व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) गिल्टियों की गांठों को दूर करती है (बायोकैमिक तथा होम्योपैथिक दृष्टि से प्रयोग)
(2) ट्यूमर को ठीक करती है (बायोकैमिक तथा होम्योपैथिक दृष्टि से प्रयोग)
(3) मोतिया को ठीक करती है (बायोकैमिक तथा होम्योपैथिक प्रयोग)
(4) टांसिल, एडेनॉयड, हड्डी के बढ़ने, गलने-सड़ने आदि को ठीक करती है।
(1) गिल्टियों की गांठों को दूर करती है – कैल्केरिया फ्लोर का विशेष-गुण यह है कि जहां-कहीं भी सख्ती होगी, कड़ापन होगा, गांठ बन जायगी, हड्डी उभर आयेगी-चाहे वह मांसपेशी में हो या अन्य कहीं भी हो, उसे आश्चर्यजनक तौर पर घोल देगी। स्त्रियों के स्तनों में ग्रन्थियां पड़ जाती हैं, उन्हें ठीक कर देती है। बायोकैमिक-दृष्टि से 3x, 6x, 12x में तथा होम्योपैथिक-दृष्टि से 30, 200 आदि शक्तिकृत मात्रा में औषधि दी जाती है।
(2) ट्यूमर को ठीक करती है – यही कारण है कि अगर कहीं ट्यूमर हो, तो उसे भी यह दूर कर देगी। बायोकैमिक तथा होम्योपैथिक दोनों दृष्टियों से ट्यूमर में कैल्केरिया फ्लोर का प्रयोग होता है। जब साइलीशिया से लाभ नहीं होता तब इससे लाभ हो जाता है।
(3) मोतियाबिन्द को ठीक करती है – मोतियाबिन्द (कैटरैक्ट) में भीतर का लैन्स अपारदर्शी हो जाता है। यह भी एक तरह का लेन्स का कड़ा पड़ जाना है। अनेक बार इस औषधि से मोतियाबिन्द दूर हो जाता है। मोतिये में भी इसका बायोकैमिक तथा होम्योपौथिक दोनों दृष्टियों से प्रयोग होता है।
(4) टांसिल, एडोनॉयड, हड्डी बढ़ने, गलने-सड़ने आदि को ठीक करता है – जब टांसिल सख्त पड़ जायें, एडीनॉयड हो जायें, तब सख्ती को दूर करने की अपनी प्रकृति के कारण इन रोगों में भी यह लाभकारी है। यह देखा गया है कि जब बैराइटा कार्ब टांसिल और एडीनॉयड को ठीक नहीं कर पाता, तब यह औषधि काम कर दिखाती है। दांतों में अगर एनैमल की कमी हो तब यह दांतों पर एनैमल चढ़ा देती है। हड्डी के कई रोगों को यह ठीक करती है। बायोकैमिस्ट्री में तो इसका प्रयोग, होता ही है, होम्योपैथी में भी इसका कम प्रयोग नहीं होता। ग्लैंड्स आदि के बढ़ जाने पर जैसे इससे लाभ होता है, वैसे किसी स्थान की हड्डी के बढ़ जाने या उसके गलने-सड़ने लगने पर भी इसका बायोकैमिस्ट तथा होम्योपैथ दोनों प्रयोग करते हैं। डॉ० फैरिंगटन लिखतें हैं कि एक स्त्री जिसके नीचे के जबड़े की हड्डी सड़ गई थी, अन्य किसी औषधि से ठीक न होने पर कैलकेरिया फ्लोर 6x के कुछ दिन लगातार लेते रहने से ठीक हो गई। अस्थि-शोथ के एक रोगी को कैलकेरिया फ्लोर C.M. की एक मात्रा से ठीक कर दिया। यह प्रयोग बायोकैमिक न होकर होम्योपैथिक था।
(5) शक्ति तथा प्रकृति – यह शुस्लर के 12 लवणों में से एक है। बायोकैमिक-दृष्टि से उक्त-लक्षणों में यह 3x, 6x, 12x में दी जाती है। होम्योपैथिक मात्रा 30, 200 आदि में दी जाती है। औषधि ‘सर्द’-Chilly-प्रकृति के लिये है।