[ Madar Bark ] – इस औषधि का प्रयोग उपदंश (syphilis) की चिकित्सा में मर्करी के बाद सफलता पूर्वक किया जा चुका है, हाथीपाँव रोग (elephantiasis), कुष्ठ (leprosy) तथा पेचिश की उग्र अवस्था में भी इसके प्रयोग से लाभ होता है।
इसके सेवन से चर्म में रक्त-संचालन की क्रिया बढ़ जाती है और घातु बदल जाती है, चमड़े के ऊपर के घाव या दाने आराम होकर रोगी उक्त रोग से छुटकारा पा जाता है। उपदंश के गौण लक्षणों में जहां मर्करी का व्यवहार किया गया हो और उससे कोई लाभ न हुआ हो, तो इसके सेवन से रोगी शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है। पेट के अन्दर गर्मी महसूस होना इसका एक उत्तम लक्षण है, मोटापा जबकि मास घटता है, पेशियां कठोर और ठोस होती चली जाती है।
सम्बन्ध – मर्क्यू, पोटेशि, आयो, बर्बेरिस, एक्वि, सार्सापै, इपिका से तुलना कीजिए।
मात्रा – 2 से 2x, 5 बूंद तक दिन में तीन बार।