गिरने, चोट लगने, सर्दी लगने, पथरी, प्रमेह अथवा किसी अन्य कठिन बीमारी के कारण पेशाब में खूब आने लगता है।
इस रोग की चिकित्सा के लिए लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए –
टेरिबिन्थिना 6 – पेशाब में रक्त आना, बूंद-बूंद पेशाब निकलना, पेशाब की मात्रा कम तथा रक्त की मात्रा अधिक होना – इन लक्षणों में औषधि का प्रयोग करें । पेशाब में खून आने की यह मुख्य औषधि है ।
आर्निका 30 – यदि गिरने अथवा चोट लगने के कारण पेशाब में खून आता हो तो इस औषधि के प्रयोग से लाभ होता है ।
हैमामेलिस 6 – मूत्र-ग्रन्थि में दर्द के साथ रक्त का पेशाब आने परं लाभकारी है । गुर्दे के स्थान में धीमे-धीमे दर्द के साथ खून का पेशाब आता हो तो इस औषधि के प्रयोग से लाभ होता है ।
ब्लैस्पी वार्सा Q, 6 – यह रक्तस्राव की श्रेष्ठ औषधि है । पेशाब करने के बाद ईंट के चूरे-सा तलछट बैठ जाना व ऋतुस्राव में भी यह लाभ करती है।
एकोनाइट 1x, 3x – सर्दी लगने के कारण रक्त मिश्रित पेशाब होने पर इसका प्रयोग करें ।
ओसिमम कैनग 3, 30 – पेशाब करने के बाद यदि लाल रंग की कोई वस्तु नीचे जम जाती हो तो इसके प्रयोग से लाभ होता है ।
कैन्थरिस Q , 6 – यदि रक्त का पेशाब होने का कोई ठीक कारण समझ में न आता हो तो इसका प्रयोग करें ।
बेलाडोना – रक्त मिश्रित पेशाब की यह एक उत्तम औषधि है ।
सार्सापैरिल्ला 6, 30 – यह भी खून के पेशाब में लाभ करती है ।
कैनाबिस सैटाइवा Q – कोई विशेष लक्षण निर्दिष्ट न होने पर इसका प्रयोग करना चाहिए ।
नक्सवोमिका 30 – यदि शराब पीने के कष्ट से रोग की शुरुआत हुई हो तो इस औषधि के प्रयोग से लाभ होता है ।
विशेष – इसके अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी आवश्यकता पड़ सकती है । सिनोसिओ o, मिलिफोलियम 3x, आर्सेनिक हाइड्रोजेनिसेटम 3 ।
आनुषंगिक चिकित्सा
(1) रोगी के शरीर को हल्के गरम पानी से पौंछ दे । उसका चलना-फिरना एकदम बन्द कर दें । उत्तेजक वस्तुओं का सेवन न करायें तथा दूध आदि हल्के पदार्थ खाने के लिये दें ।