[ साँड़ के ताजे पित्त से इसका विचूर्ण तैयार होता है ] – हाजमे की गड़बड़ी, अतिसार और गर्दन में दर्द – इन तीन बीमारियों में इससे फायदा होता है।
पाकस्थली और निम्नोदर या पेडू में ( in epigastric region ) खूब जोर से गड़गड़ आवाज होना, जोर की कृमि होने की-सी आँतों की क्रिया ( violent peristaltic movements ) और उसकी वजह से अतिसार, डकार आना और भोजन के बाद ही नींद आने लगना जैसे लक्षण में फेल टौरी फायदा करती है।
सम्बन्ध – मर्कुरियस डलसिस, कोलेस्टरीन (पित्त-पथरी रोग) में इस दवा की तुलना की जा सकती है।
क्रम – विचूर्ण निम्न शक्ति।