जो अंग किसी स्त्री की सुन्दरता में सबसे अधिक योगदान करते हैं, उनमें आंखों व होंठों का नम्बर सबसे ऊपर आता है। सूखे, रूखे, फटे हुए होंठ तो चाहे स्त्री के हों या पुरुष के, देखने में भद्दे लगते ही हैं। होंठों का फटना, रूखा पड़ना और उनका ढीला-ढाला नजर आना…. इन दोषों का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है और वातावरण सम्बन्धी भी।
होंठों का सबसे ज्यादा बुरा हाल सर्दी के दिनों में होता है। यदि आपकी त्वचा शुष्क रहती है, तो इसका प्रभाव भी होंठ पर पड़ता है। बुढ़ापे के साथ आने वाले परिवर्तनों में होंठों का खुश्क पड़ना भी है। बहुत ज्यादा धूप या शुष्क हवा के संपर्क में आने से भी होंठ फटते हैं। सूर्य की गर्मी जिस तरह त्वचा को बूढ़ा बनाती है, उसी तरह होंठों पर भी अपना प्रभाव दिखाती है। इन बातों का असर निचले होंठ पर अधिक पड़ता है। इसका कारण यह है कि निचला होंठ एक तो बाहर निकला होता है, दूसरा यह कि यह ऊपरी होंठ की तरह नाक के साए में नहीं होता।
बहुत-से लोग अपने शुष्क होंठों को नर्म रखने के लिए बार-बार जीभ फेरते रहते हैं। इससे केवल होंठ न केवल अधिक शुष्क पड़ते हैं, बल्कि फटते भी हैं। जीभ फेरने पर तो होंठ में नमी हो जाती है, किन्तु बाद में जब नमी खत्म हो जाती है, तो होंठ और भी शुष्क पड़ जाते हैं। होंठों में यदि खुश्की के कारण सूजन हो गई हो या होंठ फटे हों, तो राल में मौजूद पाचक रस उसकी दशा को बिगाड़ देते हैं। इसलिए जीभ फेरने के बजाए नमी पैदा करने वाली चिकनाई होंठों पर लगाइए।
यदि होंठों पर पपड़ी बार-बार जम जाती हो व किनारे फटे हुए हों, तो इसे ‘कीलोसिस’ कहते हैं। ऐसा विटामिन ‘बी-काम्पलेक्स’ की कमी से होता है। ऐसे में अपने खान-पान का बेहतर ध्यान रखें। संतुलित व पौष्टिक आहार लें। दस-पन्द्रह दिन, दिन में एक बार विटामिन ‘बी’ व ‘सी’ युक्त कैप्सूल, 1 कैप्सूल प्रतिदिन के हिसाब से लें। ये कैप्सूल प्रत्येक दवा की दुकान पर उपलब्ध रहते है। इसके साथ ही गर्मियों में देसी घी, हल्का-सा व जाड़ों में कोई नमी पैदा करने वाली क्रीम या चिकनाई जैसे दूध उबालने के बाद बची खुरचन आदि होंठों पर नियमित लगाने से होंठ नर्म, मुलायम रहते हैं व लाली भी बढ़ती है। रात में सोने से पहले ग्लिसरीन में गुलाब जल मिलाकर लगाने से भी आशातीत लाभ मिलता है। यह मिश्रण पूरे चेहरे पर भी लगाया जा सकता है।
होंठों की लाली और चमक के लिए एक देसी नुस्खा और भी है और वह है,रात में सोने से पूर्व एक बूंद सरसों का तेल ‘नाभि’ में लगाकर सोएं व हल्की-सी परत उसी उंगली से होंठों पर भी फिरा दें। इससे होंठ गुलाब जैसे लाल और आकर्षक बने रहते हैं। यदि चिकनाई लगाने के बावजूद होंठ फटते या शुष्क होते हैं, तो समझिए कि आपके अन्दर विटामिन ‘ए’ या तो सीमा से अधिकै है या सीमा से कम है। विटामिन ‘ए’ पांच से पच्चीस हजार अन्तर्राष्ट्रीय इकाई (14) की मात्रा में हमें रोज चाहिए। यदि वृद्धावस्था में आपके होंठ पतले और लिजलिजे पड़ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके अन्दर कैल्शियम कम है। दांत गिरने का भी प्रभाव होंठ पर पड़ता है। होंठों पर लकीरें पड़ने का एक मुख्य कारण धूमपान भी होता है। वृद्धावस्था में होंठ पर पड़ने वाली लकीरें धूमपान से और गहरी होती हैं। इस स्थिति को केवल कुछ विशेष उपचारों से ही दूर किया जा सकता है।
रूखे व सूखे होंठ का होमियोपैथिक उपचार
वैसे तो उपरोक्त विधियों द्वारा पुरुष व स्त्रियां – दोनों ही होंठों को स्वस्थ व सुन्दर बनाने में सफल हो सकते हैं, किन्तु औषधीय जरूरत पड़ने पर निम्न औषधियां होंठों के लिए उपयोगी रहती हैं:
• होंठ काले होने पर – ‘आर्सेनिक’ 30 शक्ति में।
• होंठ नीले होने पर – ‘क्यूप्रममेट’ 30 शक्ति में।
• यदि किसी घातक बीमारी के दौरान होंठ नीले पड़ जाएं, तो – ‘कैम्फर’ 30 शक्ति में या ‘वेरेट्रम’ 30 शक्ति में देनी चाहिए। माथे पर ठंडा पसीना भी हो, तो ‘वेरेट्रम’ उचित रहती है।
• यदि होंठों में जलन रहे व सूखे रहें, तो – ‘सल्फर’ 200 की एक खुराक व ‘ब्रायोनिया’ 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
• यदि सूजन हो, तो – ‘एपिस’ 200 व ‘बेलोडोना’ 30 में लें।
• ठंड में होंठ फटें, तो – ‘नेट्रमम्यूर’ 200 की एक-दो खुराक व ‘रसटॉक्स’ 30 शक्ति में लें।
• होंठ पपड़ीदार, कटे-फटे व भद्दे हों, तो – ‘ग्रेफाइटिस’ 30, ‘नाइट्रिक एसिड’ 30 व ‘रसटॉक्स’ 30 दवाएं उपयोगी रहती हैं।
• एक्जिमा होने पर – ‘मेजेरियम’ 200 की दो-तीन खुराक व ‘रसवेन’ 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
• होंठों को बार-बार छूने की आदत व रक्त आने पर – ‘ओरमट्रिफ’ 200 शक्ति में व अत्यधिक लाल होंठ व जलन रहने पर ‘सल्फर’ 30 दें।