वात नाड़ी संस्थान का महत्त्व
(Importance of the Nervous System)
वात संस्थान या वात नाड़ी संस्थान अथवा नाड़ी मण्डल आदि नामों से जिस (शरीर के) संस्थान का वर्णन मिलता है वह एक जटिल संस्थान है, वह शरीर के सर्वोच्च स्थान खोपड़ी में सुरक्षित रहता है और वहाँ से शरीर की संवेदनाओं को ग्रहण करना और चेष्टाओं के लिए आदेश भेजना उसका काम है ।
जिस प्रकार किसी इंजन की देखभाल हेतु एक इंजीनियर की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मानव शरीर की देखभाल ‘वात नाड़ी संस्थान’ करता है। हमारे शरीर के अंगों (oragns) की देखभाल और उसके काम को ठीक-ठीक चलाने का काम इसी संस्थान का है ।
नाड़ियाँ (Nerves) बिजली की तारों की तरह होती है जो शरीर के प्रत्येक भागों से सूचनाएँ मस्तिष्क (Brain) को पहुँचाती है और मस्तिष्क की आज्ञायें (Instruction) शरीर की माँसपेशियों तथा ग्रन्थियों (Glands) को पहुँचाती रहती हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वात नाड़ी संस्थान मानव-शरीर पर शासन करता है ।
वात नाड़ियों से शरीर के अंग-प्रत्यंग परस्पर सुगठित रहते हैं। इनमें से जब कोई नाड़ी निर्बल या निर्जीव हो जाती है अथवा उसका केन्द्र नष्ट हो जाता है तो उससे सम्बन्धित अंग की चेतना शक्ति भी नष्ट हो जाती है । इसी को आम बोलचाल की भाषा में पक्षाघात (लकवा) रोग कहा जाता है ।
विभिन्न अंगों में आपस की जो सहकारिता दिखाई पड़ती है, वह भी इन्हीं वात नाड़ियों की सहायता से ही होती है । इन वात-नाड़ियों के रूप में मस्तिष्क ही शरीर के अंगों-प्रत्यंगों में व्याप्त रहता है । इसी मस्तिष्क से विभिन्न प्रकार की अनुभूतियाँ और प्रेरणाएँ प्राप्त होती हैं । इस प्रकार शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग इसी मस्तिष्क के द्वारा व्यवस्थित ढंग से परिचालित होते हैं। वात नाड़ी संस्थान के सशक्त होने से ही समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों का समुचित विकास होता है। यदि इसमें जरा भी खराबी आ जाये तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है । मस्तिष्क की खराबी को ‘पागलपन’ कहा जाता है । पागल मनुष्यों के इलाज के लिए कुछ विशेष स्थान है । जैसे-बरेली, आगरा, रांची आदि ।
वात-नाड़ी संस्थान का परिचय
वात नाड़ी संस्थान सोते-जागते 24 घण्टे निरन्तर काम करता रहता है । इसके मुख्य अवयव निम्नलिखित हैं –
1. मस्तिष्क Brain, 2. सुषुम्ना Spinal Cord, 3. वात सूत्र नाड़ियाँ Nerves
इन्हीं तीनों के समूह को वात नाड़ी संस्थान या नाड़ी संस्थान अथवा स्नायु मण्डल के नाम से जाना जाता है ।