गंध – मूली खाने के बाद जरा-सा गुड़ खाने से डकार में गंध नहीं आती। गुड़ खाने के बाद कुछ कच्चे पत्ते भी खायें।
पथरी, पित्त पथरी – (1) मूली में क्षारता इतनी है कि यह पथरी को भी गला देती है। पत्तों सहित मूली का रस निकालकर एक गिलास रस में एक नीबू, चौथाई चम्मच कालीमिर्च मिलाकर नित्य प्रात: पियें। मूली लम्बे समय, जब तक मिलती रहे, सेवन करते रहें। मूली व इसके पत्तों में पथरी निकालने के गुण हैं।
गुर्दे को अक्षमता, पेशाब बन्द – (1) वृक्क-दोष, गर्मी, कब्ज़ के कारण मूत्र आना बन्द हो जाता है। आधा चम्मच मूली के बीज पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर, चौथाई कप मूली का रस मिलाकर छानकर तीन बार पिलायें, पेशाब खुलकर आयेगा। जलन भी दूर होगी। (2) मूली का रस आधा कप हर दो घण्टे से पिलायें। पेशाब खुलकर आयेगा। जलन भी दूर होगी; (3) वृक्क-दोष से पेशाब आना बन्द हो जाए, तो पत्तों सहित मूली का रस एक-एक कप नित्य दो बार पीने से पेशाब पुन: बनने लगता है और पेशाब आने लगता है। जलन दूर हो जाती है।
पेशाब बंद – मूली के पत्तों के 50 ग्राम रस में चौथाई चम्मच सोडा बाई कार्ब मिलाकर पीने से मूत्र का अवरोध नष्ट होकर मूत्र खुलकर आता है। मूली खाने से पेशाब खुलकर आता है।
पौरुष ग्रन्थि प्रदाह (Prostatitis) – दो कप मूली के रस में 3 चम्मच शहद मिलाकर नित्य प्रातः पियें। इससे पौरुष ग्रन्थि की सूजन कम होगी, मूत्र की रुकावट दूर होकर पेशाब खुलकर आएगा।