
- धनिया 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, काला नमक 5 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम, काली मिर्च 10 दानें। सबको पीसकर चूर्ण बना लें। हिचकी आने पर इस चूर्ण में से दो चुटकी चूर्ण ताजे पानी या शहद के साथ सेवन करें।
- शहद के साथ दो रत्ती मयूर भस्म चाटें।
- मुक्तादि चूर्ण 1-2 ग्राम दिन में तीन बार लें।
- हिक्कान्तक रस 120 मेिं, ग्रा. सुबह-शाम लें।
- अजवाइन, सेंधा नमक, जीरा का चूर्ण। सबको पीस लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण ताजे पानी के साथ लें।
- पके हुए आम के रस में दूध मिलाकर सेवन करें।
- बकरी के दूध में एक चम्मच सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिएं।
- बिजौरे का रस दो चम्मच, सत्तू 100 ग्राम, सेंधा नमक दो चुटकी। तीनों को मिलाकर पिएं।
- सोंठ आधा चम्मच तथा पीपल का चूर्ण एक चुटकी। इन दोनों को शहद में मिलाकर चाटें।
- कास की जड़ के रस में शहद मिलाकर नाक में दो बूंद डालें।
- पुष्करमूल, जवाखार तथा काली मिर्च। तीनों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर चुटकीभर चूर्ण गुनगुने पानी के साथ पिएं।
- सोंठ, काली मिर्च, जवासा, पीपल, कायफल, पुष्करमूल तथा काकड़ासींगी। सबको समभाग में लेकर पीस लें। फिर इसे शहद के साथ सेवन करें।
- एक चम्मच कैथ का रस तथा एक चम्मच आंवले का रस। दोनों को मिलाकर पीने से हिचकी आनी दूर हो जाती है।
भोजन तथा परहेज
- यदि पेट में अपच की शिकायत हो, तो सबसे पहले उसे उसे दूर करें।
- हिचकी की उत्तेजना शांत हो जाये, तो रोगी को पतला दूध घूंट-घूंट करके पिलाना चाहिए।
- भूख लगने पर ही भोजन करें, लेकिन पूरे पेट न खाएं।
- मिर्च, मसाले, बर्फ, दही, अधिक गर्म चाय, काफी, शराब आदि का सेवन न करें।