यह औषधि आंख और त्वचा सम्बन्धी लक्षणों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दर्द तपकन के साथ आते हैं और गर्मी से बढ़ते हैं, अस्थि-गहवरों के विकार। कमर के निचले भाग, त्रिकास्थि और पेट के दर्द, जोड़ों और टखनों में दर्द।
आंख – पलकों का न्युरैलजिया (स्नायुशूल का दर्द) होने के साथ लगता है जैसे आंखें बहुत बड़ी हो गयी हैं और बाहर निकल आयी हैं, दाहिनी आंख के भीतर दर्द और अंधेरा दिखायी देता है, रोशनी धुँधली हो जाती है, दाहिनी आंख से सिर्फ इतना ही दिखलाई देता है कि एक रोशनी चमक रही है।
वक्ष – बायें स्तन की गांठ का फूलना और उसके कारण दर्द होता है खांसते समय बाईं ओर की छाती के नीचे दर्द मालूम होता है और उस दर्द का बायें कन्धे के जोड़ तक फैल जाना।
चर्म – लाल रंग की फुन्सियां तथा खुजली। सारी त्वचा लाल जैसे आरक्त ज्वर में होता है। विसर्प, गहरे घाव और कठोर किनारे, त्वचा पर धारियां। फुन्सियों या छालों जैसा छाजन।
इन सभी लक्षणों में कोमोक्लैडिया डेंटाटा से फायदा होता है।
सम्बन्ध – ऐनाकार्डि, यूफोर्बिया, रस से तुलना कीजिए।
मात्रा – पहली से 30 शक्ति तक।