अर्जेन्टम नाइट्रिकम – व्यापारी, विद्यार्थी, एक्टर आदि को मानसिक-कार्य से थकान आ जाती है। सर्वांगीण थकान, कमजोरी, सुन्नपन, कंपन, पेट में गैस आदि लक्षण उत्पन्न हो जाने में उपयोगी है।
आर्सेनिक – इसकी कमजोरी शारीरिक कमजोरी होती है, पिकरिक की कमजोरी से बहुत ज्यादा। रोगी सचमुच संकट की स्थिति में होता है।
कैलकेरिया कार्ब – इसकी कमजोरी मैथुन के बाद अनुभव होती है। स्त्री-संग के बाद अंगों में शिथिलता, हाथ-पैर में कंपकंपी, थकावट, सिर-दर्द आदि होने लगता है। इस प्रकार की नि:सत्वता प्राय: प्रात:काल अधिक अनुभव होती है।
चायना – रोगी में रक्त का अभाव हो जाता है। बहुत अधिक खून जाने, बहुत अधिक पसीना आने, दस्त आने से कमजोरी में यह लाभप्रद है। वीर्य-क्षय से होने वाली कमजोरी में भी इससे लाभ होता है। जीवन-प्रद किसी भी स्राव के निकल जाने पर इसे स्मरण करना चाहिये। चायना और फेरम फॉस दोनों क्रमश: 3x देने से कमजोरी दूर हो जाती है।
कोनायम – हस्त-मैथुन आदि घृणित आदतों से होने वाली कमजोरी में इससे लाभ होता है।
जेलसीमियम – मांस-पेशियों की शिथिलता, सब अंगों में भारीपन, थकावट, स्नायविक कंपन, निद्रालुता, जड़ता, सिर में चक्कर आना आदि लक्षणों में दी जाती है।
नैट्रम कार्ब – सूर्य की गर्मी से थकावट आ जाने पर उपयोगी है।
पिकरिक ऐसिड – क्रमश: होने वाली स्नायविक-क्षीणता (Enervation) में जो थकावट के रूप में शुरू होती है और जिसका अन्त पक्षाघात में हो सकता है। शरीर के कई अंग सुन्न होने लगते हैं, अंगों में बोझ, भारीपन महसूस होता है, रोगी लेटे रहना चाहता है, जरा-सी हरकत या परिश्रम को सहन नहीं कर सकता। निद्रा-नाश, मानसिक-श्रम या चिन्ता से ऐसी हालत पैदा हो जाती है। रोगी में नितान्त उपेक्षा उत्पन्न हो जाती है, किसी काम को करने का जी नहीं चाहता। इसमें कमर के नीचे मेरु-दण्ड पर हाथ लगाने से गर्मी महसूस होती है, कमर-दर्द भी होता है।
फॉसफोरस – कमजोरी (weakenss) के साथ रोगी में चिड़चिड़ाहट (Irritability) भी पाई जाती है। रोगी प्रत्येक वाह्य-संवेदन (External impression) से चिड़ उठता है। शोर-गुल, रोशनी, उग्र-गंध-किसी चीज को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
फॉसफोरिक ऐसिड – ऊपर जितनी औषधियों का हमने जिक्र किया उनमें से पिकरिक ऐसिड, फॉसफोरस तथा फॉसफोरिक ऐसिड – ये तीनों एक-सी हैं। इन तीनों में थकावट, कमजोरी, कंपन, जलन और जनेन्द्रियों पर प्रभाव पाया जाता है। इन तीनों में फॉसफोरिक ऐसिड में सब से अधिक कमजोरी पायी जाती है। रोगी इतना कमजोर, शिथिल, उपेक्षावान हो जाता है जितना अन्य किसी औषधि में नहीं होता।
सेलेनियम – अत्यधिक विषय-भोग करने से कमजोरी। रोगी की ‘मूत्राशय-मुखशायी-ग्रन्थि’ (Prostate gland) का स्राव टपकता रहता है, नींद में वीर्य-स्राव हो जाता है।
सल्फर – भूख से शक्तिहीनता जो खाने से चली जाती है, ऐसी कमजोरी में उपयोगी है।
नक्स वोमिका तथा हाइपोफॉस – नक्स वोमिका 1x तथा कैलकेरिया हाइपोफॉस 3x लक्षणानुसार कमजोरी दूर करने वाली ‘all round pick-me up’ है।