• स्त्री हो या पुरुष, सुंदर दिखना सभी चाहते हैं। चेहरे पर एक तिल मासूमियत में चार चांद लगा सकता है, जबकि तिलों से भरा चेहरा बदसूरती का द्योतक बन जाता है। तिलों की बढ़वार को रोकने में ‘थूजा’ नामक होमियोपैथिक औषधि कारगर रहती है। इसी प्रकार संपूर्ण शरीर के दाग-धब्बों को दूर करने के लिए भी होमियोपैथिक औषधियां अच्छे परिणाम देती हैं।
• किसी भी बीमारी में शरीर के किसी भी भाग में चेचक जैसे दाने निकल आएं और उसके बीच गड्ढे हों तो सेवन कीजिए- ‘एंटम टार्ट’ 30
• सिर, मुंह, नाक या शरीर के किसी भी स्थान में दाद हो जाए और चेहरा बदशक्ल लगे तो घबराइए नहीं, खाइए- ‘टेलुरियम’ 30।
• होंठ और जीभ काले हो जाएं और चेहरा बदसूरत लगे तो – ‘आर्सेनिक एल्ब’ 30 अपनाइए।
• मुंह, नाक, कान, गला, दाढ़ी और माथे में एग्जिमा, फोड़ा या छाले की तरह दाने, पीव भरे दाने, सींग जैसे नुकीले ऊंचे मस्से और कमल के कांटे (जिसे ‘पद्म कांटा’ भी कहा जाता है), जो ज्यादातर हाथों एवं पैरों में होता है, के लिए खाइए – ‘एंटम क्रूड’ 6।
• सारे शरीर पर नीले या काले दाग दिखाई दें तो उसका इलाज है –‘अर्निका’ 200 (सप्ताह में एक बार)।
• आंख के चारों ओर किसी भी कारण से काला दाग पड़ जाने पर कुछ दिनों तक –‘सिना’ 30 का सेवन करने से यह दाग मिट जाता है।
• पलकों पर एग्जिमा होने पर, पलकों का सिरा फटने पर और पलकों पर पुंसियां होने पर लाभदायक होता है – ‘ग्रेफाइटिस’ 30
• पलक का ऊपरी हिस्सा फूलने पर ‘कैलि कार्ब’ 6, पलक का निचला हिस्सा फूलने पर -‘एपिस’ 6 लाभदायक हैं, लेकिन आख के चारों ओर फूलने पर लाभदायक होता है -‘फॉसफोरस’ 30।
• कभी-कभी आंख की पलकें इतनी मोटी हो जाती हैं कि हड्डी-सी बन जाती है। इसकी अचूक दवा है – ‘अर्जेटम मैटालिकम’ 200
• एक आंख का फैला हुआ रहना और एक का सिकुड़ा रहना, चेहरे की सुंदरता को यह भी बिगाड़ता है। इस रोग के लिए लाभदायक है –‘जैल्सिमियम’ 30।
• चमड़ी का रंग नीला पड़ जाने पर, विशेष तौर पर पलकों, होठों, जीभ और नाखून। इसके लिए सेवन करना चाहिए – ‘डिजिटेलिस’ 6
• मुंह पर पड़े पीले दाग को छुड़ाने में – ‘कोलचिकम’ 30 या ‘आर्सेनिक’ 30 का सेवन लाभदायक होता है।
• सफेद कुष्ठ और उपदंश रोग में शरीर से मछली की चोइयों की तरह चकते निकलने पर कुछ दिनों तक -‘ आर्स सल्फ फ्लेवम’ 3 x का सेवन रोग का निदान करता है।
• चेहरे या शरीर के किसी भी भाग पर काला दाग पड़ने पर – ‘फर्मिका रूफा’ 6 का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त ‘सिकेलि कार’ भी लाभदायक होता है।
• महिलाओं के चेहरे पर पड़ने वाली झाइयों को दूर करता है – ‘एक्टिया रेसिमोसा’ 30
• शरीर का रंग नीला होने पर – ‘हाइड्रोसाइनिक एसिड’ 30 लाभदायक होता है।
• सिर, चेहरा और शरीर पर एक साथ पुंसियां निकल आती हों, और उन पर पीली खोराठी पड़ जाती हो या सिर पर एग्जिमा हो गया हो तो – ‘साइक्यूट’ 200 का सेवन लाभ पहुंचाता है।
• किसी बीमारी में चेहरे का रंग एकाएक बैंगनी हो जाए या एकदम काला हो जाए तो इसकी अचूक दवा है – ‘एइलेंथस’ 6।
• ठंडी हवा लगने से चेहरे पर खुरदरे दाने निकल आने पर लाभदायक है – ‘ओनेंथि क्रोकाटा’ 3 x जबकि शरीर का रंग नीला होने पर – ‘एसिड हाइड्रो’ 30 या ‘नाइट्रिक एसिड’ 30 लाभप्रद हैं।
