[ पिटर मैगनॉल नामक एक फ्राँसीसी बोटैनिस्ट के नाम पर इस दवा का नामकरण हुआ है ] – यह दवा वात-रोग और हृत्पिण्ड की बीमारी में उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। कैलि बाइक्रोम आदि दवाओं की तरह इसका दर्द जगह बदला करता है, और बीमारी के उपसर्ग बरसात और तर मौसम में बढ़ते हैं। इसमें बीमारी का दौरा शरीर की बाएं अंश पर ही अधिक होता है। नाना प्रकार के वात-रोग, गठिया और हृत्पिण्ड की बीमारी में यह लाभ करता है।
मैग्नोलिया ग्रैंडिफ्लोरा में – कॉलचिकम की तरह वात का दर्द कभी-कभी हृत्पिण्ड में चला जाता है। पेरिकार्डाइटिस ( हृत्पिण्ड के बाहरी आवरण का प्रदाह ), एन्जाइना पेक्टोरिस ( हृत्शूल का दर्द ), वाल्वुलर डिजीज और हृत्पिण्ड की जगह ऐंठन तथा खोंचा मारने की तरह दर्द, कलेजे में तेज धड़कन, श्वास बंद हो जाने के लक्षण इत्यादि में – मैग्नोलिया देने से अच्छा फायदा होता है।
इसके अलावा – स्त्रियों की बीमारी में बाएं डिम्बकोष में रक्त-संचय और दर्द, गाढ़ा सफ़ेद रंग का प्रदर, पेशाब में कूथन, कभी-कभी दो ऋतुओं के बीच के समय रजःस्राव, दिन में बहुत सूखी खाँसी इत्यादि में भी – यह फायदा करती है।
क्रम – Q से 1 शक्ति।