गर्भपात – 12 ग्राम जौ का छना हुआ आटा, 12 ग्राम तिल और 12 ग्राम शक्कर महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से गर्भपात नहीं होता है।
जल जाने पर – जौ जलाकर तिल के तेल में बारीक पिसकर जले हुए स्थान पर लगायें।
दमा – 6 ग्राम जौ की राख, 6 ग्राम मिश्री – दोनों को पीसकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ फंकी लें। राख बनाने को विधि-(1) जौ किसी बर्तन में डालकर जलता हुआ कोयला डालकर जलायें। जौ जल जाने के बाद किसी बर्तन से इस तरह ढक दें कि हवा न जाए। चार घण्टे बाद कोयले को निकालकर फेंक दें और जले हुए जौ को पीस लें। (2) जौ को तवे पर इतना सेंकें कि जल जाए फिर ऊपर बताए अनुसार करें।
पथरी – जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-जौ की रोटी, धाणी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी पिघलने में सहायता मिलती है तथा पथरी नहीं बनती।
आन्तरिक बीमारियों और अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभदायक है। चर्म-रोग, जुकाम, कंठ के रोग तथा मूत्र सम्बन्धी रोगों में जौ खाना लाभप्रद है।
मधुमेह – 5 किलो जौ, डेढ़ किलो चना, 1 किलो सोयाबीन, 1 किलो दानामेथी, 1 किलो गेहूँ – इन सबको पिसवाकर इसकी रोटी खाते रहने से मधुमेह में लाभ होता है।
मोटापा बढ़ाना – दो मुट्ठी जौ पानी में 12 घण्टे भिगोएँ, फिर चारपाई पर कपड़े पर फैलाकर कुछ खुश्क कर लें। इन्हें कूट-कूटकर इनका छिलका तुरन्त उतार दें। बची हुई जौ को गुली से दूध में खीर बनाकर खायें। कुछ ही सप्ताहों में दुबले-पतले व्यक्ति मोटे हो जाते हैं। जौ की गुली बाजार में भी अनाज बेचने वालों से मिलती है।
मोटापा घटाना – जौ में मोटापा कम करने के गुण होते हैं। मोटे शरीर वालों को गर्मी में नित्य जौ का सत्तू पीना चाहिये। अन्य मौसम में जौ की रोटी खानी चाहिये।
गर्मी – जौ का सत्तू शरीर में ठण्डक देता है तथा शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता पैदा करता है।
तैलीय त्वचा – जौ का आटा दूध में गूँधकर उबटन बनाकर लगायें। आधे घण्टे बाद स्नान करें, धोयें। जौ का आटा, चने के बेसन से अधिक लाभकारी है। इससे तैलीय त्वचा के दोष दूर हो जायेंगे।
जौ के आटे का उबटन – दो बड़े चम्मच जौ का आटा लेकर उसमें दो चम्मच दूध, थोड़ी-सी हल्दी व थोड़ा सरसों का तेल मिलाकर शरीर में मल लीजिए, सूखने के बाद गर्म पानी से नहा लीजिए। त्वचा एकदम साफ हो जायेगी।
सौन्दर्यवर्धक – जौ का आटा और दूध की मलाई चेहरे का साँवलापन दूर करती है। इसलिए जौ के आटे में आटे का चौथाई भाग मलाई मिलाकर थोड़ा-सा पानी डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है।
गले में सूजन, प्यास अधिक और जलन हो तो एक कप भरकर जौ कूट लें और फिर उन्हें दो गिलास पानी में आठ घण्टे भीगने दें। इसके बाद उबालकर पानी को छान लें। जितना गर्म सहन हो उतना गर्म पानी होने पर नित्य दो बार गरारे करें। लाभ होगा।
जहाँ ठोस भोजन नहीं दिया जा सकता, वहाँ जौ का पानी अच्छा शामक पेय है। सूजन, ज्वर, पेशाब में जलन होने पर विशेष लाभदायक है। एक कप जौ एक किलो पानी में उबालकर ठण्डाकर बार-बार पियें।