• शरीर और मुख पर ठंडी हवा के कारण पड़ने वाला किसी भी प्रकार का दाग मिटाता है – ‘पेट्रोलियम’ 30।
• शरीर का कोई भाग जल जाने पर – ‘फेरम फॉस’ 12 x की चार-चार गोलियां गुनगुने पानी से दिन में तीन बार सेवन करने एवं 15-20 गोलियों का चूर्ण बनाकर थोड़ा-सा नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बनाकर जले हुए स्थान पर लगा देने से जलन मिट जाती है। कुछ दिनों तक दवा का सेवन करने एवं पेस्ट लगाने से जले का दाग बिल्कुल मिट जाता है।
• दाढ़ी बनाने से चेहरे पर खुजली के दाने निकल आएं या मुंहासे से चेहरा भर जाए तो इसे ठीक करता है – ‘सल्फर आयोड’ 30
• हाथ में यदि खुजली हो गई`हो और हाथ की चमड़ी मोटी हो गई हो, साथ ही फटी-फटी हो गई हो तो – ‘ग्रेफाइटिस’ 3 x का 10-12 ग्रेन चूर्ण लेकर थोड़ी-सी वैसलीन में मिलाकर लगाने एवं – ‘ग्रेफाइटिस’ 30 का सेवन करने से आराम मिलता है।
• बरसात के दिनों में चकते के आकार के दाने निकलने और फफोले उठने तथा उसका बर्र जैसा आकार हो जाने तथा खुजली होने और उसमें मोटी पपड़ी पड़ने तथा खुजलाने पर खून निकलने पर लाभदायक होता है – ‘डल्कामारा’ 30, जाड़े के दिनों में ऐसा होने पर –‘पेट्रोलियम’ 30, 200 तथा गरमी में होने पर – ‘एंटिम क्रूड’ 30, 200 लाभदायक हैं।
• नीचे के होंठ में घाव होने पर, होंठ के बीच में फट जाने पर, होंठ के सूखे रहने पर –‘पल्सेटिला’ 30 का सेवन करें।
• होंठ और नाक के किनारे फटने पर, शरीर के विभिन्न भागों के फटने पर लाभदायक होता है – ‘नेट्रम म्यूर’ 3x
• ऊपर या नीचे के होंठ फूलने पर – ‘एपिस’ 6 का सेवन लाभकारी होता है।
• होंठ की चमड़ी उधड़ जाने पर – ‘कोनियम’ 30 या ‘सीपिया’ 30 का सेवन करना चाहिए।
• शरीर में झुर्रियां पड़ गई हों, मन की शिथिलता के साथ क्षीणकाय होकर हड्डियों का ढांचा शेष रह गया हो तो –‘प्लम्बम मेट’ 200 का सेवन सेहत को सुधार देता है।
• नाक की हड्डी पर घाव की अच्छी दवा है – ‘आरम म्यूर’, ‘आरम मेट’ 30। इन दोनों में से किसी एक का सेवन करना चाहिए।
• युवतियों के मुंह से श्वास के साथ बदबू हो और इसका अहसास अगल-बगल में बैठी सहेलियों को लगता हो, तो इसका इलाज है – ‘आरम मेट’ 30
• चेहरे पर कोई दाग हो तो वह चेहरे को बदशक्ल तो बनाता ही है, परंतु यदि किसी महिला के नाक से लेकर गाल तक यदि घोड़े की लगाम की तरह दाग हो और वह दाग पीला या भूरा हो तो निश्चित रूप से वह महिला किसी जरायु रोग से ग्रस्त होती है। इस रोग की उत्कृष्ट दवा है – सपिया’ 200
• नवयुवतियों की बहुत बड़ी समस्या है मुंहासे। चेहरे पर हो जाने पर यह सुंदरता को प्रभावित करता है। ‘फॉसफोरस’ 30 इसकी एक अच्छी दवा है। इसके अतिरिक्त – ‘कैलि ब्रोम’, ‘बर्बेरिस एक्वाफोलियम’ 30 का भी व्यवहार करने से लाभ होता है।
• मुंहासे से यदि सफेद भात की तरह का पदार्थ निकलता हो तो – ‘केलिम्यूर’ 12 x का सेवन लाभप्रद है जबकि लाल मुंहासों के लिए लाभदायक है – ‘कैल्केरिया फास’ 3 x
• सारे शरीर में आमवात या पित्ती उछले और खुजलाहट हो, साथ ही लिवर का कोई रोग हो, गर्दन की ग्रंथि फूल जाती हो तो इसके लिए सेवन करना चाहिए- ‘एस्टाकस फलूविएटिस’ 6
