इसका ही नाम है – मूलेन ऑयल। मूलेन ऑयल कान पकने की बीमारी अर्थात कान में पीब होने पर कान में डालने के लिए बहुत दिनों से होम्योपैथी में प्रचलित है और इससे फायदा भी होता है। बर्बेस्कम की एक तरह की खाँसी में भी जरुरत पड़ती है।
खांसी – इसकी खांसी की आवाज़ ही दूसरी तरह की होती है। रोगी जब खाँसता है तब एक तरह की ढं-ढं आवाज़ होती है ( trumpet like sound ), खाँसते-खाँसते गला फंस जाता है। स्वरभंग की तरह हो जाता है।
मात्रा – कान में पपड़ी जमने पर, कान में दर्द, कान में छेद होने पर मूलेन ऑयल की 5-6 बून्द कान में डालें। रात में बिस्तर पे लेटते ही खांसी बढ़ जाने और अनैच्छिक मूत्र-स्राव होने पर आधे कप पानी में 5-7 बून्द मूलेन ऑयल डालकर दिन में 3 बार पियें।
क्रम – 3 शक्ति।