रोगी की खांसी के लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है। सूखी एवं बलगम रहित (Nonproductive) खांसी धूल अथवा किसी अन्य बाहरी कण के कारण तो हो ही सकती है, इसके अलावा विषाणुजनित निमोनिया, फेफड़ों की सूजन अथवा पल्मोनरी, रक्तवाहिका में किसी बाह्य पदार्थ के इकट्ठा होने से रक्त प्रवाह में बाधा पहुंचने के कारण भी इस प्रकार की खांसी होती है।
यदि इस प्रकार की सूखी खांसी काफी पुरानी हो, तो हो सकता है कि फेफड़ों में कोई गांठ हो या श्वासनली पर कोई बाहरी दबाव अथवा खिंचाव पड़ रहा हो अथवा फेफड़ों में रेशेदार ऊतक भी बन रहे हों।
aबलगम के साथ होने वाली खांसी मुख्यत: संक्रमण के कारण ही होती है। मुख्यत: यह संक्रमण श्वास नली के फेफड़ों में प्रवेश के स्थान पर होता है। रक्त में ईओसिनोफिल कोशिकाओं (Eosinophills) की वृद्धि के कारण भी पीले रंग का बलगम स्रावित हो सकता है। जब किसी बीमारी के कारण बलगम आ रहा हो, तो बलगम के रंग एवं लक्षणों के आधार पर बीमारी का पता लगाया जा सकता है। कभी-कभी खांसते-खांसते बलगम के साथ खून आने लगता है।
बलगम का कारण
लार (बलगम) में खून आना अनेक कारणों से हो सकता है और यह कुछ गंभीर रोगों की प्रारंभिक चेतावनी भी होती है। प्रमुख कारण इस प्रकार हैं –
अ. संक्रमण के कारण
1. क्षय (तपेदिक) रोग।
2. फफूंद का इन्फेक्शन।
3. निमोनिया (फेफड़ों की सूजन)।
4. फेफड़ों में मवाद भर जाना।
5. फेफड़ों के कोष्ठ की सूजन।
6. फेफड़ों के कोष्ठ का फैल जाना।
ब. कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि से उत्पन्न गांठ के कारण –
1. फेफड़ों का कैंसर
2. कुछ अन्य प्रकार की गांठ।
3. फेफड़ों के प्रकोष्ठ की श्लेष्मा झिल्ली में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि के कारण।
स. रक्त वाहिकाओं में क्षति अथवा पीड़ा के कारण –
1. हृदय के माइट्रल (Mitrol) वाल्व के सिकुड़ जाने के कारण।
2. फेफड़ों में रक्त के कम प्रवाह के कारण।
द. अन्य कारणों से –
1. फेफड़ों में चोट लगने के कारण।
2. चोट लगने पर अथवा किसी रक्त बहने वाले रोग की स्थिति में अधिक रक्त बहने की शारीरिक प्रकृति के कारण।
कफ का होमियोपैथिक उपचार
खांसी एवं बलगम में खून आने के लक्षणों के आधार पर निम्न औषधियां प्रयुक्त की जा सकती हैं।
कॉस्टिकम : गले में खराश, खांसने पर भी बलगम नहीं निकल सकता, छाती में दर्द और टीस महसूस होना, बलगम बाहर नहीं आ पाता और रोगी को सटकना पड़ता है, खांसी के साथ कूल्हे में भी दर्द, अत्यधिक बोलने अथवा गाने के कारण गले में खराश, दर्द, बिस्तर की गमीं से एवं शाम के वक्त अधिक परेशानी, ठंडा पानी पीने से आराम मिले, तो 30 एवं 200 शक्ति में औषधि लेनी चाहिए। साथ ही इसमें रोगी को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है और खांसते समय अपने आप ही पेशाब निकल जाता है, सांस अंदर खींचने में अधिक परेशानी होती है।
एकोनाइट : छाती में लगातार दर्द, जरा-सा हिलते ही छाती में जकड़न, कर्कश आवाज के साथ सूखी खांसी, गहरी व तेज सांसें, सांस छोड़ने पर परेशानी बढ़ती है, खांसने में अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती है, आधी रात के बाद अधिक परेशानी होती है। ठंडी, सर्दीली हवाओं से हो गई हो, तो उक्त दवा 30 शक्ति में प्रयोग करनी चाहिए।
ब्रायोनिया : सूखी, तीव्र खांसी, खांसते-खांसते मरीज उठकर बैठ जाता है, गर्म कमरे में आने पर अथवा कुछ खाने-पीने पर अधिक खांसी, ऐसा लगना जैसे छाती फट जाएगी, खांसते समय रोगी छाती को हाथों से जकड़ लेता है, हिलने-डुलने-बैठने से परेशानी बढ़ जाती है, तो ‘ब्रायोनिया’ 30 एवं 200 शक्ति में प्रयुक्त करनी चाहिए।
केप्सिकम : खांसते समय सिर में भयंकर पीड़ा, जैसे सिर फट जाएगा, रोगी दर्द से चिल्ला उठता है और दोनों हाथों से सिर पकड़ लेता है। साथ ही पेशाब की थैली, घुटनों और पैरों में भी खांसते समय दर्द होता है, दर्द के कारण रोगी लेट जाता है, तो उक्त दवा 30 शक्ति में देनी चाहिए।
• यदि बलगम के साथ खांसी आए और बलगम में तीव्र बदबू हो, जिससे रोगी भी परेशान हो, तो ‘सैंग्युनेरिया‘ 30 या 200 शक्ति में लें।
• यदि लंबे अर्से से ऐंठन के साथ बलगमयुक्त खांसी हो, जिसमें खून भी आता हो, तो ‘ट्यूबरकुलाइनम’ 200 शक्ति में लें।
• यदि बलगम अत्यधिक हो और ऐसा लगे,जैसे पूरी छाती इससे भरी हुई है,बलगम की वजह से सीटी जैसी आवाजें सुनाई पड़ती हों, सांस लेने में तकलीफ हों, तो ‘सेनेगा‘ दवा का मूल अर्क लें ।
• यदि खांसी बहुत जिद्दी हो अर्थात किसी दवा से फायदा न हो रहा हो एवं खांसने में बाई छाती से बाएं कंधे तक दर्द हो और प्राय:सूखी खांसी हो, तो ‘मायरटस कोम्यूनिस’ दवा अत्यंत कारगर औषधि है।
• यदि काली खांसी हो और खांसने पर तेज आवाज हो, अधिक जोर लगाना पड़े और लगातार खांसी के दौरे उठते रहें, तो ‘कोरेलियम रूबरियम’ 30 शक्ति में लेनी चाहिए। साथ ही इसमें बलगम नाक के पिछले हिस्से से गले में गिरता रहता है।
यदि खांसी बलगम के साथ हो, रात में बढ़ जाए, झागदार बलगम हो, तो ‘काली कार्ब’ 30 शक्ति में लें । यदि बलगम तार जैसा खिंचता हो, तो ‘कालीबाई’ 30 व 200 शक्ति में उत्तम औषधियां हैं।
• यदि खांसी तुरही अथवा दुंदुभि जैसी आवाज के साथ हो, गले में रूखापन एवं दर्द हो, छाती की मांसपेशियों में अधिक खिंचाव हो, तो ‘ड्रोसेरा’ 200 शक्ति एवं ‘वेर्बेसकम’ 6 शक्ति दवाएं प्रयुक्त करनी चाहिए।
• सूखी खांसी में ‘बेलाडोना’ 200 शक्ति भी लाभकारी रहती है।