यह औषधि एक तरह के वृक्ष की छाल से तैयार की जाती है। डॉ बोरिक के अनुसार यह औषधि पुराने अतिसार, यकृत के ऊपर दर्द, मलत्याग करते समय दर्द कम होता है परन्तु उसमें आंव की अधिकता होती है। यह औषधि बलवर्द्धक तथा दस्त को घटाने वाली होती है। जो रोगी बहुत दिनों से पुराने अतिसार या रक्तामाशय की बीमारी से पीड़ित हो, उसके आमाशय में श्लेष्मा की मात्रा अधिक हो, किन्तु पेट में दर्द थोड़ा हो, यकृत में दर्द हो और उसे किसी औषधि से फायदा न होता हो, तो इस औषधि का सेवन कराना चाहिए।
मात्रा – 5 बूंद से 10 बूदं टिंचर, 3 शक्ति भी फायदा करती है।