[ एक तरह के मकड़े से तैयार होता है ] – कण्ठमाला और यक्ष्मा के रोगी की यह बढ़िया दवा है। थाइसिस की पहली अवस्था में इसका व्यवहार होने पर इससे बहुत कुछ फायदा होने की सम्भावना रहती है। थेरिडियन – आँख के उपरी भाग में टपक का दर्द, सिर में चक्कर आने के साथ-ही-साथ मिचली और जरा भी हिलने- डुलने से वमन, आँख बंद करने या जरा से गाड़ी चलने पर जी मिचलाने लगना और वमन, बाईं ओर छाती के ऊपरी भाग में और बाईं तैरती पसली ( floating rib) की जगह पर दर्द, हृत्पिण्ड में दर्द, मेरुदण्ड में दर्द, इसलिए पीठ में सहारा लगाकर बैठ न सकना, थोड़ी भी आवाज या एक कदम चलने पर ही दर्द का बढ़ जाना, अस्थि-क्षत ( caries ) नेक्रोसिस प्रभृति अस्थि-क्षत के साथ शरीर की प्राय: सभी हड्डियों में दर्द प्रभृति उपसर्ग इससे आरोग्य हो जाते हैं। डॉ० बैरुच अस्थि-क्षत में ( नेक्रोसिस ), किसी तरह फायदा न पाने से-बीच में थेरिडियन की 1 मात्रा दिया करते थे।
रोग में वृद्धि – छुने पर, दबाव से, जलयात्रा से, गाडी में सवारी करने पर, आँख बन्द करने और झटका लगने, रोग बाईं ओर।
क्रम – 6, 200 शक्ति ।