पेशाब एक महत्वपूर्ण शरीरिक क्रिया है जो हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। जब हमें पेशाब करने में कोई समस्या आती है, तो इसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस लेख में, हम पेशाब संबंधित सामान्य समस्याओं के कारण, लक्षण, और संभावित होम्योपैथिक दवा का विश्लेषण करेंगे।
पेशाब सम्बन्धी समस्या मुख्य रूप से मूत्रमार्ग संक्रमण (यूटीआई) के कारण होती है। मूत्रमार्ग को प्रभावित करने वाले बैक्टीरिया, अक्सर ई. कोलाई बैक्टीरिया से होता है। मूत्रमार्ग में दर्द, बार-बार मूत्राशय खाली करने की इच्छा, धुंधला या बदबूदार मूत्र होता है। किडनी स्टोन होने के कारण भी हमें बार-बार पेशाब जाने की इच्छा, पीठ या पैर में तेज दर्द, मूत्र में रक्त, बार-बार मूत्राशय खाली करने की इच्छा रहती है।
यहाँ हम मूत्र संबंधी हर प्रकार के समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा की चर्चा करेंगे :-
मूत्र संबंधी समस्या का होम्योपैथिक इलाज
फेरम-फॉस 6x – यदि पेशाब को रोका न जा सके तो इस औषध का प्रयोग लाभकारी रहता है ।
सौलिडैगो विर्गा Q – जिन लोगों को कैथीटर के बिना पेशाब न उतरता हो उन्हें इस औषध के मूल-अर्क को पाँच बूंद की मात्रा में देने से लाभ होता है।
स्ट्रैमोनियम 30 – पेशाब जाने की इच्छा न होने अर्थात मूत्र-नाश के लक्षण में हितकर है ।
कैम्फर – यह मूत्र-रोग की लाभकर औषध है।
टेरिबिन्थिना 6 – किसी रोग के बाद गुर्दे में सूजन आ जाने तथा उसके कारण मूत्राशय में मरोड़, पेशाब उतरने में कष्ट तथा थोड़ा पेशाब आने के लक्षणों में लाभकारी है ।
बेलाडोना 30, 200 – दर्द के साथ पेशाब आने के लक्षण में लाभकर है ।
कैन्थरिस 6, 30 – पेशाब की जबर्दस्त हाजत, पेशाब की हाजत में अत्यन्त मरोड़, बूंद-बूंद पेशाब आना, पेशाब करते समय अत्यधिक जलन और उस जलन के साथ ही पीठ में दर्द, मूत्र-मार्ग-प्रदाह, मूत्र-पथरी, मूत्राशय में जलन तथा मरोड़, कभी-कभी पेशाब में रक्त आना तथा मूत्राशय प्रदाह की नयी तथा पुरानी-दोनों अवस्थाओं में यह विशेष हितकर है ।
एपिस 30 – पेशाब कम आना, मूत्र-रोध, मूत्र-नाश, शरीर के विभिन्न भागों में शोथ, ऊँघाई, तन्द्रा, प्यास न रहना, काले रंग का पेशाब आना, लेटने पर दम घुटना, मूत्र में एल्ब्यूमिन मात्रा का अधिक होना, ब्राइटस डिजीज, बार-बार पेशाब की हाजत होने पर भी बड़ी कठिनाई से कुछ ही बूंदों का निकल पाना तथा बच्चों को कठिनाई से पेशाब होना-इन सब लक्षणों में यह औषध लाभ करती है ।
मर्क-कोर 6 – मूत्राशय में मरोड़ तथा जलन, बूंद-बूंद पेशाब आना तथा बार-बार पेशाब करने की इच्छा-इन लक्षणों में लाभकर है ।
एपोसाइनम कैन्नेबिनम Q – पेशाब का अपने आप निकल जाना, पेट के धंसते जाने का अनुभव, अत्यधिक प्यास लगना एवं कम पेशाब आना-इन सब लक्षणों में इस औषध को दस बूंद की मात्रा में देना चाहिए ।
कास्टिकम 3, 30 – मूत्राशय का पक्षाघात, रात को सोते समय पेशाब का अपने आप निकल जाना, खाँसते, छींकते अथवा नाक सिनकते समय पेशाब निकल जाना, पेशाब निकलने में देर होना तथा निकलना आरम्भ होने पर धीरे-धीरे निकलना और अन्तिम बूंद के निकलने में भी देर लगना, बच्चे का सोते समय पहली नींद में पेशाब कर देना, प्रसव के बाद मूत्राशय का पक्षाघात एवं पेशाब में यूरेटस की अधिकता जो कि तलछट में बैठ जाते हों-इन सब लक्षणों में यह औषध विशेष लाभ करती है ।
