स्वस्थ सुन्दर काले, लंबे घने केशों की तुलना सावन के मौसम में घटाओं से की गई है। वास्तव में स्वस्थ सुन्दर बाल खुबसूरती को एक विशेष आयाम प्रदान करते हैं। साथ ही हमारे अन्दर आत्मविश्वास भी पैदा होता है और हम जवानी में ही बुढ़ापा महसूस नहीं करने लगते हैं।
आजकल हम देखते हैं कि प्राय: हर तीसरा व्यक्ति बालों के झड़ने, सफेद होने या गंजापन से पीड़ित है। सिर की ऊपरी त्वचा पर जो बाल होते हैं, उनकी जड़ें अन्दर गहराई तक जाती हैं। हर बाल की जड़ के सिरे पर एक गोल थैली होती है, जिसे ‘हेयर पैपिला’ कहते हैं। प्रत्येक बाल को पोषक तत्त्व यहीं से मिलता है। बालों का बढ़ना, उनका सौन्दर्य, चमक-दमक और स्वास्थ्य शरीर की आंतरिक क्रिया प्रणाली से अनुशासित होते हैं। इसलिए वे आपके सामान्य शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। इसलिए पौष्टिक भोजन, शुद्ध व ताजा हवा तो इसके लिए जरूरी है ही, बालों की उचित देखभाल भी सुन्दर केशराशि के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
बाल सफेद होने के कारण
बालों का झड़ना, सफेद होना, गंजापन के लिए हमारा रहन-सहन एवं खान-पान ही अधिक उत्तरदायी है। कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
मानसिक तनाव: जिन्दगी की भाग-दौड़ एवं चकाचौंध में आज हर व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त है।
प्रसाधन: अपने को अधिक युवा दिखाने के उत्साह में लगभग सभी लोग कृत्रिम प्रसाधनों पर निर्भर हैं। हर व्यक्ति की आकांक्षा होती है कि वह अधिक युवा और खूबसूरत दिखाई दे। हम व्यायाम से अपने शरीर को चुस्त व आकर्षक बनाए रखने की कोशिश करते हैं और क्रीमीफेसियल आदि से चेहरे को संवारते हैं। इसी तरह यदि बाल सफेद हो रहे हों, तो उन्हें रंगने की इच्छा होना भी स्वाभाविक है। फलत:शुरू में जो एक-दो बाल सफेद होते हैं, रंजको के इस्तेमाल से, उनका रंग हटने पर, लगभग सारे बाल सफेद ही दिखाई देने लगते हैं। साथ ही अन्य घातक परिणाम भी सामने आ सकते हैं, जैसे अंधापन।
इसी प्रकार बालों को नरम, रेशमी और मुलायम बनाने का दावा करने वाले लगभग समस्त शैम्पू और साबुन बालों को सूखा-सूखा और सफेद ही करते हैं। विटामिनों की कमी के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं। कुछ अंग्रेजी दवाओं के ‘साइड एफैक्ट्स’ (प्रभाव) स्वरूप बाल झड़ने एवं सफेद होने लगते हैं। रक्ताल्पता (एनीमिया) के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं। कुछ बीमारियों (जैसे सेकेण्डरी सिफिलिस) के परिणामस्वरूप भी बाल झड़ने व सफेद होने लगते हैं। हारमोन असंतुलन के कारण भी बाल झड़ने व सफेद होने लगते हैं।
बाल सफेद होने से कैसे रोके
बालों के झड़ने एवं सफेद होने की स्थिति में उपचार के साथ-साथ रोकथाम एवं बचाव के उपाय अपनाना भी आवश्यक है। खान-पान का उचित ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। विटामिन एवं प्रोटीनयुक्त भोजन पर अधिक ध्यान देना चाहिए, दूध-दही, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, सलाद आदि खूब खाना चाहिए। कृत्रिम रंजको (डाई) एवं शैम्पू, साबुन् का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बाल काले करने की वस्तु में मिले हुए अनेक पदार्थों से कोई भी एलर्जी एवं जलन पैदा कर सकता है।
बाल धोने के लिए रात में आंवला, रीठा और शिकाकाई भिगो दें। सुबह कड़ाही में इस मिश्रण को उबाल लें। ठंडा होने के बाद इसे कपड़े में छान लें। फिर बाल धोएं । इससे बालों व प्राकृतिक चमक बनी रहती है। इससे न तो बाल रूखे होते हैं और न ही बालों के झड़ने का भय रहता है। बालों को रंगने के लिए शुद्ध काली मेहंदी में थोड़ी-सी कॉफी और अंडे का पीला जर्दा मिलाकर लगाएं लगभग एक घण्टा लगा रहने दें। तब ऊपर बताए मिश्रण से बाल धो लें। बालों की छटा निराली बनी रहेगी। बालों की देखभाल के अंतर्गत सिर्फ उनका सफाई ही नहीं, बल्कि मालिश भी शामिल है।
