सर्दी-जुकाम की उग्रवस्था में इसकी प्रभावशाली क्रिया होती है। ग्रसनी और स्वरयंत्र खुश्क लगते हैं आवाज कमजोर और बेसुरी हो जाती है। नासा ग्रसनी प्रतिश्याय से उत्पन्न बच्चों की खांसी। तेज खराश, सुखी खांसी जिसमे रोगी को झुककर बैठा रहना पड़ता है, कष्ट और नथुनों में जलन, वक्ष में दुखन। आँख, नाक. मुख और वायुपक्षों में जलन, सिर गरम, जीभ मोटी और सुन्न महसूस होती है, होंठों में शीतल क्षत। अँगुलियों की नोक मोटी, सुई चुभने पर कोई असर नहीं होता आदि लक्षणो में इस औषधि का सेवन करने से फायदा होगा।गला बैठ जाने पर इस औषधि से तुरंत लाभ होता है।
मात्रा – Q ( मूलार्क ) ।