रियुम का होम्योपैथिक उपयोग
( Rheum Homeopathic Medicine In Hindi )
(1) बच्चों में कच्चे-फल खाने से या दांत निकलते समय दस्त अना; खट्टी बू आना – कच्चे फल खाने से बच्चों को जो दस्त आने लगते हैं, उनमें यह प्रमुख औषधि है। कच्चे-फल खाने से पेट बिगड़ जाता है, दस्त आने लगते हैं। इस औषधि का मुख्य-लक्षण खटटी बू है। इस लक्षण के होने पर बच्चों के दस्तों में कोई इस औषधि को भूल नहीं सकता। दांत निकलते समय के दस्तों में अगर दस्तों से खट्टी बू आये, तब भी यही औषधि दी जानी चाहिये। विशेष रूप से यह बालकों की औषधि है। हरकत से दस्त आते हैं, आराम से पड़े रहने पर रोगी ठीक रहता है।
(2) खट्टी बू तथा खट्टापन – इस औषधि का मुख्य-लक्षण खट्टापन है, ऐसा खट्टापन, खट्टी बू जो बालक को चारों तरफ से घेरे रहती है। उसके शरीर के सब स्रावों से खट्टेपन की बू आती है। टट्टी में खट्टी बू, पसीने में खट्टी बू, मुंह से खट्टी बू, उसके मुंह का स्वाद भी खट्टा, यहां तक कि उसका स्वभाव भी खटाई जैसा तीखा। बच्चा इस खट्टेपन से ऐसा घिरा रहता है कि उससे कोई बचाब नहीं। बच्चे को कितना ही नहलाया-धुलाया जाय, खट्टी बू उसका पीछा नहीं छोड़ती। उसके तकिये और बिस्तर तक से खट्टी बू उठती है। इसमें रियुम लाभदायक है।
(3) शरीर के हर भाग में पसीना आना – खट्टी बू के अतिरिक्त इस औषधि का दूसरा लक्षण है शरीर के हर भाग में खूब पसीना आना। पसीना लगातार आता रहता है और खूब आता है। सिर पर, माथे पर, चेहरे पर, मुख पर, नाक पर-उसकी हर जगह पसीने से तर रहती है। कैलकेरिया कार्ब में केवल नींद के समय सिर पर पसीना आता है। रियुम में बच्चे के सिर के बाल हर समय पसीने से तर रहते हैं।
(4) बच्चा रात भर रोता है और दिन को ठीक रहता है – बच्चा रात भर रोता है, दिन भर ठीक रहता है। जेलापा तथा सोरिनम में भी यह लक्षण है। लाइको में बच्चा दिन भर चिल्लाता और रात को आराम से सोता है। रियूम के बच्चे को सन्तुष्ट करना कठिन होता है, वह अधीर तथा तेज मिजाज का होता है।
(5) खट्टी बू के दस्तों में मैग कार्ब और रियूम की तुलना – बच्चों के दस्तों में जब खट्टी बू आती है, तब मैग कार्ब और रियूम में भेद करना आवश्यक है। मैग कार्ब में खट्टी बू है, परन्तु दस्तों का हरा रंग होना मुख्य है, रियूम में भी दस्त हैं, परन्तु इनमें खट्टी बू मुख्य है।
(6) शक्ति – 3, 6, 30