चीनी, आइसक्रीम, डीप फ्राई किया भोजन, ज्यादा नमक, चिप्स, उच्च वसा वाले स्नैक्स, पेस्ट्री, बेकिंग उत्पाद, सॉस, पनीर, मीट, फैट और शुगर से बने कुकीज, सिगरेट, शराब, कोल्ड ड्रिंक, चाय, कॉफी आदि। अब इस बात की चर्चा कर लेते हैं कि ये चीजें या इनसे बन पदार्थ दिल के मामले में खतरनाक क्यों हैं –
(1) दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है ज्यादा चीनी : चीनी एक कार्बोहाइड्रेट है और इस समेत सभी प्रकार के कार्बोहाइड्रेट को पचाने व आत्मसात करने के लिए शरीर को विटामिन बी (खास तौर से विटामिन बी-1) की जरूरत पड़ती है। विटामिन बी-1 को थिएमाइन भी कहा जाता है। जब हम प्राकृतिक रूप से कार्बोहाइड्रेट के धनी पदार्थ खाते हैं तो उनके साथ शरीर को कोई समस्या नहीं आती, क्योंकि इन पदार्थों में थिएमाइन मौजूद रहता है, मगर सफेद चीनी में यह बिल्कुल नहीं होता। इसलिए जब हम ज्यादा चीनी का सेवन करते हैं तो शरीर इसे आत्मसात करने के लिए हृदय समेत शरीर के सभी अंगों से थिएमाइन खींचता है। इससे शरीर में थिएमाइन की कमी हो जाती है, जिससे शरीर के बाकी अंग तो प्रभावित होते ही हैं, हृदय की मांसपेशियां भी कमजोर पड़ जाती हैं। नतीजा हृदय रोग के रूप में सामने आता है और अगर पहले से ही हृदय रोग हो तो स्थिति और खराब हो जाती है।
जब शरीर में जरूरत से ज्यादा चीनी पहुंचती है तो इसकी अतिरिक्त मात्रा ग्लाइकोजन के रूप में शरीर में स्टोर नहीं हो पाती। यह अतिरिक्त मात्रा ट्राइग्लाइसिराइड्स के रूप में वसा (फैट) में बदल जाती है। इस प्रकार यह रक्त में ट्राइग्लाइसिराइड्स (फैट) का स्तर बढ़ा देती है, जिससे धमनियों में रक्त के बहने में रुकावट आने लगती है। नतीजा हृदय रोग के रूप में सामने आता है।
खास बात : ज्यादा चीनी शरीर में जाकर यकृत (लिवर) को भी ज्यादा ट्राइस्लाइसिराइड्स बनाने के लिए उत्तेजित करती है। इसके अलावा चीनी की ज्यादा मात्रा हमारे खून में यूरिक एसिड की मात्रा भी बढ़ा देती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या पैदा होती है। इस प्रकार चीनी का ज्यादा सेवन हर प्रकार से हृदय के लिए नुकसानदायक होता है।
(2) हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है ज्यादा नमक : ज्यादा नमक शरीर में जाकर नर्वस सिस्टम और एड्रीनल ग्लैंड को उत्तेजित करता है, जिससे शरीर में तनाव पैदा होता है। ज्यादा नमक शरीर में पानी को रोकने का काम करता है, जिससे यह हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है। यह वजन बढ़ाता है, जिस कारण दिल को भी समस्या पैदा होती है। ऊपर से खाया गया नमक पूरी तरह पानी में घुलता नहीं है, जिसकी ज्यादा मात्रा धमनियों को सख्त करने का काम करती है।
(3) खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती है कॉफी : उबली हुई कॉफी में एक लिपिड होता है, जो खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा देता है। एक अध्ययन के अनुसार, चार कप कॉफी खून में पांच फीसदी कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देती है। दस कप कॉपी कोलेस्ट्रॉल का स्तर 12 फीसदी तक बढ़ा देती है। कैफीन दिल की धड़कन को भी अनियमित कर देती है। इस स्थिति को अर्थमिया कहते हैं। साथ ही यह ब्लड प्रेशर भी बढ़ाती है। इससे दिल पर दबाव बढ़ता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
