स्टिक्टा पल्मोनेरिया का होम्योपैथिक उपयोग
( Sticta Pulmonaria Homeopathic Medicine In Hindi )
(1) स्टिक्टा खुश्क जुकाम की अतिश्रेष्ठ औषधि है – डॉ० नैश का कथन है कि जुकाम की जो दवाएं हैं उनमें इसका बहुत ऊंचा स्थान है। इसके जुकाम लक्षण क्या हैं?
(2) स्टिक्टा के जुकाम के शुरू में माथे और नाक की जड़ में दर्द होता है – इसके जुकाम का लक्षण यह है कि जब जुकाम शुरू होता है तब वह खुश्क होता है और रोगी को माथे और नाक की जड़ में दर्द होता है।
(3) स्टिक्टा के जुकाम में जब नाक से स्राव जारी हो जाता है तब दर्द कम हो जाता है – इस जुकाम में जब नाक से स्राव बहने लगता है तब माथे और नाक की जड़ का दर्द या तो चला जाता है, या कम हो जाता है।
(4) जब नाक से स्राव आना बन्द हो जाता है तब माथे का दर्द और नाक की जड़ में दर्द शुरू हो जाता है – जुकाम में जब नाक का स्राव बन्द हो जाने से माथे में और नाक की जड़ में दर्द शुरू हो जाय, नाक का स्राव सूख जाय, रोगी को नाक में खराश हो, वह नाक सिनके, परन्तु कुछ निकले नहीं, नाक का स्राव सूख कर उसकी नाक में पपड़ियां बन जायें, माथे और नाक की जड़ में दर्द हो, तब ऐसे जुकाम में स्टिक्टा लाभ करता है।
(5) कैलि बाईक्रोम तथा स्टिक्टा की तुलना – इस प्रकार का सूखा जुकाम जिसमें माथे में और नाक की जड़ में दर्द हो कैलि बाईक्रोम में भी पाया जाता है, परन्तु इन दोनों में भेद यह है कि कैलि बाईक्रोम में जब भी नाक का स्राव निकलता है वह सूत-सा होता है, सख्त होता है, स्टिक्टा में सूत-सा श्लेष्मा नहीं निकलता। युफ्रेशिया, मर्क, आर्सेनिक और कैलि आयोडाइड में बहता हुआ जुकाम होता है; स्टिक्टा का जुकाम बिल्कुल खुश्क होता है, बहता नहीं; पल्स, सीपिया, कैलि सल्फ में गाढ़ा, न लगने वाला, बिना खराश का श्लेष्मा होता है, स्टिक्टा में यह नहीं होता क्योंकि इसका जुकाम खुश्क होता है।
(6) स्टिक्टा, नक्स, एरम ट्रिफ की जुकाम में तुलना –
स्टिक्टा का जुकाम – नाक से हवा लेने में हवा अन्दर लगती है, सवेरे जुकाम कम होता है, दोपहर को तेज होता है, तेज खुश्की महसूस होती है।
नक्स का जुकाम – दिन को तेज बहता हुआ जुकाम होता है, रात को नाक सूख जाती है, प्रात: काल 3 बजे जुकाम की परेशानी बढ़ती है।
एरम ट्रिफ – नाक से लगातार तीखा, काटता हुआ स्राव बहता रहता है फिर भी नाक सूखी होती है, रुकी हुई; रोगी लगातार नाक को कुरेदता है।
हवा लेने से नाक के अन्दर हवा का लगना रुमेक्स, कैलि बाईक्रोम, फॉस तथा डलकेमारा में भी पाया जाता है।
(7) खसरा और इन्फ्लुएंजा के बाद, या तपेदिक की सूखी खांसी में लाभ करता है – खसरा और इन्फ्लुएंजा के बाद गले में खुरखुराहट के साथ कष्टप्रद सूखी खांसी हुआ करती है। तपेदिक में भी ऐसी सूखी खांसी होती है। इस खांसी में स्टिक्टा लाभप्रद है। इस खांसी से रोगी सो भी नहीं सकता। इस औषधि से यह खांसी दूर हो जाती है, और खांसी दूर हो जाने से रोगी आराम से सोता है।
(8) दायें कन्धे के जोड़ का दर्द, कलाई, अंगुलियों और घुटनों का दर्द ठीक करता है – डॉ० हेल का कहना है कि उन्होंने इस औषधि से अनेक रोगियों के दायें कन्धे के जोड़ का दर्द, हाथ की कलाई का दर्द, अंगुलियों का दर्द, घुटने के जोड़ों का दर्द दूर कर दिया – इस दृष्टि से इस प्रकार के वात-रोग में यह उत्तम औषधि है।
(9) शक्ति – टिंक्चर, स्टिक्टा 3, स्टिक्टा 6