विवरण – बिस्तर पर चाहे जैसी हालत में सो जाना, रात्रि के समय अधिक भोजन करना, अजीर्ण अथवा बच्चों के गले की घण्टी बढ़ जाना – इन कारणों से यह रोग हो जाता है । इस बीमारी को बोबियाना भी कहते हैं ।
इस रोग में सोते समय ऐसा अनुभव होता है, जैसे छाती पर कोई बहुत भारी वस्तु रखी हो । ऐसे कष्टदायक स्वप्न को देखते समय रोगी में हिलने-डुलने अथवा बोलने तक की शक्ति नहीं रहती । अन्त में, चिल्लाहट के साथ जब रोगी की आँख खुल जाती है, तब उसे अत्यधिक राहत का अनुभव होता है। यह रोग बच्चों को अधिक होता है ।
इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती हैं :-
कालि-ब्रोमेटम 1x – इसे सोने से कुछ ही देर पूर्व लेना हितकर रहता है ।
ब्रायोनिया 2x – कैलि-ब्रोम के अनुसार ।
चायना 6 – छाती, गले पर दबाव, भार का अनुभव होने पर इसे दें।
फेरम-फॉस 6x – रक्त-संचय के कारण यह रोग होने पर दें ।
एकोन 3 – फेरम-फॉस की भाँति ।
नक्स-वोमिका 6 – भोजन-दोष के कारण रोग होने पर इसे दें ।
सल्फर 30 – कलेजा धड़कने के लक्षणों में इसे दें।
- अधिक खाना, उत्तेजक पदार्थों का सेवन तथा चित्त (पीठ के बल) सोना त्याग देना उचित है ।
- शरीर को दबाना तथा घर के बाहर खेलना हितकर है ।