[ क्लोरिन ] – डॉ हेरिंग ने इसकी सबसे पहले परीक्षा की थी। क्लोरम टिंचर में – 100 भाग में एक भाग क्लोरिन गैस रहती है। श्वास-पथ से क्लोरिन गैस भीतर लेने से श्वासनली द्वार में आक्षेप पैदा हो जाता है। डॉ हेरिंग का कहना है – “श्वासपथ से हवा जाती तो आसानी से है, पर बाहर नहीं निकल सकती।”
श्वास रोग के जिन-जिन लक्षणों में होमियोपैथी में क्लोरिन उपयोग की जाती है उनसे श्वास रोग में फायदा होता है।
जीभ में बहुत ज्यादा सूखापन – इस दवा का एक और भी विशेष लक्षण है। टाइफाइड-ज्वर या किसी अन्य कमजोर करने वाली बीमारी में – जीभ में बहुत ज्यादा सूखापन ( extreme dryness ) मालूम हो तो सबसे पहले इस दवा का प्रयोग कर देखें। इससे शरीर की चरम सीमा पर पहुंची हुई सुस्ती भी दूर हो जाती है। दमा – prolonged, loud whistling rales.
गैंग्रीन ( सड़न ) – इस रोग में क्लोरम का बाहरी और भीतरी प्रयोग करने से अकसर बहुत फायदा होता है।
स्मृति-शक्ति – बिलकुल याद न रहना, अपना नाम तक भूल जाना।
क्रम – 3 से 6 शक्ति।