हृदय रोग के कारण
वायु अधिक बनने (वात रोग), उपदंश, अधिक धूम्रपान तथा शराब पीना, अधिक समय तक दिमाग में उद्वेग तथा चिंता, रक्तवाहिनियों की बीमारी, वृक्करोग, गठिया तथा मोटापा आदि कारणों से हृदय में दर्द उठने लगता है और बाद में वह हृदय रोग बन जाता है। इस रोग के कुछ कारण ये भी हैं, जैसे अधिक चिंता, बहुत परिश्रम, आवेश, दु:ख, शोक तथा वंश परंपरागत व्याधियां आदि।
हृदय रोग के लक्षण
दिल में तेज दर्द होने पर बेचैनी हो जाती है। हृदय में दर्द अचानक उठता है और बाएं कधे तथा बाएं हाथ तक फैल जाता है। श्वास तेजी से चलने लगती है। घबराहट बढ़ जाती है। ठंडा पसीना आना तथा बेहोश हो जाना, जी मिचलाना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना तथा नब्ज कमजोर मालूम पड़ना इस रोग के अन्य लक्षण हैं।
हृदय रोग का घरेलू उपचार
- दिल में थोड़ा-सा दर्द मालूम होते ही मुलेठी तथा कुटकी का चूर्ण समान भाग में लेकर लगभग आधा चुटकी चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
- चीनी की शरबत में अनारदाने का रस डालकर सेवन करें। यह शरबत हृदय की जलन, अमाशय की जलन, घबराहट, मूर्च्छा आदि दूर करता है।
- गुलकंद या गुलाब के सूखे फूलों में चीनी मिलाकर खाने से हृदय को बल मिलता है।
- गुलाब जल में थोड़े-से गुलाब के फूल और 100 ग्राम हरा धनिया पीसकर चटनी के रूप में सेवन करें।
- यदि दिल की कमजोरी के कारण छाती में दर्द होता हो, तो एक चम्मच अजवाइन को दो कप पानी में उबालें। आधा कप पानी बचा रहने पर काढ़े को छानकर रात के समय सेवन करें। यह काढ़ा नित्य 40 दिन तक सेवन करें और ऊपर से आंवले का मुरब्बा खाएं। यह हृदय रोग को दूर करने के लिए अच्छी दवा है।
- करौंदा हृदय रोग को दूर करने में बहुत उपयोगी है। करौंदे की सब्जी मीठा डालकर या मुरब्बा खाना बहुत लाभदायक है।
- हृदय रोगी को गाय का दूध व घी बहुत फायदेमंद है। भोजन में इसका प्रयोग नित्य करें।
- अर्जुन की छाल 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम तथा मुलेठी 10 ग्राम। तीनों को एक साथ, एक गिलास (लगभग 250 ग्राम) दूध में उबालकर सेवन करें।
- दिल में दर्द शुरू होने पर आंवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा डालकर सेवन करें।
- बेल के पत्तों का रस 10 ग्राम, देसी घी 5 ग्राम तथा शहद 10 ग्राम। सबको मिलाकर उंगली से चाटें।
- भोजन करने के बाद हरे आंवले का 25-30 ग्राम रस ताजे पानी में मिलाकर सेवन करें।
- यदि यह शंका हो कि अमुक समय हृदय में दर्द शुरू हो सकता है, तो लहसुन की चार कलियां चबाकर खा जाएं।
- चार लौंगों को पानी में पीसकर शक्कर मिलाकर सेवन करें।
- जाड़े की ऋतु में हृदय रोग होने पर तुलसी के पत्ते 7, काली मिर्च 5, बादाम 4 तथा 21 लौंग। इन सबको पानी में पीसकर शरबत बना लें। फिर इसमें जरा-सा शहद डालकर पी जाएँ। यह शरबत हृदय की शक्ति प्रदान करेगा ।
- चौलाई का रस आधा चम्मच, पालक का रस एक चम्मच तथा नीबू का रस एक चम्मच । तीनों को मिलाकर नित्य सुबह 20 दिन तक सेवन करें।
- गर्मी के मौसम में आधा कप लीची का रस रोज पीने से हृदय को काफी बल मिलता है।
- यदि दिल कमजोर हो, धड़कन तेज या बहुत कम हो जाती हो, दिल बैठने लगता हो, तो एक चम्मच सोंठ को एक कप पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा रोज इस्तेमाल करें।
