पेट्रोलियम का होम्योपैथिक उपयोग
( Petroleum Homeopathic Medicine In Hindi )
(1) एक्जिमा तथा छोटी-छोटी फुन्सियों में से पतला, पानी जैसा स्राव निकलना – यह दवा एक्जिमा और छोटी-छोटी फुन्सियों में विशेष लाभ करती है। ये एक्जिमा तथा फुन्सी शरीर के किसी भाग में ही हो सकती है। विशेष तौर पर ये खोपड़ी पर, कानों के पीछे, अंडकोशों की थैली, गुदा, हाथ, पैर, अंगुली आदि पर होती है। हाथ फट जाता है, पैरों में बिवाइयां पड़ जाती है, त्वचा जगह-जगह फटी दिखलाई देती है। इस प्रकार के एक्जिमा में, फुन्सियों तथा अंगों के फट जाने पर ग्रैफाइटिस दिया जाता है, परन्तु इन दोनों के स्राव में भेद है। पेट्रोलियम का स्राव पतला, पनीला होता है, ग्रैफाइटिस का स्राव चिपचिपा, शहद के समान होता है। चर्म-रोग, अंगुलियां खुरखुरी और चिटकी हुई – यह पेट्रोलियम का धातुगत रूप है।
(2) एक्जिमा आदि सर्दी में होते हैं, गर्मी में हट जाते हैं – इस औषधि का मुख्य सूचक – लक्षण यह है कि एक्जिमा आदि त्वचा के रोग सर्दियों में प्रकट होते हैं, गर्मियों में चले जाते हैं। दूसरी कोई औषधि ऐसी नहीं है जिसमें यह बात विशेष रूप से पायी जाती हो। सर्दियां आते ही रोगी के हाथ-पैर फट जाते हैं। उनमें से खून हो निकलने लगता है, एक्जिमा प्रकट हो जाता है, और गर्मियां आते ही यह सब ठीक हो जाता है। डॉ० नैश लिखते हैं कि एक रोगी जिसके हाथ सर्दियों में एक्जिमा से भर जाते थे। अतिसार-दस्तों-से पीडित था। सर्दियों में एक्जिमा प्रकट होने के लक्षण पर उसे पेट्रोलियम 200 देने से उसका अतिसार रोग और त्वचा का रोग दोनों जाते रहे।
(3) पेचिश या दस्त दिन को आते हैं; रात को नहीं – इसका एक विशेष लक्षण यह है कि रोगी को पेचिश या दस्तों की शिकायत में टट्टी जाने की हाजत दिन को तो होती है, रात को नहीं होती। रात को रोगी आराम से सोता है।
(4) खांसी रात को आती है, दिन को नहीं – खांसी के संबंध में उल्टी बात है। रोगी रात को खाँसा करता है, दिन को खांसी नहीं उठती, दिन को वह आराम से रहता है।
(5) सिर की गुद्दी में दर्द – रोगी को सिर की गुद्दी में दर्द होता है, सिर के पीछे का भाग सीसे की तरह भारी मालूम होता है। यह दर्द सिर के ऊपर के भाग से चढ़ता हुआ आंखों तक फैल जाता है।
(6) शरीर के भिन्न-भिन्न स्थानों में ठंडक अनुभव करना – रोगी शरीर के भिन्न-भिन्न स्थानों में ठंडक अनुभव करता है। यह इस औषधि का अद्भुत लक्षण है। किसी को पेट में ठंडक अनुभव होती है, किसी को आतों में, किसी को पीठ के दोनों फलकों के बीच में, किसी को हृदय में ऐसा लगता है मानो हृदय ठंडा हो। स्त्रियों को जरायु में ठंडक अनुभव होती है।
(7) खाने से पेट का दर्द ठीक हो जाना – इस औषधि में चेलिडोनियम तथा ऐनाकार्डियम की तरह खाने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है। गर्भवती स्त्री को खाली पेट होने पर जब पेट का दर्द होता है, तब इसे दूर करने के लिए वह लगातार खाया करती है। ऐसे लक्षण में इससे लाभ होता है।
(8) पाँव की ऐड़ी में दर्द – रोगी के पांव के ऐड़ी में दर्द होता है, वह चल फिर नहीं सकता।
(9) समुद्र-यात्रा में जी मितलाना – समुद्र-यात्रा के समय या गाड़ी आदि पर चढ़ते हुए चक्कर आने पर यह उत्तम औषधि है।
(10) पुरुष तथा स्त्री के जननांगों में फोड़े-फुंसी – पुरुष तथा स्त्री के जननांगों पर फोडे-फुन्सी हो जाने में पेट्रोलियम तथा रस टॉक्स दोनों लाभ करते हैं, पेट्रोलियम के फोड़े-फुन्सी छोटे होते हैं, रस टॉक्स के बड़े। डॉ० फैरिंगटन लिखते हैं कि बगल में पसीना आने में पेट्रोलियम सबसे उत्तम औषधि है।
(11) शक्ति – 3, 6, 30, 200