कभी-कभी दूध बहुत अधिक गाढ़ा होकर स्तनों में रुक जाता है और बारीक छिद्रों से बाहर नहीं निकल पाता। अधिक देर तक स्तनों में दूध जमा हुआ रहने अथवा रुक जाने से वह सड़ने लग जाता है, जिससे पीड़ित स्त्री को ज्वर हो जाता है। स्तन अकड़ जाना और उनमें दर्द होना (कभी-कभी तो स्त्री बेहोश तक हो जाती है) तीव्र ज्वर, शोथ, जलन, लाली, बेचैनी इत्यादि लक्षण हो जाते हैं । इस रोग का कारण स्तनों की दूध की नालियों या रक्त वाहिनियों का सिकुड़ जाना या उनमें रसूलियों का हो जाना, दूध की नालियों में गाढ़ी चिपकने वाली कफ का रुक जाना, दूध का बहुत अधिक गाढ़ा होना, स्तनों में बहुत अधिक माँस उत्पन्न होकर स्तनों के अन्दर की रक्तवाहिनियों को दबा देना, दूध अधिक मात्रा में उत्पन्न होना और अधिकता के कारण नालियों में फंस जाना, बच्चे के दूध न पीने के कारण स्तनों में अधिक मात्रा में दूध एकत्रित हो जाना, बहुत अधिक गर्मी से दूध का पानी सूख जाना अथवा अधिक सर्दी से दूध का जम जाना आदि होते हैं ।
स्तनों में दूध रुक जाने एलोपैथिक दवा
• गरम पानी में बोरिक एसिड मिलाकर फलालेन अथवा कोई साफ कपड़ा भिगोकर धीरे-धीरे पीड़ित स्तन पर टकोर करें। तीव्र पीड़ा होने पर कपड़े को निचोड़ कर गरम-गरम स्तन पर रख दें । टकोर से दूध पतला हो जाने पर ब्रेस्ट पम्प से दूध को निकाल कर फेंक दें । ब्रेस्ट पम्प से दूध निकालने के बाद उस पर इकिथियोल बेलाडोना प्लास्टर अथवा इकथियोल मरहम लगायें ।
• सेप्ट्रान अथवा सायना स्टाट (डी. एस. टैबलेट) का सेवन लाभप्रद है । प्रोकेन पेनिसिलीन (इन्जेक्शन पी. पी. एफ.) प्रत्येक 12-12 घण्टे पर लगाना लाभकारी है। दर्द को दूर करने हेतु कोडोपायरिन टैबलेट (ग्लैक्सो कम्पनी) अथवा कोड्रल टैबलेट (वरोज बेल्कम कम्पनी) 1 टिकिया दिन में 2-3 बार खिलायें ।
• सायना माक्स (साराभाई) (कैपसूल तथा सीरप के रूप में प्राप्य) का सेवन भी लाभकारी है। तीव्र दर्द की दशा में-एनाडिक्स (कन्सेप्ट कम्पनी) का एक कैपसूल दिन में 2-3 बार सेवन करायें ।
• स्त्री को आराम से लिटाये रखें । उसको साफ-सुथरा रखें। अधिक चलने-फिरने अथवा हिलने-डुलने न दें । शीघ्र-पाची भोजन खिलायें ।