- खूबानी का रस चार चम्मच पानी में डालकर नित्य पिएं।
- अदरक का रस तथा शहद, दोनों को मिलाकर नित्य ऊँगली से धीरे-धीरे चाटें। दोनों की मात्रा आधा-आधा चम्मच होनी चाहिए।
- पकी हुई इमली का घोल-दो चम्मच और थोड़ी-सी मिसरी, दोनों को मिलाकर सेवन करें।
- एक कप पानी में कपास के चार फल भिगो दें। चार-पांच घंटे बाद फूलों को पानी में मथ लें। इसमें थोड़ी-सी मिसरी डालकर सेवन करें।
- हृदय के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधा नमक डालकर खाना चाहिए।
- बथुए की लाल पत्तियों को छांटकर उनका रस लगभग आधा कप निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
- आधा कप मौसम्मी का रस सुबह के नाश्ते के बाद नित्य सेवन करें।
- एक चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण फांककर ऊपर से एक पाव दूध पी लें।
- बरगद के दूध की चार-पांच बूंदें बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करें।
- अमरूद को कुचलकर उसका आधा कप रस निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा नीबू का रस डालकर पी जाएं।
- यदि हृदय में दर्द महसूस हो, तो आधा कप अंगूर का रस सेवन करें।
- पके हुए फालसों का दो चम्मच रस लेकर, उसमें आधा चम्मच सोंठ तथा दो चम्मच शक्कर मिलाकर धीरे-धीरे चाटें।
- एक कप गाजर का रस 40 दिन तक रोज पीने से हृदय रोग जाता रहता है।
- मौलसिरी का दो चम्मच अर्क एक कप पानी में घोलकर सेवन करें।
- एक कप अनन्नास का रस नित्य पिएं।
- पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पिएं।
हृदय रोग का आयुर्वेदिक उपचार
- जावित्री 10 ग्राम, दाल चीनी 10 ग्राम, अकरकरा 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें।
- परवल के पत्ते, इलायची के दाने और पीपलामूल। तीनों को समान भाग में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से तीन ग्राम चूर्ण सुबह के समय देसी घी के साथ सेवन करें।
- बड़े नीम की जड़ 10 ग्राम, कूट 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, कचूर 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 2। इन सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 4 ग्राम चूर्ण देसी घी में मिलाकर सेवन करें।
- पोहकर मूल, बिजौरा नीबू की जड़, सोंठ, कचूर, तथा हरड़। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर लुगदी बना लें। इसमें से छोटे बेर के समान लुगदी लेकर सेंधा नमक के साथ सेवन करें।
- 5 ग्राम मुनक्के, दो चम्मच शहद तथा एक छोटी डली मिसरी। तीनों को पीसकर चटनी बना लें। यह चटनी सुबह के समय नाश्ते के बाद सेवन करें।
- पीपला मूल तथा छोटी इलायची का चूर्ण आधा चम्मच देसी घी के साथ चाटने से हृदय रोग का शमन ही जाता है।
- हींग, बच, सोंठ, जीरा, कूट, हरड़, चीता, जवाखार, सेंचर नमक तथा पोहकर मूल। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद या देसी घी के साथ सेवन करें।
- मृग श्रृंग भस्म 500 मि. ग्रा. घृत के साथ लें।
- घृत – अर्जुन घृत, द्राक्षादि घृत 5-10 ग्राम दूध के साथ दो बार लें।
- आसव व अरिष्ट – दशमूलारिष्ट, अर्जुनारिष्ट, द्राक्षासव, एलाद्यरिष्ट में से एक 25 मि. ली. समान भाग पानी मिलाकर दो बार लें।