कालमेघ Plant Kingdom की दवा है। इसे ग्रीन चिरायता भी कहा जाता है। यह दवाई भारत की एक महत्वपूर्ण होम्योपैथिक दवाई है जो भारत में ही बनाई भी जाती है। यह दवाई मुख्य रूप से लीवर की समस्याओं को ठीक करने के काम आती है। साथ ही यह दवाई इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करती है और हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार है।
कालमेघ दवाई का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
यह दवाई हमारे लीवर पर प्रभाव डालती है। हमारे लीवर में अक्सर कई सारी बीमारियां होती रहती है जैसे :- सिरोसिस (Cirrhosis), पीलिया या Hepatitis. इन बीमारियों में ये दवाई बहुत ही असरदार है और साथ ही यह लीवर की किसी समस्या के कारण उसके कार्य करने की क्षमता में जो भी कमी आ जाती है उसे भी ठीक कर देती है। यह रक्त कोशिकाओं पर भी प्रभाव डालती है। हीमोग्लोबिन को ठीक करती है और उसे ठीक रहने में मदद करती है।
वह कौन से लक्षण है जब कालमेघ दवाई ली जाये ?
- चिड़चिड़ापन अधिक होने पर, अधिक गुस्सा आने पर, मानसिक तौर पर थका हुआ महसूस करना या किसी काम में मन न लगना
- सिर में बहुत दर्द रहना, कमजोरी के कारण चक्कर आना
- पीलिया की समस्या होना
- नाक से बहुत पानी निकलना
- जीभ लाल से सफेद हो जाना, मुँह में कड़वापन रहना, गले में जलन होना
- पेट में गैस की समस्या होना और सीने में जलन महसूस होना, भूख न लगना
- फैटी लीवर की समस्या में
- कब्ज या अपच की समस्या होना, लीवर में समस्या के कारण मल का काला होना
- बुखार होना और खूब ठण्ड लगना, प्यास बहुत लगना
दवा लेने की विधि :- इसमें से कोई भी लक्षण दिखे तो आप कालमेघ का सेवन कर सकते हैं। इसका सेवन मदर टिंचर में करना है, यह एक अन्य नाम से भी मिलती है : ‘Andrographis Paniculata‘। आप दोनों में से कोई भी ले सकते हैं दोनों एक ही है। यह दवाई लीवर और लीवर की समस्या के कारण शरीर में होने वाली अन्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। यह दवाई पीलिया के लिए भी बहुत ही अच्छी है। अगर आपको पीलिया के लक्षण दीखते हैं तो इसकी 20 बूँद आधे कप पानी में लेकर पीनी है। इसका सेवन दिन में चार बार करना है। अगर नवजात शिशु को पीलिया हो गया है तो आप एक चम्मच पानी में कालमेघ की 5-6 बूँद डालकर पिलाये, इसका प्रयोग दिन में चार बार करें, बहुत ही असरदार दवाई है।
अगर आपको Hepatitis की समस्या है चाहे वह Hepatitis B हो या Hepatitis C या फिर आपकी लीवर में इन्फेक्शन है तो आपको कालमेघ की 20 बूँद आधे कप पानी में डालकर दिन में तीन बार पीना है।
गर्मियों में ठंडा खाने पर गले में कफ बन जाता है, और सर्दी खांसी भी होने लगती है ऐसे में कालमेघ बहुत ही लाभदायक है। इसमें भी कालमेघ का सेवन उसी प्रकार दिन में तीन से चार बार करना है। यह दवाई हर प्रकार के बुखार में भी बहुत अच्छी है और शरीर दर्द में भी इसका सेवन किया जा सकता है। भूख कम लगने पर भी इसका सेवन किया जा सकता है या लम्बी चलने वाली बीमारियों में भी असरदार है।