(4) दिल को कमजोर करता है धूम्रपान : सिगरेट में मौजूद निकोटिन दो ऐसे हार्मोन (एपीनेफ्रीन और नॉनएपीनेफ्रीन) के निर्माण को उत्तेजित करता है, जो दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है। इससे हृदय की मांसपेशियां ज्यादा ऑक्सीजन की मांग करती हैं, जबकि सिगरेट में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) रक्त की ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता को कम कर देती है। इससे हृदय को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है और वह कमजोर पड़ने लगता है। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि केवल दो सिगरेट का सेवन ही ब्लड प्रेशर की आठ से दस एमएम तक बढ़ा देता है और यह बढ़ा हुआ स्तर 15 मिनट से भी ज्यादा समय तक बना रहता है। इससे दिल पर पड़ने वाले दबाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। धूम्रपान से रक्त का थक्का बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है और कोरोनरी आर्टरी के अलावा मस्तिष्क को जाने वाली धमनियां भी प्रभावित होती हैं। थक्का बनने से धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में स्ट्रोक या लकवा मारने का खतरा भी बढ़ जाता है।
खास बात : अध्ययन बताते हैं कि दिल की बीमारी से होने वाली पांच मौतों में से एक धूम्रपान के कारण होती है। इसके अलावा धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में ऐसा न करने वाले व्यक्ति की तुलना में कोरोनरी हार्ट डिजीज की आशंका दोगुनी हो जाती है। धूम्रपान से शरीर में फ्री रेडिकल्स भी पैदा होते हैं, जो दिल के दुश्मन माने जाते हैं। इसके अलावा धूम्रपान से रक्त की प्लेटलेट्स भी नष्ट होती हैं। धूम्रपान खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देता है, जिससे धमनियां सख्त हो जाती हैं। यह खून में पहुंची कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के कारण होता है। धूम्रपान से विटामिन सी की कमी हो जाती है, जिससे धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है।
(5) खून में फैट का स्तर बढ़ाती है शराब : शराब का सेवन खून में ट्राइग्लाइसिराइड्स (फैट) का स्तर बढ़ाता है, जिसके फलस्वरूप ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल भी प्रभावित होता है। शराब शरीर में जाकर विटामिन बी और सी को नष्ट करती है, जिससे दिल को इन दोनों विटामिनों से होने वाले फायदे नहीं मिल पाते। हालांकि कुछ अध्ययनों में यह भी कहा गया है कि शराब का नियंत्रित मात्रा में सेवन एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, लेकिन खून में फैट और ब्लड प्रेशर बढ़ने से यह फायदा अधूरा रह जाता है। वैसे भी अच्छा कोलेस्ट्रॉल तो उन चीजों से भी बढ़ाया जा सकता है, जिनका जिक्र इस अध्याय में ऊपर किया गया है, इसलिए शराब से परहेज ही ठीक रहेगा।
(6) शराब-सिगरेट के मेल से और भी गड़बड़ : ज्यादातर देखने में आया है कि जो लोग शराब पीते हैं तो वे सिगरेट भी जरूर पीते हैं। अगर कोई व्यक्ति इन दोनों का सेवन करता है तो उसमें हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा और भी बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारा लिवर शराब को बाहरी (विदेशी) पदार्थ की तरह लेता है। इस वजह से लिवर एक घंटे में शराब की केवल 15 सीसी मात्रा को क्लीयर कर पाता है। शराब से जूझने के कारण लिवर के अन्य मेटाबॉलिक काम धीमे पड़ जाते हैं। जैसे कि खून से फैट को क्लीयर करना। जब यह काम अधूरा रह जाता है तो खून में थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। इसी के साथ यदि वह व्यक्ति सिगरेट भी पी रहा है तो सिगरेट में मौजूद खतरनाक पदार्थ खून के जमाव को और बढ़ाने का काम करते हैं। नतीजतन कोरोनरी रक्त वाहिनी में खून के रुकने की आशंका बढ़ जाती है। तंबाकू में 400 विभिन्न रसायन होते हैं, जो सिगरेट-शराब साथ लेने वाले व्यक्ति के खून में ज्यादा घंटों तक मौजूद रहते हैं और दिल को नुकसान पहुंचाते हैं।
