वात का तेज दर्द, शरीर के सभी स्थानों में, आमवात की तीव्र वेदनायें लगभग सारे शरीर में, गांठें कड़ी हो जाती है, आक्रांत स्थान को छूने न देना, पुराना आमवात, स्थान बदलता – परिवर्तन करता रहता है, अँगुलियों में वात। लिवर फूला, कड़ा, सूई गड़ने की तरह दर्द, दबाने नहीं देता, पाखाने का रंग – कीचड़ के रंग की तरह। कमर में भयानक दर्द, चूतड़ में दर्द, जांघ तक उतरता है, कन्धे व बाहु में दर्द, पैर में दर्द, किडनी में दर्द, साइनोवाइटिस, परिश्रम से व गर्मी में वृद्धि और ठण्डी हवा में घटना।
सिर – सिर में हल्का-हल्का दर्द, बाईं तरह अधिक ग्रीवापेशियां अकड़ी हुई। आँखों में दर्द और जलन, बाहर को फैली हुई मालूम देती है। आलस्य, काम करने की इच्छा न करना, साथ ही निद्रालुता।
पेट – यकृत की निष्क्रियता, कब्ज, पर्यायक्रमिक अतिसार। मल मिट्टी के रंग की तरह। यकृत अत्यधिक रक्तसंकुल सूजा हुआ, साथ ही सुई की चुभन जैसा दर्द और दबाव।
बाह्यांग – कमर में भयानक दर्द, नितम्बों में दर्द, जो जांघों में होकर नीचे उतरता रहता है। पैर व पैर के गुल्म में दर्द, कन्धे व बांहों में दर्द, गुर्दे के ऊपर दर्द, कुचल जाने जैसी अनुभूति।
सम्बन्ध – पल्स से तुलना कीजिए।
मात्रा – मूलार्क से 2x शक्ति ( मूलार्क बाहरी प्रयोग के लिए )