मालिश करते समय हथेलियों के बजाय सिर्फ उंगलियों को ही प्रयोग में लाना चाहिए। उंगलियों की गति और लय भी इस प्रकार होनी चाहिए कि सिर की कम्पन अन्दर तक महसूस हो और मालिश करने के बाद आप हलकापन और आराम महसूस करें।
आजकल मशीनों से भी मालिश की जाती है। ये ‘मशीन मसाजक’ (मर्दक) हाथों की अपेक्षा सिर में अधिक कंपन पैदा करते हैं, जिससे नाड़ियों का तनाव खत्म होता है। साथ ही सिर की पेशियां, तंतु व ग्रंथियों में रक्तसंचार अधिक उत्तेजित होकर बालों को शीघ्र लाभ पहुंचाते हैं।
मालिश करने के लिए नारियल, सरसों, जैतून या बादाम के तेल का प्रयोग करना चाहिए। महंगे तेल ही बालों को अधिक लाभ पहुंचाते हों, यह सही नहीं है। बस, मालिश का तरीका सही होना चाहिए, फिर तेल चाहे सरसों का ही क्यों न हो।
बाल सफ़ेद का होमियोपैथिक उपचार
सिर पर फोड़ा बन जाना, चलने पर चक्कर आना, बाल अत्यधिक तेजी से बढ़ते हैं एवं गिर जाते हैं और पुनः उगने लगते हैं। दुबारा उगे बाल पहले की अपेक्षा अधिक काले होते हैं, किन्तु रूखे, कठोर एवं मुंह फटे हुए होते हैं। यह सिलसिला चलता रहता है। सिर में अधिक खुजली होती है। साथ ही गठिया एवं जोड़ों की सूजन भी रहने लगती है। ‘विसबेडन’ 200 शक्ति में एक हफ्ते में एक दिन (एक बूंद सुबह, एक बूंद शाम) प्रयोग करनी चाहिए।
‘हाइड्रेस्टिस’, ‘आर्निका’, ‘केंथेरिस’ सभी दवाओं के मदर टिंचर और ‘हिपरसल्फ’ दवा 200 शक्ति में, एक-एक ड्राम मात्रा में लेकर, 200 ग्राम नारियल के तेल में मिला लें और बालों की जड़ों में उंगलियों से लगाएं।
साथ ही ‘एब्रोटेनस’ 30 शक्ति में, ‘लाइकोपोडियम’ 30 शक्ति में, रोसामेराइनस 30 शक्ति में एवं ‘सियोनेथस’ 30 शक्ति में खरीद लें और सभी दवाएं एक-एक घण्टे के अन्तर पर दिन में दो बार, 4-4 गोलियां खाएं (‘लाइकोपोडियम’ कुछ दिन बाद बंद कर दें)। जब तक फायदा न हो, दवा खाते व लगाते रहें। बालों का झड़ना एवं गंजापन दूर हो जाएगा।
‘जेबोरेंडी’, ‘आर्निका’, ‘सियोनेथस’ एवं ‘एब्रटेनम’ दवाओं के मदर टिंचर एक-एक ड्राम मात्रा में लेकर, 200 ग्राम नारियल के तेल में मिलाकर, बालों की जड़ों में उंगलियों से लगाएं साथ ही ‘साइलेशिया’ दवा 12 × शक्ति में प्रतिदिन 4-4 गोलियां दिन में तीन बार खाने से बाल खूब घने, लम्बे और काले बने रहते हैं। इसे 6 माह तक प्रयोग करें।
सिर में फ्यास (रूसी) हो, बाल असमय पकते और झड़ते हों, तो निम्न फार्मूला लाभदायक है ‘काली फीस’ 12x, ‘कालीम्यूर’ 3 ×, ‘कैल्केरिया फॉस’ 3x, ‘काली सल्फ 3x, ‘नेट्रमम्यूर’ 3 ×, ‘साइलेशिया’ 12 x, सभी दवाओं को 2 ग्रेन मात्रा में 3 बार प्रतिदिन, तीन माह तक कुनकुने गर्म पानी के साथ सेवन करने से आशातीत लाभ होगा।
प्रसव के बाद बाल झड़ने पर ‘फॉस्फोरिक एसिड 200 शक्ति में, 4 दिन तक, दिन में 3 बार 4-4 गोलियां लें। हाथ लगाते ही बाल हाथ में आ जाएं या कंधी में बाल बहुत आएं, तो ‘फॉस्फोरस’ 30 शक्ति में 4-4 गोलियां दिन में तीन बार लें।
सिर की चमड़ी में कोई रोग न हो, तो बाल झड़ने एवं गंजेपन के लिए, ‘यूस्टिलेगो’ 200 शक्ति में दिन में 2 बार एवं ‘आर्निका’ 200 शक्ति में दिन में एक बार कुछ दिन तक सवन करने पर लाभ मिलता है।
यदि बालों में खुश्की या फ्यास हो, तो ‘यूस्टिलेगो’ 200 शक्ति में, ‘हिपरसल्फ’ 200 शक्ति में एवं ‘बेडिआगा’ 30 शक्ति में दिन में दो बार, कुछ दिन लेने पर खुश्की ठीक हो जाती है। एसिडफॉस 6 शक्ति में कुछ दिन नियमित सेवन करने से भी गंजापन दूर होता है।