(7) दिल के लिए सेहतमंद नहीं मैदा और पॉलिश वाले चावल : मैदे से ब्रेड, नान, रुमाली रोटी, पिज्जा, बिस्कुट, केक, नूडल्स आदि पदार्थ तैयार होते हैं। पॉलिश वाले चावल से पुलाव, बिरयानी, डोसा आदि तैयार किए जाते हैं। मैदा और पॉलिश वाले चावल में दिल के संदर्भ में सबसे ज्यादा गड़बड़ यह है कि गेहूं और चावल से बनने वाले इन दोनों रिफाइंड उत्पादों में विटामिन बी-1 (थियामाइन) बिल्कुल साफ हो जाता है। विटामिन बी-1 भोजन को पचाने और आत्मसात करने के लिए जरूरी होता है। प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट पदार्थों में विटामिन बी-1 पहले से ही मौजूद होता है, इसलिए उन्हें पचाने के लिए शरीर को पहले से मौजूद विटामिन बी-1 खर्च नहीं करनी पड़ता। लेकिन रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट (मैदा, पॉलिस्ड चावल से बने उत्पाद आदि) को पचाने के लिए शरीर को हृदय समेत सभी महत्वपूर्ण अंगों से यह विटामिन लेना पड़ता है। जब हम ऐसे पदार्थ ज्यादा खाते हैं तो शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है। हृदय की कार्यप्रणाली विटामिन बी-1 की कमी से बहुत प्रभावित होती है, जिससे दिल कमजोर पड़ जाता है। लिहाजा मैदे से बने उत्पादों और पॉलिश किए हुए चावल का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।
(8) दिल के लिए समस्या का दूसरा नाम है फैट : मक्खन, घी, पनीर, दूध, अंडा, मांस आदि फैट की सेचुरेटिड श्रेणी में आते हैं। ये सारे पदार्थ दिल के मामले में इसलिए नुकसानदायक है, क्योंकि ये खून में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करते हैं। एक तो इनमें खुद के अंदर ही काफी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता है, दूसरे ये लिवर को भी ज्यादा कोलेस्ट्रॉल बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। ये यहीं नहीं रुकते, बल्कि खून में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को ग्रहण करने की इच्छुक कोशिकाओं को भी रोक देते हैं। ये सभी फैट खून में ट्राईग्लाइसिराइड्स का स्तर भी बढ़ाते हैं, जिससे कोरोनरी हार्ड डिजीज का खतरा बढ़ जाता है यानी ये हमारे दिल के लिए समस्या-दर-समस्या पैदा करते जाते हैं।
फैट का सबसे बुरा प्रकार हाइड्रोजेनेडिट फैट होता है। इसमें वनस्पति घी और मार्गेराइन आते हैं। ये रक्त में बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और सामान्य रूप से रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।
(9) दिल की परेशानी और बढ़ा देता है ज्यादा तला हुआ भोजन : इसके तहत सामान्यतः पकौड़ा, समोसा, पूरी, टिक्की, कटलेट, चिप्स, गुलाब जामुन जैसे पदार्थ आते हैं। तेल में तले होने से इन सभी पदार्थों में फैट और ऊर्जा (कैलोरी) का स्तर बहुत बढ़ जाता है। शरीर में जाकर यह अतिरिक्त कैलोरी भी फैट में बदल जाती है। भोजन के तलने के दौरान तेल की जब एक तय तापमान से ज्यादा गर्म किया जाता है तो उसमें रासायनिक बदलाव होते हैं, जिसके फलस्वरूप हानिकारक रसायनों का निर्माण होता है। ऊंचे तापमान पर फैट ट्रॉस फैटी एसिड में बदल जाता है। ये ऐसे फैटी एसिड हैं, जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल को बहुत तेजी से बढ़ाते हैं और रक्त का थक्का बनने की प्रवृति पैदा करते हैं यानी कोरोनरी हार्ड डिजीज (सीएचडी) की पूरी-पूरी आशंका। बहुत ज्यादा तापमान पर तेल में मौजूद थोड़े-बहुत फायदे भी गायब हो जाते हैं। भोजन को तलने के दौरान फ्री रेडिकल्स भी पैदा होते हैं। ये हृदय को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं, यह हम शुरू में पढ़ हो चुके हैं।