सीपिया 30, 200 – रक्त में यूरिक एसिड की अधिकता, पेशाब को किसी बर्तन में रखने पर उसमें लाल रंग की रेत की तलछट बैठना तथा बर्तनों में लाल निशान पड़ जाना, थोड़ी-थोड़ी देर बाद पेशाब की हाजत होना और उस अवधि में सख्त दर्द होना-इन सब लक्षणों में यह औषध विशेष लाभ करती है ।
नक्स-वोमिका 30 – पेशाब करते समय यह अनुभव होना कि उसका अंश बाहर निकले बिना रह गया है । बार-बार पेशाब जाना, बूंद-बूंद पेशाब होना, मूत्राशय का पक्षाघात-इन लक्षणों में इस औषध का प्रयोग करना चाहिए।
डिजिटेलिस 3 – पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्राशय पर दबाव का अनुभव, मूत्राशय के मुख की सूजन के साथ ही पेशाब करने की तीव्र इच्छा, जो पेशाब की कुछ बूंदें निकल जाने पर और अधिक बढ़ जाती हो, मूत्राशय में दबाव रहने के कारण इधर से उधर चक्कर काटना, गुदा-प्रदेश में मरोड़ का अनुभव होना, मूत्राशय के मुख पर दर्द के साथ टपकन, मूत्र थोड़ा तथा मैला होना एवं उसमें ईंट जैसे चूरे का बैठना तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि का बढ़ना-इन सब लक्षणों में यह औषध लाभ करती है ।
पैरिरा ब्रेवा 6 – पथरी के कारण पीठ का दर्द, जो नितम्ब पर जाकर ठहरता हो, मूत्राशय-प्रदाह, मूत्र-त्याग के लिए अत्यधिक जोर लगाने की आवश्यकता, पेशाब करने के लिए घुटनों के बल झुकने की जरूरत, उबलता तथा झुलसता हुआ सा पेशाब निकलना तथा पेशाब से अमोनिया गैस जैसी गन्ध का आना-इन सब लक्षणों में इस औषध के प्रयोग से लाभ होता है ।
बर्बोरिस बलगेरिस Q, 6 – पथरी के कारण गुर्दे में तेज दर्द, दर्द का मूत्र-नली में होकर मूत्राशय तक पहुँचना तथा मूत्राशय के मूत्र-मार्ग तक जाना, झुकने, लेटने तथा बैठने से दर्द का बढ़ना तथा खड़े होने से घटना, हर समय मूत्र-त्याग की इच्छा, बार-बार पेशाब के लिए जाना, मूत्राशय में दर्द, पेशाब में लाल कण, पेशाब करते समय नितम्ब प्रदेश एवं पीठ में दर्द अधिक तथा गहरा होना-इन सब लक्षणों में इस औषध का प्रयोग करना चाहिए ।
इक्विसेटम Q, 6 – पेशाब में जलन, मरोड़, खून जाना, मूत्राशय में दर्द, मूत्राशय में अधिक मूत्र भरा होने का अनुभव, पेशाब करने पर भी हल्कापन प्रतीत न होना, खूब पेशाब करने के बाद भी पेशाब की इच्छा का बने ही रहना, गाढ़ा, काले रंग का श्लेष्मा भरा पेशाब, वृद्ध व्यक्तियों के पेशाब करने का कष्ट, जिसके कारण उन्हें रात के समय बार-बार पेशाब करने के लिए उठना पड़े तथा पेशाब करने के बाद भी राहत का अनुभव न हो, पेशाब करने में कठिनाई तथा अधिक जोर लगाने की आवश्यकता, पेशाब का थोड़ा उतरना, पेशाब कर चुकने के बाद कष्ट का और अधिक बढ़ जाना एवं बच्चे का पेशाब कर चुकने के बाद मूत्र कष्ट के कारण चिल्लाना – इन सब लक्षणों में या औषधि उपयोगी सिद्ध होती है।
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पेशाब रोग से सम्बंधित पूछे गए प्रश्न और उसके उत्तर ( FAQ )
प्रश्न :- पेशाब के जलन की समस्या में Cantharis Q दवा चल रही है क्या दवा लेने के बाद अगर में शराब का सेवन करू तो दवा के क्रिया में कोई बदलाव आएगा या aggravation हो सकता है ?
