यह भी एक भयानक रोग है जिसमें फैलने वाली शोथ प्रकट होती है । इसका कारण एक माइक्रोस्कोपिक वाइरस है, जिसका नाम स्ट्रेप्टोकोक्स पाइरोजेन्स है । इसकी छूत रोगी के शरीर या कपड़ों से लग जाती है और प्राय: चेहरे पर या जिस बाजू पर टीके लगे हों अथवा फुन्सी या घाव में संक्रमण होकर रोग हो जाता है । शराबी व्यक्ति इस रोग से अधिक ग्रस्त हो जाते हैं। छूत लगने के 3-4 दिन बाद कम्पन लगकर 104 डिग्री फारेनहाईट तक ज्वर चढ़ जाता है । जी मिचलाता है । सिर में दर्द होता है । पीड़ित चर्म पर लाली, चमक और सूजन दिखाई देती है, जिनमें सख्त दर्द होता है । चर्म के नीचे फोड़े बन जाते हैं । सेप्टीसीमिया, वृक्क शोथ (नेफाराइटिस) आदि रोग उपद्रव स्वरूप भी उत्पन्न हो जाया करते हैं । कभी मस्तिष्क और उसके पर्दों में शोथ होकर प्रलाप और सरसाम हो जाता है । जब विसर्प रोग दूर होने लगता है, तो लाली और दर्द में कमी होने लग जाती है और कई दिन तक त्वचा से छिलके उतरते रहते हैं। यदि ऐसा न हुआ तो परिणाम बुरा होता है तथा चेहरे और सिर के लिए खतरनाक सिद्ध होता है ।
विसर्प रोग की एलोपैथिक चिकित्सा
• रोगी को जल थोड़ा-थोड़ा करके दिन में तीन लीटर तक पिलाते रहें ।
• अल्कासाल इलिक्जिर अथवा अल्का साइट्रान (ग्लूकोनेट कम्पनी) का लिक्विड आवश्यकतानुसार 5 से 10 मि.ली. बराबर (समान) मात्रा में जल मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाते रहें, ताकि रोगी का मूत्र क्षारीय हो जाये ।
• प्रोकेन पेनिसिलीन 4 लाख यूनिट का सुबह-शाम इन्जेक्शन लगायें अथवा सेप्ट्रान (वरोज बेल्कम कम्पनी) या सायनास्टाट (राउसेल कम्पनी) का आयु तथा रोगानुसार सेवन करायें ।
• दर्द दूर करने के लिए कोडोपायरिन (ग्लैक्सो कंपनी) की दो टिकिया खिलायें।
• नींद न आने पर लार्जेक्टिल (मे एण्ड बेकर कंपनी) 10 से 15 मि.ग्रा. की एक टिकिया खिलायें ।
• पीड़ित स्थान की जलन दूर करने के लिए ठण्डे जल उसपे डालते रहें ।
• नेपोडेक्स (आई. डी. पी. एल. कम्पनी) का डस्टिंग पाउडर और मरहम का पीड़ित स्थान पर प्रयोग करें । (एलर्जिक रोगियों में इसका प्रयोग न करें) नेबासल्फ स्किन आइन्टमेन्ट और डस्टिंग पाउडर (फाईजर कम्पनी) का भी प्रयोग कराया जा सकता है।
अन्य औषधियाँ – औरियोमायसिन कैपसूल व मरहम (सायनेमिड), अलवर सिलीन कैपसूल, डाई सीरप, ड्राप्स, इन्जेक्शन (हैक्स्ट), टेरामायसिन कैपसूल (फाईजर), क्रिस फोर इन्जेक्शन (साराभाई), एन्ट्रिमा टिकिया तथा पेडिएट्रिक सस्पेंशन, पेनिसिलीन जी क्रिस्टेलाइन (साराभाई), एन्टेरो मायसिटीन कैपसूल सीरप (डेज), स्पारिडेक्स (कैपसूल पेडिएट्रिक ड्राप्स, ड्राइसीरप), रैनवैक्सी कम्पनी, कैटिलान कैपसूल (हैक्स्ट), सायनामाक्स कैपसूल (साराभाई), बैक्ट्रिम टिकिया, पेडियाट्रिक टिकिया, सस्पेन्शन (रोश), माइकोडर्म डस्टिंग पाउडर (एफ.डी.सी.), क्लोरोमायसेटिन टापीकिल साल्यूशन (पी. डी.कम्पनी) आदि का भी प्रयोग कराया जा सकता है ।
नोट – औषधि के साथ मिले पत्रक को देखकर ही प्रयोग करायें ।