• मस्तक एवं भौंह के बीच गोल-गोल तुमड़ी का निकल जाना चेहरे को बदशक्ल कर देता है। इससे छुटकारा दिलाता है – ‘कास्टिकम’ 30। लेकिन माथे पर गुमड़ हो और वह पत्थर की तरह कड़ा हो तो इसके लिए लाभदायक है – ‘कैल्केरिया पलोर’ 12 x ।
• अगर कधों के ऊपर पहले सुपारी के आकार का ट्यूमर हो और वह बड़े आकार का हो जाए तो यह कधे के आकार को बेडौल कर देता है। यह – ‘कैल्केरिया फॉस’ 200 की कुछ खुराकों से ठीक हो जाता है।
• गले और कंधे या पीठ में थुलथुला चर्बीयुक्त ट्यूमर हो जाने से भी सुंदरता प्रभावित होती है। इसे ठीक करता है – ‘बेराइट कार्ब’ 30।
• कपाल की चमड़ी और मुखमंडल सिकुड़ा हुआ रहने से भी चेहरा सुंदर नहीं लगता। इसे दूर करने के लिए है – ‘हैलिबोरस’ 6
• चेहरे पर झुर्रियां पड़ने पर – ‘सार्सापेरिला’ 30 का सेवन करने पर चेहरा झुर्रीमुक्त हो जाता है।
• कम उम्र में प्रौढ़ की तरह चेहरा दिखाई पड़ने पर लाभदायक होता है – ‘एसिड फ्लोर’ 30।
• कभी-कभी मनुष्य के शरीर में इतनी चर्बी हो जाती है कि मनुष्य में मोटापा आ जाता है। अधिक मोटापा जहां अनेक शारीरिक रोगों का जन्मदाता है, वहीं थुलथुला शरीर बेढंगा भी लगने लगता है। चर्बी और मोटापा घटाने में – ‘फ्यूकस वेसिक्यूलोसस-क्यू’ काफी लाभदायक हैं।
• प्रसव के बाद जिस महिला के कमर और पेट बहुत स्थूल हो जाते हैं और थुलथुले होकर लटक जाते हैं, वैसी महिला के लिए प्रभावकारी दवा है – ‘ग्रेफाइटिस’ 30
• कुचल जाने या चोट लगने की वजह से यदि नख खराब हो गए हों और विकृत अवस्था में या टूटे हुए नाखून निकलते हों तो – ‘एंटम क्रूड’ 30 के सेवन से स्वाभाविक रूप से संयुक्त नाखून बढ़ते हैं। टेढ़े नाखून उगते हों तो इसका इलाज है – ‘एसिड फ्लोर’ 200।
• पैर के अंगूठे के नाखून गलने पर लाभदायक होता है –‘ग्रेफाइटिस’ 30
• पित्ती उछलने पर इसकी महौषध है – ‘एपिस’ 6
• सर्दी से हाथ की अंगुलियां फट जाती हैं, ठंडे पानी से हाथ धोने से अंगुलियों में छिलकेदार घाव हो जाते हैं, जख्म से खून निकलने लगता है। इस रोग की दवा है –‘क्लेमेटिस’ 6।
• दुबले-पतले युवक या दुबली-पतली युवती या बच्चे, जो कम उम्र में ही वृद्ध की तरह लगने लगते हैं और अपनी उम्र से बहुत ज्यादा दिखते हैं, चलने में लड़खड़ाने लगते हैं, शरीर में कपन होता है, विचार-शक्ति की कमी हो जाती है और सब कुछ उसे भूला-भूला-सा लगता है। ऐसे लक्षण वाले रोगियों की अमृततुल्य दवा है – ‘एम्ब्राग्रिसिया’ 6
ये तो सुंदरता को बढ़ाने के कुछ उपाय हैं, परंतु यह नहीं सोचना चाहिए कि किसी दूसरे से मेरी सुंदरता कम है और यह सोचकर हीन भावना से ग्रस्त नहीं होना चाहिए। लोग अलग-अलग नजरिए से सुंदरता को आंकते हैं। व्यक्ति को अपना व्यवहार भी सुंदर बनाना चाहिए। दोनों तरह की सुंदरता जीवन में सफलता दिलाती है। |
अपने पैर की मालिश करें
रिफ्लेक्सोलॉजी के चिकित्सक अनुमोदन करते हैं कि जिन लोगों के फेफड़ों तथा श्वसन पथ में बलगम जमा हो, उनको निम्नलिखित उपचार करना चाहिए : दोनों पैरों में अंगूठे तथा बड़ी उंगली के बीच की त्वचा की मालिश करें; यह भाग आपके गले तथा फेफड़ों से संबंधित होता है। तत्पश्चात् पैरों की उंगलियों को फैला कर पैर के गोलाकार भाग की मालिश करें। यह भाग फेफड़ों तथा छाती से संबंधित होता है।