(10) मांसाहार यानी दिल का ज्यादा ताकतवर दुश्मन : मांसाहारी भोजन (मछली को छोड़कर) में एक तो सेचुरेटिड फैट की भारी मात्रा होती है, दूसरे इसमें कोलेस्ट्रॉल भी भरपूर होता है यानी दिल के दुश्मन ज्यादा ताकत के साथ शरीर में जाते हैं। मांस का कोलेस्ट्रॉल धमनियों को कठोर और संकरा बनाता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और दिल की अन्य बीमारियां जन्म लेती हैं। मांसाहार एसिडिटी को भी बढ़ाता है, जो अंत में दिल को ही तकलीफ देती है। अंडे में हालांकि फैट कम है, पर कोलेस्ट्रॉल बहुत होता है। कुल मिलाकर दिल के मरीजों के लिए मांस, अंडा बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
(11) सॉफ्ट ड्रिंक में मौजूद हैं ज्यादातर हानिकारक पदार्थ : कोल्ड ड्रिंक में मौजूद पदार्थों के नाम से ही आप समझ जाएंगे कि यह दिल के लिए क्यों ठीक नहीं है। कोल्ड ड्रिंक में कार्बन डाइऑक्साइड गैस, चीनी, यानी शरीर के लिए ज्यादातर हानिकारक पदार्थ। जहां तक कोक ड्रिंक (कोका कोला, पेप्सी, थम्स अप आदि) की बात है तो इनमें इन सब तत्वों के अलावा ‘कोकीन’ का अंश भी होता है, जो नारकोटिक ड्रग की श्रेणी में आता है।
(12) आइसक्रीम : आइसक्रीम में फैट (क्रीम और मिल्क प्रोडक्ट), चीनी, अंडा और भारी मात्रा में रसायन होते हैं। फैट, चीनी तो नुकसान पहुंचाती ही हैं, सभी रसायन भी काफी हानिकारक होते हैं।
(13) केक, पेस्ट्री, क्रीम रोल : इनमें मैदा, चीनी, उच्च सेचुरेटिड फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है।
(14) जैम, जैली : इनमें बहुत ज्यादा चीनी और बनावटी रंग वाले रसायन होते हैं।
(15) बिस्कुट : इनमें मैदा, चीनी, फैट, कृत्रिम सुगंध होती है। आजकल कुछ बिस्कुट फाइबरयुक्त भी आ रहे हैं। वे अल्प संख्या में लिए जा सकते हैं।
(16) मिठाइयां : इनमें चीनी, फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। गुलाब जामुन तो तली जाती है, इसलिए और भी नुकसानदायक हो जाती है।
(17) पिज्जा, बर्गर : इनमें मैदा, नमक, फैट, कोलेस्ट्रॉल होता है। बर्गर में तली हुई आलू की टिक्की भी शामिल हो जाती है।
(18) अचार : इनके जरिए काफी नमक और चिकनाई शरीर में जाती है, जो दिल के लिए ठीक नहीं है।
(19) टॉफी-कैंडी : इनमें चीनी, मिल्क पाउडर, ग्लूकोज, मैदा, कृत्रिम सुगंध और रंग होता है, जो दिल के लिए किसी भी प्रकार से सही नहीं है।
(20) चॉकलेट : चॉकलेट में कोकोआ नाम के पदार्थ के अलावा कैफीन, चीनी, कृत्रिम सुगंध, मिल्क पाउडर होता है। ये सभी दिल के लिए फायदेमंद नहीं हैं।
(21) सॉस, कैचअप : इन सभी में बहुत ज्यादा चीनी, नमक, लाल मिर्च और रसायन होते हैं, जो सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। (दिल के संबंध में जितने भी प्रकार के भोज्य पदार्थों से परहेज रखने को कहा गया है, उन सभी के साथ यह बात कॉमन है कि उनमें फाइबर नाम मात्र को होते हैं, जिससे इन पदार्थों को खाने से दिल को कोई फायदा नहीं होता।)
यह भी ध्यान रखें
(i) हृदय रोग की स्थिति में सीढ़ी या जीने पर न चढ़ें।
(ii) आठ घंटे की नींद लें।
(iii) हाथ-पैरों में सरसों के तेल की मालिश से अच्छी नींद आती है।
(iv) तनाव से बचें।