धड़कन बढ़ने के कारण
हृदय में एक निश्चित लय के साथ धड़कन होती है। यही धड़कन यदि किसी कारणवश बढ़ जाती है, तो यह दिल धड़कने की बीमारी बन जाती है। इसके कारण बड़ी बेचैनी रहने लगती है। दिल धड़कने की बीमारी, मानसिक उत्तेजना, स्नायु में किसी प्रकार की बीमारी, उत्तेजित पदार्थों को खाने, डर, बहुत ज्यादा परिश्रम, शोक, हस्त मैथुन, स्त्री से अधिक संभोग आदि के कारण हो जाती है।
दिल की कमजोरी के लक्षण
इस रोग में दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगता है। इसके कारण शरीर में रूखापन, प्यास अधिक लगना, अजीर्ण, भूख की कमी, दिल जैसे बैठा जा रहा हो आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हाथ-पांव ठंडे से हो जाते हैं तथा श्वास लेने में परेशानी होती है।
हृदय की धड़कन बढ़ने का घरेलू उपचार
- पके हुए बेल का गूदा लगभग 100 ग्राम प्रतिदिन सुबह के समय मलाई के साथ खाना चाहिए।
- बेल-पत्र का 10 ग्राम रस लेकर गाय या भैंस के शुद्ध घी में मिलाकर सेवन करें।
- आंवले का चूर्ण आधा चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी मिसरी का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
- पपीते का गूदा लेकर उसे मथ लें। 100 ग्राम गूदे में दो लौंगों का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
- गाजर का रस आधा कप नित्य सुबह के समय सेवन करें।
- यदि दिल की धड़कन तेज मालूम पड़े और घबराहट बढ़ जाए, तो सूखा धनिया एक चम्मच और मिसरी एक चम्मच । दोनों को मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से धड़कन सामान्य हो जाएगी।
- सेब के मुरब्बे पर चांदी का वर्क लगाकर खाने से हृदय को बल मिलता है।
- यदि धड़कन बढ़ने की वजह से कुछ बेचैनी-सी अनुभव होती हो, तो एक गिलास पानी में नीबू निचोड़ कर पी जाएं।
- टमाटर का सूप बीज निकालकर 250 ग्राम लें और अर्जुन के पेड़ की छाल का चूर्ण 2 ग्राम लेकर दोनों को अच्छी तरह मिलाकर सुबह के समय सेवन करें।
- 100 ग्राम सेब के रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पी जाएं।
- सफेद इलायची का 3 ग्राम चूर्ण लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करें।
- यदि दिल तेजी से धड़कता हुआ मालूम पड़े, तो थोड़ा-सा कपूर सेवन करें।
- आंवले का मुरब्बा या शरबत दिल की तेज धड़कन को सामान्य बनाता है।
- एक गुलाब के फूल को बासी मुंह चबाकर खा जाएं।
- अनार के चार-पांच पत्तों को धोकर पीस लें। फिर इसकी चटनी बनाकर थोड़ा-सा काला नमक डालकर सेवन करें।
- नित्य 25 ग्राम अंगूर का रस पिएं।
- एक चम्मच प्याज के रस में जरा-सा नमक डालकर सेवन करें।
- पिस्ते की लौज लगभग 30 दिन तक खाने से हृदय की धड़कन का रोग कम हो जाता है।
- 50 ग्राम किशमिश गर्म पानी में मथकर या उबालकर सेवन करें। किशमिश हृदय को बल देती है।
हृदय की धड़कन बढ़ने का आयुर्वेदिक उपचार
- बहेड़े के पेड़ की छाल का चूर्ण दो चुटकी प्रतिदिन घी या गाय के दूध के साथ सेवन करें।
- हरड़ की छाल, खुरासानी बच, रास्ना, पीपल, सोंठ, कचूर, पुष्कर मूल। सभी दवाओं को लेकर बारीक-बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 10 माशे की मात्रा में रोज ताजे पानी से सेवन करें।
- गंगरेन की छाल, काहू के पेड़ का बकला, खरैटी तथा मुलेठी बराबर की मात्रा में लेकर महीन-महीन पीस लें। उसमें से दो चुटकी चूर्ण नित्य शहद के साथ सेवन करें।
- हरड़ की छाल, बच, रास्ना, पीपल, सोंठ, कचूर तथा पुष्कर। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण नित्य पानी के साथ सेवन करें। हृदय रोग तथा दिल की तेज धड़कन के लिए यह रामबाण दवा है। यह प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनी की दवा है, जो हरीतक्यादि के नाम से मिलती है।
- भुनी हुई हींग, बच, कूट, जवाखार, सौंफ, पीपल, हरड़ की छाल, चिमक, जवाखार, पुष्करमूल तथा काला नमक। सब बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर उसमें से दो चुटकी चूर्ण शहद के साथ सुबह के समय सेवन करें।
- अर्जुनारिष्ट 20 मि. ली. और 20 मि. ली. पानी मिलाकर सुबह-शाम भोजनोपरान्त लें।
- टेबलेट अर्जुननिन 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से लें।
- जवाहर मोहरा पिष्टी 125 मि. ग्रा. की मात्रा में दो बार सुबह-शाम लें।