यदि हम ऊपरी तौर से देखें तो मानव-शरीर का ढाँचा अस्थियों से बना हुआ है। पूरे शरीर को जब हम देखते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि यह कितने ही अंगों का मिला हुआ समूह है। यदि शरीर के ऊपर से माँस और खाल हटा दिये जायें तो ‘हड्डियों का ढाँचा’ ही बाकी रह जायेगा । यदि आप हड्डियों को ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि कहीं पर हड्डियाँ छोटी हैं, तो कहीं पर हड्डियाँ बड़ी हैं। कुछ हड्डियाँ लम्बी हैं, तो कुछ मोटी हैं। कोई हड्डी सपाट है, तो कोई हड्डी चपटी है। प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसा क्यों? इसका एकमात्र उत्तर है कि जिस स्थान पर जिस प्रकार की हड्डी की आवश्यकता है, वहाँ पर ठीक उसी प्रकार की हड्डी जुड़ी हुई है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हड्डियाँ हमारे शरीर का आधार हैं।
हड्डियाँ सजीव पदार्थ (Organic Matter) और खनिज पदार्थों (Mineral Matter) के मेल से बनी है ! इसमें सजीव पदार्थ 33% तथा खनिज पदार्थ 67% होते हैं। ध्यान रहे-बच्चों की अस्थियों में सजीव पदार्थ अधिक रहता है, इसी कारण उनकी हड्डियाँ नमनशील होती हैं, जिसके फलस्वरूप आघात लगने पर उनकी हड्डियाँ टूटती नहीं हैं, किन्तु मुड़ जाती हैं। इसके विपरीत वृद्धों की हड्डियों में खनिज पदार्थ बढ़ जाता है, इसी कारण से उनकी हड्डियाँ चोट लगने से टूट जाया करती हैं।
अस्थियों का कार्य (Uses of Bones)
- अस्थियाँ शरीर की शक्ल बनाती हैं।
- ये शरीर के कोमल अंगों को सहारा देकर उनकी रक्षा करती हैं। उदाहरणार्थ – चौबीस पसलियों (Ribs) के अन्दर हमारे हृदय (Heart) और फुफ्फुस (Lungs) सुरक्षित रहते हैं।
- अस्थियाँ शरीर के जोड़ों को बनाती हैं।
- अस्थियाँ माँसपेशियों से लगी रहकर हमारे शरीर में गति (Movement) हरकत उत्पन्न करती हैं।
- लम्बी अस्थियाँ (जैसे हाथ और पैर की) रक्त के लाल कण (Red Blood Corpuscles) जिसे संक्षेप में R. B.C. के नाम से जाना जाता है) बनाती हैं।
अस्थि पंजर (कंकाल) (Skeleton)
मानव-शरीर के सौ भागों में सोलह भाग अस्थि पंजर के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति का वजन 70 किलो है तो उसके कंकाल का वजन लगभग 8 किलो होगा । हमारे अस्थि पंजर (कंकाल) में निम्नलिखित 206 अस्थियाँ पाई जाती हैं।
कपाल (Cranium) में | 08 अस्थियाँ |
चेहरे (Face) में | 14 अस्थियाँ |
रीढ़ (Spinal Calumn) में | 26 अस्थियाँ |
पसलियाँ (Ribs) (बाँये + दाँये में 12+12) | 24 अस्थियाँ |
छाती की हड्डी (Sternum) | 01 अस्थियाँ |
गले की हड्डी (Hyoid Bone) | 01 अस्थियाँ |
दोनों हाथों में उर्ध्व शाखाओं में (Upper Limbs) | 64 अस्थियाँ |
दोनों पैरों में निम्न शाखाओं में (Lower Limbs) (31+31) | 62 अस्थियाँ |
कान की अस्थियां (Bones of the Ear) | 06 अस्थियाँ |
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कुल 206 अस्थियाँ |
विशेष – स्त्री अथवा पुरुष कोई भी हो, उनके शरीर में उपर्युक्त 206 हड्डियाँ (समान रूप से) पायी जाती हैं।
चेहरे में जैसा कि ऊपर बताया गया है कि 14 अस्थियाँ होती हैं । कपाल में 22 अस्थियाँ होती हैं। कपाल एक प्रकार का सन्दूक सा है जिसके भीतर जाने का कोई मार्ग नहीं है, अस्थियों के इस सन्दूक में ही ‘मस्तिष्क’ सुरक्षित रहता है। मेरुदण्ड (Spinal) जिसे आम बोलचाल में ‘रीढ़’ के नाम से जाना जाता है जो गर्दन और पीठ के नीचे तक डण्डे जैसी कड़ी (कठोर) होती है, इसके 26 भाग होते हैं। प्रत्येक भाग को ‘कशेरुका’ या ‘मोहरा’ (Vertebra) कहते हैं। मेरुदण्ड में यह कशेरुकाएँ एक दूसरे के ऊपर टिके रहते हैं, और बन्धनों द्वारा आपस में बँधे हुए हैं। इनके आपस में एक-दूसरे के ऊपर टिके रहने से सबके छेद मिलकर एक लम्बी नली सी बन जाती है जिसमे (Spinal Cord) सुरक्षित रहती है।
विशेष ज्ञातव्य – मेरुदण्ड ‘रीढ़’ की लम्बाई आमतौर पर पुरुषों में 28 इंच और स्त्रियों में 24 इंच होती है । इसकी लम्बाई शरीर की ऊचाई से 1 : 2 : 4 से 2 : 7 तक के लगभग हुआ करती है।
वक्ष:स्थल (Thorax) में कुल मिलाकर 25 अस्थियाँ होती हैं। (12+12 दांयी+बांयी पसलियाँ) 24 तथा एक वक्षास्थि जिसे अंग्रेजी में स्टर्नम (Sternum) के नाम से जाना जाता है, उसे सीने की हड्डी कहा जाता है।
नोट – सीने की हड्डी की लम्बाई साधारणया 6 से 7 इंच और चौड़ाई 3 से 4 इंच होती है। इसी हड्डी के आसपास 24 पसलियाँ लगी होती हैं। ये पसलियाँ गर्दन से प्रारम्भ होकर पेट के कौड़ी प्रदेश (Epigastrium) तक रहती हैं । ऊपर और नीचे की पसलियाँ बीच वाली पसलियों से कम लम्बी होती हैं। इन (12+12 दाँयी ओर तथा शरीर के बांयी ओर) पसलियों के बीच-बीच में माँसपेशियाँ लगी रहती हैं। माँसपेशियों के सिकुड़ने के कारण ही साँस लेते समय वक्षास्थि और पसलियाँ ऊपर चढ़ती हुई दिखलायी देती हैं। यहाँ यह तथ्य भी स्मरणीय है कि हमारे शरीर में मांसपेशियाँ तिरछी लगी हुई हैं।