उत्तर :- हम जानते हैं कि हर होम्योपैथिक दवा alcohol से बनती है तो अगर आप Cantharis Q लेने के बाद शराब का सेवन करेंगे तो उसकी क्रिया में बाधा अवश्य पड़ेगा। अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो अपने चिकित्सक को इसके बारे में जरूर बता दें, या शराब का सेवन करना बंद कर दें।
प्रश्न :- क्या मैं Kidney Stone में Berberis Vulgaris Q दवा का सेवन कर सकता हूँ ?
उत्तर :- जी हाँ, अगर आपको किडनी स्टोन है तो आप Berberis Vulgaris Q का सेवन कर सकते हैं, अपने चिकित्सक से भी परामर्श अवश्य कर लें, यह बहुत जरूरी है Berberis Vulgaris Q लेने से पहले चिकित्सक से पूछ लें।
प्रश्न :- क्या पेशाब के जलन का दवा लेने से किसी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट हो सकता है ?
उत्तर :- हमेशा याद रखें पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा से aggravation हो सकता है पर साइड इफेक्ट नहीं। शुरू में लक्षण थोड़े बढ़ सकते हैं, बाद अपने आप ठीक हो जाता है।
प्रश्न :- पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का सेवन खाना खाने के पहले करना है या बाद में ?
उत्तर :- अगर आप पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का सेवन कर रहे तो खाना खाने के आधे घंटे पहले लें या फिर खाना खाने के आधे घंटे बाद भी लिया जा सकता है।
प्रश्न :- क्या पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का सेवन गर्भवती महिला कर सकती है ?
उत्तर :- होम्योपैथिक दवा का सेवन गर्भवती महिला कर सकती हैं, होमियोपैथी की सभी दवा गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित होती है। फिर भी दवा का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर परामर्श कर लें।
प्रश्न :- क्या पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का उपयोग स्तनपान महिला कर सकती है ?
उत्तर :- पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का सेवन माता और बच्चा दोनों के लिए सुरक्षित है। फिर भी दवा के सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह ले लें।
प्रश्न :- अगर मैं पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा का सेवन करूँ तो क्या इसका प्रभाव मेरे लिवर, किडनी और हृदय पर पड़ेगा ?
उत्तर :- जी नहीं ! होम्योपैथिक दवा का किसी प्रकार का कोई भी side effect नहीं है। दवा के सेवन से लिवर, किडनी और हृदय पर बुरा असर नहीं होता। फिर भी दवा लेने से पहले अपने चिकित्सक से पूछ लें।
प्रश्न :- पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा लेने में परहेज क्या रखना है?
उत्तर :- किसी भी होम्योपैथिक दवा का सेवन कर रहे हैं तो कच्चा प्याज, कच्चा लहसुन, हींग, खट्टी चीजें और coffee का सेवन न करें। पानी का इस्तेमाल अधिक करें, चिकित्सक से इसके बारे में अवश्य पूछ लें।
प्रश्न :- क्या पेशाब की समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा के साथ शराब का सेवन करना मना है?
उत्तर :- अगर आप होम्योपैथिक दवा का सेवन कर रहे और साथ में शराब का सेवन करेंगे तो दवा असर करने में समय लगेगा, शराब पीने में कम से कम 2 घंटे का अंतर रखें। सबसे अच्छा रहेगा शराब का सेवन बंद कर दें।
इस लेख में पेशाब के समस्या के विषय में जो बताया गया है वो सभी उम्र वालों के लिए है। दवा लेने से पहले कुशल चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।