[ झरने का पानी ] – यकृत पर इस औषधि की प्रधान क्रिया होती है, मोटापा, कब्ज, वात और बहुमूत्र की बीमारी में ही इसका पानी काम में लाया जाता है। होम्योपैथिक शक्तियों में यह सभी अंगो की दुर्बलता, कब्ज और सर्दी जुकाम की प्रवणता से मुक्ति दिलाने में लाभदायक है। इसके लक्षण दो से चार सप्ताह का अन्तर देकर पुनः प्रकट हो जाते हैं, सारा शरीर आग की तरह गरम मालूम होना, खुजली, मुंह में बदबू, खट्टा या नमक का स्वाद। रोगी अपने कर्तव्यों के प्रति अधीर रहता है। चेहरा मुरझाया हुआ, गाल की हड्डी में भी दर्द। सिर में दर्द साथ ही कनपटियों की शिराएँ फूली हुई। जीभ पर सफेद परत जम जाती है, हिचकियां और जम्माइयां आती हैं। पेशाब की धार कमजोर, तलपेट को दबाये बिना पेशाब नही निकलता, पेट को दबाये बिना पाखाना नही होता, मल अन्दर ही रहता है। मलद्वार में जलन होती है। खूनी बवासीर, पाखाना काला होता है, उस समय इससे ज्यादा फायदा होता है।
सम्बन्ध (Relations) – नैट्रम सल्फ, नक्स से तुलना करो।
मात्रा – निम्न शक्ति ।